फोटो: Myléne/Pixabay

उत्तर भारत में भारी बारिश से 7 की मौत, दिल्ली में 200 उड़ानें विलंबित

नई दिल्ली में शुक्रवार सुबह भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण नजफगढ़ में एक घर गिर गया, जिसमें तीन बच्चों और एक महिला की मौत हो गई। बारिश के कारण शहर में कई स्थानों पर जलजमाव हो गया, जबकि तेज हवा से कई पेड़ उखड़ गए और ट्रैफिक बाधित हो गया। वहीं इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 200 से अधिक उड़ानें लेट हुईं, और तीन को डायवर्ट किया गया।

मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी कर भारी बारिश और गरज के साथ 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की चेतावनी दी है। लोगों से आग्रह किया गया है कि वे घर के अंदर रहें और सावधानी बरतें। कई इलाकों में पेड़ों से उखाड़ने से बिजली आपूर्ति भी बाधित हुई। 

उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भी बिजली गिरने से कम से कम तीन लोग मारे गए और अलग-अलग घटनाओं में कई घायल हो गए।

तापमान 42-45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा, भारत के कई हिस्सों में लू की चेतावनी

इससे पहले भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने देश के कई हिस्सों में लू की वजह से ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है। बीते दिनों कई इलाकों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है। शनिवार को कानपुर में अधिकतम तापमान 44.4 डिग्री सेल्सियस, प्रयागराज में 44.8 डिग्री सेल्सियस, सुल्तानपुर में 44.8 डिग्री सेल्सियस, वाराणसी में 44.2 डिग्री सेल्सियस, गया में 44.6 डिग्री सेल्सियस, झारसुगुड़ा में 44.7 डिग्री सेल्सियस और दिल्ली रिज में 43.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम विभाग के मुताबिक, “जम्मू, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पूर्वोत्तर और पश्चिम राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश, विदर्भ, निकटवर्ती मराठवाड़ा, पूर्वोत्तर झारखंड, पश्चिम गंगीय पश्चिम बंगाल, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में कई स्थानों पर अधिकतम तापमान सामान्य से 3-5 डिग्री सेल्सियस अधिक है।”

आम तौर पर अप्रैल से जून के बीच चार से सात दिन लू चलती है, लेकिन इस साल छह से 10 दिन लू चल सकती है, आईएमडी ने 1 अप्रैल को पूर्वानुमान लगाया था। अप्रैल की शुरुआत से ही भारत भर के कई स्टेशनों ने लू की स्थिति दर्ज की है।

जम्मू-कश्मीर के रामबन में भीषण बाढ़ से NH-44 5 जगहों पर बह गया; तीन लोगों की मौत

20 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में भारी बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचाई, जिसमें सेरी बागना गांव के दो बच्चों और एक बुजुर्ग की मौत हो गई। रामबन शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर धरमकुंड गांव में भी बादल फटा। डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 35 घर नष्ट हो गए, जिनमें से 10 बह गए। 

बाढ़ ने NH-44 के जम्मू-रामबन खंड के 4-5 किलोमीटर हिस्से को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। राजमार्ग पांच स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे दर्जनों यात्री वाहन, ट्रक और तेल टैंकर फंस गए। कई वाहन भूस्खलन में दब गए।

भारत और पाकिस्तान में बढ़ती हीटवेव के पीछे है मानव जनित जलवायु परिवर्तन प्रभाव  

एक नये अध्ययन से पता चला है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हीटवेव के पीछे प्राथमिक रूप से मानव जनित जलवायु परिवर्तन ज़िम्मेदार है। क्लाइमामीटर का नया विश्लेषण बताता है कि यह मानव जनित क्लाइमेट चेंज मौसमी स्थितियों को तीव्र बना रहा है जिस कारण अत्यधिक हीटवेव की घटनायें हो रही हैं। अध्ययन में पाया गया कि मौसमी घटनाओं के कारण अप्रैल में हीटवेव पिछली सदी के दूसरे हाफ के मुकाबले 4 डिग्री अधिक तापमान वाली रही। इस स्टडी में 1950 से अब तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया। क्लाइमा मीटर का विश्लेषण कॉपरनिक्स के ERA5 डाटा पर आधारित है और इस क्षेत्र के सर्फेस प्रेशर, हवा की रफ्तार, तापमान के पैटर्न में बड़ी विसंगति दिखाती है क्योंकि पिछले दशकों के मुकाबले अब स्थितियां अधिक नमी वाली कम हवादार और ठंडी हैं।  अध्ययन कहता है कि बारिश और हवा की रफ्तार में बदलाव मानव जनित जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है। 

गंगा बेसिन में 23 वर्षों में सबसे कम बर्फबारी दर्ज की गई: रिपोर्ट

इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) के अनुसार, पिछले दो दशकों में 2024 में गंगा बेसिन में बर्फ सबसे तेज़ गति से पिघली। बेसिन में बर्फ का जमाव सामान्य से 24.1% कम था, जो 23 वर्षों में सबसे कम है। इससे गर्मियों के प्रारंभिक दिनों में नदी के प्रवाह में कमी आने और गर्मी के तनाव और पानी की कमी बढ़ने की आशंका है। 

उधर डाउन टु अर्थ के मुताबिक सिंधु बेसिन में भी बर्फ के जमाव में तेज गिरावट देखी गई, जो 2020 में +19.5% से 2025 में -27.9% हो गई। मेकांग (-51.9%), सालवीन (-48.3%), तिब्बती पठार (-29.1%), ब्रह्मपुत्र (-27.9%), और यांग्त्ज़ी (-26.3%) सहित अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई। 

घातक बाढ़, तूफ़ान और गर्म हवाएँ: यूरोप को 2024 में जलवायु परिवर्तन के ‘गंभीर प्रभावों’ का सामना करना पड़ेगा

यूरोपीय संघ की कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (C3S) के अनुसार, पिछले साल यूरोप में बाढ़ और तूफानों ने 413,000 लोगों को प्रभावित किया। यूरोन्यूज और द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, महाद्वीप ने अपना सबसे गर्म साल भी दर्ज किया, जिसमें 45% दिन औसत से बहुत ज़्यादा गर्म रहे और 12% दिन गर्मी के नए रिकॉर्ड बना रहे थे।
दक्षिण-पूर्वी यूरोप ने जुलाई 2024 में अपनी सबसे लंबी रिकॉर्ड की गई गर्मी झेली, जो 13 दिनों तक चली और जिसके कारण जंगल में आग लग गई, जिससे 42,000 लोग प्रभावित हुए। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी यूरोप ने 1950 के बाद से अपने सबसे ज़्यादा बारिश वाले वर्षों में से एक देखा, जिसमें बाढ़ ने इसके 30% नदी नेटवर्क को प्रभावित किया और €18 बिलियन से ज़्यादा का नुकसान हुआ।

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