उत्तरकाशी के धाराली और आसपास के आपदा प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य पांचवें दिन भी जारी रहा। हेलीकॉप्टरों ने सुबह से कई चक्कर लगाकर फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। अब तक 1,000 से अधिक लोगों को एयरलिफ्ट किया जा चुका है, जबकि 49 लोग लापता हैं और चार की मौत की पुष्टि हुई है। बचाव कार्यों में लगी टीमों का कहना है कि काम खत्म होने में अभी लंबा वक्त लगेगा।
विशेषज्ञों ने इस आपदा के पीछे बादल फटने (Cloudburst) की संभावना को नकार दिया है। उनका कहना है कि मौसम विज्ञान संबंधी इतने आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए गए जिससे तकनीकी रूप से इसे बादल फटना कहा जा सके। ज़ाहिर है, इसे अचानक आई बाढ़ या फ़्लैश-फ्लड कहना उचित होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बाढ़ के कई कारण हो सकते हैं। पहली संभावना यह है कि क्षीरगंगा के ऊपरी हिस्से में भूस्खलन होने से एक अस्थाई झील बन गई थी जो लगातार बारिश के कारण अपने वज़न से फट गई और उसका सारा पानी एकाएक नीचे आ गया। यह पानी अपने साथ बड़ी मात्रा में पत्थर और मलबा लेकर आया। साथ ही एक खड़ी पहाड़ी पर संकरा नाला होने की वजह से इसकी गतिज ऊर्जा काफी अधिक थी, और इसके वेग ने धराली में तबाही मचा दी।
दूसरी संभावना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बनी हिमनद झीलों (Glacial lake) में से एक या कुछ झीलें फट गईं जिससे इतना सारा पानी खीरगंगा में आया। या फिर किसी हिमनद झील या झीलों में हिमस्खलन के कारण एक बड़ी हिमशिला टूटकर आई, जिसके कारण इन झीलों का पानी नीचे आगया।
तीसरी संभावना यह बताई जा रही है कि लंबे समय तक हुई सामान्य बरसात ने स्थानीय मिट्टी और गाद को पोपला कर दिया और पानी के साथ वह सारा गाद नीचे आया जिसके कारण यह आपदा हुई। वैज्ञानिकों की भाषा में इसे हिमोढ़ संतृप्ति (Moraine saturation) कहते हैं। इस स्थिति में मिट्टी और पत्थर का एक हिमनदीय जमाव (हिमोढ़) पानी से भर जाता है, तथा अपनी अधिकतम जल धारण क्षमता तक पहुंच जाता है और इससे भूस्खलन या मलबे का प्रवाह हो सकता है।

इस बीच, हैदराबाद-स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) ने आपदा के पहले और आपदा के बाद की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं जिनसे पता चलता है कि बाढ़ से धराली को कितना नुकसान पहुंचा है। तस्वीरों में धाराली गांव मलबे और कीचड़ में दबा दिख रहा है, जहां इमारतें, सड़कें और बगीचे डूब गए हैं।
खीर गंगा नदी से तेजी से बहकर आए मलबे ने गांव को पार करते हुए भागीरथी नदी के बड़े हिस्से का रास्ता रोक दिया। एनआरएससी की तस्वीरों में यह साफ दिखता है कि नदी का बहाव कई जगहों पर बंद हो गया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी इस पूरे इलाके में बहुत बादल छाए हुए हैं, और क्लाउड कवर हटने के बाद जब बेहतर तस्वीरें मिलेंगी तब यह लगाया जा सकेगा का कि वास्तव में क्या हुआ।
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