फोटो: Ministry of Culture/Wikimedia Commons

दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर ग्रीन पटाखों को मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के अवसर पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री और आतिशबाज़ी की अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार के संयुक्त अनुरोध को स्वीकार करते हुए अंतरिम राहत दी है। अदालत ने कहा कि 18 से 21 अक्टूबर तक सीमित अवधि के लिए पटाखे फोड़े जा सकेंगे।

कोर्ट ने कहा कि ग्रीन पटाखों पर प्रतिबंध से तस्करी बढ़ती है और ऐसे अवैध पटाखे पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। अदालत ने प्रदूषण स्तर की निगरानी के लिए केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

आदेश में कहा गया कि केवल दिल्ली-एनसीआर में निर्मित ग्रीन पटाखे ही बेचे जाएंगे और उनके क्यूआर कोड वेबसाइट पर अपलोड किए जाएंगे। बाहरी पटाखे मिलने पर विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित कर दिए जाएंगे। विस्तृत आदेश शीघ्र जारी किया जाएगा।

दिल्ली में बिगड़ी हवा, ग्रैप-1 प्रतिबंध लागू

इसी बीच सर्दियों की आहट और तापमान गिरने के साथ ही दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी है। दिवाली से एक हफ्ता पहले दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 200 के पार जाने के बाद ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) का पहला चरण लागू कर दिया गया है। मंगलवार सुबह 10:30 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 201 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। सबसे अधिक एक्यूआई (365) आनंद विहार में रहा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, शाम 4 बजे 24 घंटे का औसत एक्यूआई 211 रहा — जो जून 11 के बाद पहली बार इस स्तर पर पहुंचा। विशेषज्ञों ने हवा की गति और रात के तापमान में गिरावट को इसका प्रमुख कारण बताया। एक रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली के आसपास स्थिति और बिगड़ सकती है, जब पटाखों, यातायात और पराली धुएं से प्रदूषण बढ़ने की आशंका है।

दिल्ली में प्रदूषण का पूर्वानुमान 30-35% तक कम: शोध

शोधकर्ताओं ने कहा है कि दिल्ली का वायु प्रदूषण पूर्वानुमान तंत्र (एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम – एक्यूईडब्ल्यूएस) राजधानी में पीएम 2.5 के स्तर को वास्तविक आंकड़ों से 30 से 35 प्रतिशत कम बताता है। इसका प्रमुख कारण पुराना उत्सर्जन डाटा (एमिशन इन्वेंटरी) बताया गया है।

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के प्रोग्राम चीफ मोहम्मद रफीउद्दीन ने कहा, “यदि वास्तविक पीएम2.5 स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, तो प्रणाली इसे लगभग 65 माइक्रोग्राम दर्शाती है।” उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर उत्सर्जन डेटा 2016 से अपडेट नहीं हुआ है, जबकि दिल्ली का 2021 में अंतिम बार संशोधित हुआ था।

सीईईडब्ल्यू के शोधकर्ताओं ने दो से तीन वर्ष में डेटा अद्यतन करने का ढांचा बनाने की सिफारिश की है, ताकि पूर्वानुमान की सटीकता बढ़ाई जा सके। रफीउद्दीन ने कहा कि ऐसा करने से जवाबदेही भी बढ़ेगी और यह समझने में मदद मिलेगी कि प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास कितने प्रभावी रहे हैं।

सॉलिड वेस्ट इकाईयों को पर्यावरणीय मंजूरी से छूट दे सकती है सरकार

केंद्र सरकार ने कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (सीईटीपी) और कॉमन म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटीज (सीएमएसडब्ल्यूएमएफ) को पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी लेने से छूट देने का प्रस्ताव रखा हैबिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार इनमें वे इकाइयां भी शामिल हैं जिनके पास लैंडफिल साइट्स हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स ने पर्यावरण मंत्रालय के हवाले से बताया कि इन क्षेत्रों में प्रदूषण की संभावना कम है इसलिए यह छूट दी जा सकती है। 1 और 3 अक्टूबर को जारी दो मसौदा अधिसूचनाओं में कहा गया है कि यह छूट सिर्फ तभी लागू होगी जब पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का पालन किया जाए। इन उपायों की निगरानी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों द्वारा मौजूदा स्वीकृति प्रणाली के तहत की जाएगी।

सरकार ने कहा कि सीईटीपी और सीएमएसडब्ल्यूएमएफ पहले से ही जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत संचालित हैं, जिनमें नियमित जांच, निरीक्षण और रिपोर्टिंग की व्यवस्था है।

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