फोटो: Rama Narayanan H /Wikimedia Commons

निकोबार में 72,000 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रतिबंधित क्षेत्र में नहीं: विशेषज्ञ पैनल

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित विशेषज्ञ पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निकोबार द्वीप में प्रस्तावित 72,000 करोड़ का प्रोजेक्ट संरक्षित तटीय क्षेत्र (आईसीआरज़े-आईए) में नहीं है। यह सरकार द्वारा दी गई पिछली जानकारी से भिन्न है कि बंदरगाह, हवाई अड्डा, टाउनशिप का 7 वर्ग किमी हिस्सा संरक्षित तटीय क्षेत्र में आता था।

ग्रेट निकोबार ‘समग्र विकास’ परियोजना की कल्पना नीति आयोग द्वारा की गई थी और मुख्य योजना में अन्य सुविधाओं के साथ एक अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल का निर्माण भी शामिल है। एनजीटी ने प्रोजेक्ट को मिली फॉरेस्ट क्लीयरेंस के फैसले पर दखल देने से इनकार कर दिया था लेकिन पर्यावरण संबंधी अनुमति की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञ पैनल का गठन पिछले वर्ष किया था। अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के निष्कर्ष पहली बार सार्वजनिक हुए हैं। पैनल के निष्कर्ष अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) द्वारा शुक्रवार को एनजीटी की कोलकाता पीठ को दिए एक हलफनामे में प्रस्तुत किए गए। महत्वपूर्ण रूप से, एनजीटी ने कहा कि परियोजना क्षेत्र को सीआरजेड आईए में दिखाया गया था जहां बंदरगाह की अनुमति नहीं है। 

कोस्टल रेग्युलेशन ज़ोन (सीआरजेड) मानदंडों के कथित उल्लंघन और एचपीसी के निष्कर्षों का विवरण मांगने पर दायर दो याचिकाओं के जवाब में एनजीटी के समक्ष हलफनामा दायर किया गया था।  आरटीआई अधिनियम के तहत यह जानकारी मांगे जाने पर  अस्वीकार कर दिया गया था। निगम ने रक्षा उद्देश्यों के कारण गोपनीयता की दलील देकर पैनल की बैठक के मिनट्स (विवरण) साझा नहीं किए।

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