गुजरात सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य में कोई नया कोयला बिजलीघर नहीं बनेगा। हर साल 8-9% की दर से बढ़ रही बिजली की मांग सौर ऊर्जा से पूरी की जायेगी। गुजरात के कोयला बिजलीघर औसतन केवल 40% की क्षमता पर काम कर रहे हैं। सरकार ने भले ही सौर ऊर्जा पर निर्भरता का ऐलान किया हो लेकिन उसे सोलर पावर काफी महंगी पड़ती है। अभी जबकि तमाम राज्य सरकारें नये बिजली अनुबंध ₹ 3 प्रति यूनिट के हिसाब से कर रहे हैं वहीं गुजरात सरकार कंपनियों से ₹ 15 प्रति यूनिट की दर से सौर ऊर्जा खरीद रही है।
उधर छत्तीसगढ़ ने भी ऐलान किया है कि वह अब कोई नया कोल प्लांट नहीं लगायेगा। राज्य सरकार अब सौर ऊर्जा के नये संयंत्र खड़े करेगी और 100 मेगावॉट के सोलर प्लांट्स को मंज़ूरी भी मिल चुकी है।
पस्त पड़ी DISCOM, सरकार UDAY योजना में करेगी बदलाव
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री का कहना है की बिजली दरों की नई नीति के साथ साथ जल्द ही उदय योजना के नये संस्करण (UDAY 2) का ऐलान होगा। इसका प्रमुख उद्देश्य बिजली वितरण कंपनियों (DISCOM) के घाटे को कम करना है। नई नीति के तहत सरकार बिजली जाने पर (लोड शेडिंग) पेनल्टी का प्रावधान करेगी। इसके अलावा केंद्र या राज्य से मदद पाने के लिये कंपनियों को यह साबित करना होगा कि उन्होंने अपनी हालत सुधारने के लिये क्या कदम उठाये। बिजली चोरी रोकने के लिये नये पुलिस स्टेशन भी बनाये जायेंगे। उधर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने प्रस्ताव रखा है कि DISCOM बिजली कंपनियों को 50% अग्रिम भुगतान यानी एडवांस पेमेंट करें ताकि कंपनियों पर दबाव कम रहे।
काला धुंआं छोड़ने वाली योजनाओं में 5000 करोड़ डॉलर का निवेश
ऊर्जा क्षेत्र की हलचल और बाज़ार पर उसके असर पर नज़र रखने वाले थिंक टैंक कार्बन ट्रैकर का नया विश्लेषण बताता है कि बड़ी तेल और गैस कंपनियों ने पिछले एक साल में करीब 5000 करोड़ डालर के नये जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) प्रोजेक्ट मंज़ूर किये हैं। इससे धरती की तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री की सीमा में रखा पाना मुमकिन होगा। इन बड़ी कंपनियों में बीपी, शेल, एक्सियॉन मोबिल और शेवरॉन जैसी कंपनियां हैं। रिपोर्ट बताती है कि इन कंपनियों का 30% निवेश ही तापमान को 1.6 डिग्री बढ़ाने के लिये काफी होगा। रिपोर्ट कहती है कि ये सभी प्रोजेक्ट उन निवेशकों और कंपनियों के लिये चुनौती हैं जो ग्लोबल वॉर्मिंग की चुनौतियों से लड़ने के लिये कमर कस रहे हैं।
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