सरकार ने बनाई जलवायु संकट से घिरे ज़िलों की एटलस

Newsletter - February 1, 2022

संकट की मैपिंग: जानकार मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में संकटग्रस्त ज़िलों की मैपिंग से मदद मिलेगी। फोटो: India.com

केंद्र सरकार ने क्लाइमेट के लिहाज से संकटग्रस्त ज़िलों की मैपिंग की

केंद्र सरकार ने पहली बार एक एटलस जारी किया है जिसमें एक्सट्रीम वेदर  (जैसे भयानक बाढ़, अति सूखा)  के कारण संकटग्रस्त ज़िलों की सूची है। क्लाइमेट हेजार्ड एंड वल्नरेबिलिटी एटलस ऑफ इंडिया के मुताबिक पश्चिम बंगाल का सुंदरवन और उससे लगे ओडिशा के ज़िले, तमिलनाडु के रामनाथपुरम, पुडुकोट्टाई और तंजावुर  इस लिस्ट में हैं। समुद्र तट से लगे इन ज़िलों में चक्रवाती तूफानों की 13.7 मीटर तक ऊंची लहरों का ख़तरा है।  जानकारों का कहना है कि इस एटलस से विनाशकारी मौसम से लड़ने की तैयारी में मदद मिलेगी। 

इस एटलस में जलवायु संकट को लेकर 640 नक्शे हैं और इन्हें जारी करने वाले पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को उम्मीद है कि इनसे शीत लहर, बर्फबारी, ओलावृष्टि, वज्रपात, भारी बारिश और चक्रवात समेत 13 एक्सट्रीम वेदर की घटनाओं से लड़ने में मदद होगी। इससे पहले पूर्वी हिस्से के आठ राज्यों – झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश  को मंत्रालय ने क्लाइमेट से पैदा संकट को देखते हुये चिन्हित किया था।   

उत्तर भारत में शीतलहर का प्रकोप जारी

नये साल की शुरुआत शीतलहर और भारी बरसात के साथ हुई थी लेकिन जनवरी के अन्त तक उत्तर भारत के कई हिस्सों में बारिश और भारी बर्फबारी जारी है। मौसम विभाग के मुताबिक जनवरी 2022 72 साल का सबसे सर्द महीना है। कई मैदानी राज्यों में बारिश हुई और उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में जमकर बर्फबारी हुई। इस कारण पूरे उत्तर भारत में शीतलहर बढ़ गई। बुधवार को दिल्ली में अधिकतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री नीचे रहा।  

तोंगा में ज्वालामुखी फटने से सुनामी

विशेषज्ञों का कहना है कि तोंगा द्वीपसमूह में ज्वालामुखी विस्फोट से आये सुनामी का रिश्ता क्लाइमेट चेंज से हो सकता है। ख़बरों के मुताबिक करीब 15 मीटर तक समुद्र की लहरें उठीं जिससे तोंगा के बाहरी हिस्सों में कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई। तोंगा ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन से करीब 200 मील पूर्व की ओर डेढ़ सौ से अधिक द्वीपों का समूह है जिनमें जिनमें से ज़्यादाकर में कोई नहीं रहता। जानकार कह रहे हैं कि समुद्र जल स्तर में वृद्धि के कारण विनाशलीला अधिक व्यापक हुई है। 

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि गर्म होते इस समुद्र में सतह हर साल 6 मिमी उठ रही है और चक्रवातों से ऐसी एक्सट्रीम वेदर की घटनायें और बढेंगी। 

बेहतर भू-प्रबंधन से जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण 

एक ताज़ा अध्ययन में यह बात कही गई है कि बेहतर भू-प्रबंधन क्लाइमेट चेंज से लड़ने का एक प्रभावी तरीका है।  विज्ञान पत्रिका नेचर में छपे शोध के मुताबिक “स्थान विशेष को ध्यान में रखकर किये गये बेहतर भू-प्रबंधन” से दुनिया भर में ज़मीन पर हरियाली हर साल करीब 1370 करोड़ टन कार्बन हर साल रोक सकता है। 

मानकों में बदलाव: सरकारी खरीद के दौरान गेहूं और धान में नमी के मानकों को बदलने का प्रस्ताव है। फोटो: China Daily

सरकारी खरीद: गेहूं और धान में नमी के पैमाने बदलना चाहती है सरकार

केंद्र सरकार, गेहूं और धान की फसलों की सरकारी खरीद से पहले उनमें नमी की मात्रा के पैमानों को बदलना चाहती है और इससे किसानों की फिक्र बढ़ गई है। मंत्रालय और एफसीआई गेहूं में नमी की वर्तमान मात्रा 14 फीसद को संशोधित कर 12 फीसद और धान में मौजूदा नमी की मात्रा 17 फीसद को 16 फीसदी करना चाहता है।अभी उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के बीच इसे लेकर विचार चल रहा है। एफसीआई ही  किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्न खरीदता है। 

मौजूदा मानकों के हिसाब से गेहूं में नमी 12 प्रतिशत ही होनी चाहिये और  यह अधिकतम 14 फीसद तक जा सकती है। हालांकि एफसीआई 12 फीसदी की सीमा से ऊपर भी स्टॉक खरीदती है लेकिन उसे किसानों के लिए तय एमएसपी पर मूल्य में कटौती के साथ खरीदा जाता है। जबकि 14 फीसदी से अधिक नमी वाले स्टॉक को खारिज कर दिया जाता है।

प्रोजेक्ट पास करने में तत्परता के आधार पर राज्यों को रेकिंग देने के फैसले से जानकार नाराज़ 

कोई राज्य कितनी तत्परता से विकास परियोजनाओं को हरी झंडी देता है – यानी उसके अधिकारी कितनी जल्दी किसी प्रोजेक्ट को पास करते हैं इस आधार केंद्र सरकार राज्यों की रेटिंग करेगी। सरकार कहती है कि ‘व्यापार करने में सुगमता’ यानी ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस का उद्देश्य हासिल करने के लिये वह ऐसा कर रही है। हालांकि पर्यावरण के जानकार इससे खुश नहीं हैं और उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी स्थित में पर्यावरणीय अनुमति बस एक औपचारिकता बनकर रह जायेगी। सरकार ने इससे पहले पर्यावरणीय सहमति के लिये समय सीमा को घटाकर 105 दिनों से 75 दिन कर दिया था। 

तेजी से हरित मंजूरी पर राज्यों को रेट करने के केंद्र के फैसले से पर्यावरणविद नाराज़ 

भारत सरकार अब राज्यों की इस आधार पर  रेटिंग करेगी कि उनके पर्यावरण मूल्यांकन प्राधिकरण पर्यावरण मंजूरी देने में कितने कुशल हैं। यह सरकार के ‘व्यापार सुगमता (ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस)’ लक्ष्य को बढ़ावा देने के प्रयासों का हिस्सा है। हालांकि पर्यावरणविदों ने सरकार से इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की है क्योंकि उनका मानना ​​है कि यह पर्यावरण अनुपालन को केवल एक औपचारिकता बना देगा। सरकार ने पहले पर्यावरण मंजूरी मिलने के औसत समय को 105 दिनों से घटाकर 75 दिन कर दिया था।

अत्यधिक जल दोहन से दिल्ली-एनसीआर में ज़मीन खिसकने का ख़तरा 

दिल्ली-एनसीआर के इलाके में अत्यधिक भू-जल के दोहन से ज़मीन के धंसने का ख़तरा है। एक नये अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली एन सी आर के 100 वर्ग किलोमीटर के इलाके में यह ख़तरा बहुत अधिक है जिसमें 12.5 वर्ग किलोमीटर का कापसहेड़ा वाला क्षेत्र शामिल है। यह इलाका एयरपोर्ट से बस 800 मीटर की दूरी पर है। यह रिसर्च आईआईटी मुंबई, कैंब्रिज स्थित जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंस और अमेरिका स्थित साउथ मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है जिसमें कहा गया है कि  एयरपोर्ट के आसपास के इलाके में ज़मीन के धंसने की रफ्तार बढ़ रही है। महिपालपुर के पास 2014-16 के बीच डिफोर्मिटी की जो रफ्तार थी

फोटो: New Indian Express

हरित न्यायालय ने कहा, सरकार फ्लाई ऐश के निस्तारण और उपयोग की निगरानी के लिए स्थापित करे मिशन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने केंद्र से जले हुए कोयले के पर्यावरणीय रूप से खतरनाक अवशेषों के वैज्ञानिक उपयोग और निस्तारण की निगरानी के लिए फ्लाई ऐश प्रबंधन और उपयोग मिशन स्थापित करने को कहा है और यह भी निर्देश दिया है कि इसका पालन नहीं करने वाले कोयला संयंत्रों पर सख्त कार्रवाई करें। फ्लाई ऐश के सालाना निस्तारण की निगरानी के अलावा यह मिशन इस पर भी नज़र रखेगा कि थर्मल पावर प्लांट, कम से कम खतरनाक तरीके से, बड़े पैमाने पर 1,670 मिलियन टन ‘लिगेसी फ्लाई ऐश’ (थर्मल पावर प्लांट्स द्वारा लंबे समय से निर्मित फ्लाई ऐश) का निस्तारण कैसे करते हैं। 

यह मिशन ऊर्जा, कोयला और पर्यावरण मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों और राज्यों के मुख्य सचिवों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित होगा। मिशन को एनजीटी की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार लिगेसी फ्लाई ऐश के उपयोग और निस्तारण के लिए एक रोडमैप तैयार करना होगा। एनजीटी का आदेश 2020 की उस घटना के बाद आया है जब मध्य प्रदेश के सिंगरौली में सासन अल्ट्रा परियोजना में राखड़ बांध (फ्लाई ऐश डाइक) के टूटने के कारण  तीन बच्चों सहित छह लोग मारे गए थे। विभिन्न बिजली संयंत्रों में डाइक टूटने की ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें आसपास के ग्रामीणों के खेत और संपत्ति नष्ट हो गई है।

वायु और भूजल को ‘बड़ी मात्रा में’ प्रदूषित कर ही हरियाणा की 15 औद्योगिक इकाइयां बंद की गईं

भारत के हरित न्यायालय (एनजीटी) ने हरियाणा में पंद्रह रासायनिक औद्योगिक इकाइयों को वायु और भूजल को ‘बड़े पैमाने पर’ प्रदूषित करने के लिए बंद कर दिया है। यह कंपनियां बिना पर्यावरण मंजूरी (ईसी) और आवश्यक सुरक्षा उपायों के फॉर्मलाडेहाइड का निर्माण कर रही थीं। इन 15 औद्योगिक इकाइयों में से 10 यमुनानगर जिले में, दो झज्जर में, दो करनाल में और एक अंबाला में स्थित है। इन फैक्ट्रियां की चिमनियों से संघनन के दौरान बड़ी मात्रा में भाप निकलती है जो वायु प्रदूषण बढ़ाती है। रिपोर्ट ने यह भी पाया कि कुछ इकाइयों में भूमिगत टैंकों से कैंसरयुक्त मेथनॉल के रिसाव को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी, कैंसर से होने वाली राष्ट्रीय मौतों में से 39% हरियाणा राज्य में होती हैं।

 केंद्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के एक पैनल ने 25 अगस्त, 2021 को दायर उनकी रिपोर्ट में विसंगतियां पाईं। पर्यावरण वकील शिल्पा चौहान ने अवैध संचालनों की अनुमति के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दोषी ठहराया है। चौहान ने डाउट टु अर्थ को बताया, “अब, उसी बोर्ड को एनजीटी द्वारा उल्लंघनों को देखने का काम सौंपा गया है,” 

फसल अवशेष जलाने से होने वाला सेकेंडरी पार्टिकुलेट मैटर लंबी दूरी तय करता है: IIT अध्ययन

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों के नए शोध के अनुसार, 2013 और 2014 के अक्टूबर और नवंबर के महीनों के दौरान फसल अवशेष जलाने का पीएम 2.5 के कंसंट्रेशन में हिस्सा दिल्ली में लगभग 31% (15% से 47% की रेंज में) और कानपुर में 6% से 36% की रेंज में लगभग 21% था। शोधकर्ताओं ने हिन्दुस्तान टाइम्स अख़बार को बताया कि अध्ययन में पाया गया कि पराली जलाने से सेकेंडरी पार्टिकुलेट मैटर बढ़ता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि वाष्प और गैसें जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, गैर-मीथेन हाइड्रोकार्बन और गैर-मीथेन वाष्पशील कार्बनिक यौगिक जब गंगा बेसिन से होकर गुज़रते हैं तो फोटोकैमिकल प्रतिक्रियाओं के माध्यम से पार्टिकुलेट मैटर में बदल जाते हैं। यही कारण है कि पीएम2.5 के कंसंट्रेशन में उनका योगदान अधिक होता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि आम तौर पर अध्ययन केवल फसल अवशेषों को जलाने से पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन की ही बात करते हैं। लेकिन यह पेपर इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि फसल अवशेष जलाने से निकलने वाली गैसें और पार्टिकुलेट मैटर कानपुर तक की लंबी दूरी कैसे तय करते हैं।

अध्ययन की अवधि के दौरान, पीएम2.5 के कंसंट्रेशन में फसल अवशेष जलाने का योगदान दिल्ली में औसतन 72 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और कानपुर में 48 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। अक्टूबर और नवंबर के दौरान दिल्ली में पीएम2.5 का औसत कंसंट्रेशन 246 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (117 से 375 की रेंज में) और कानपुर में 229 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (115 से 343 की रेंज में) था।

चीन ने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को शामिल कर बढ़ाया वायु प्रदूषण नियंत्रण का दायरा

रॉयटर्स ने बताया कि चीन डेटा गुणवत्ता और निगरानी में सुधार की एक नई पहल के अंतर्गत प्रमुख औद्योगिक सेक्टर्स और क्षेत्रों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने की कार्रवाई करने का दबाव बनाएगा।

प्रारंभिक कार्यक्रम के तहत, चीन के कुछ सबसे बड़े कोयले से चलने वाले बिजली प्रदाताओं, स्टील मिलों और तेल और गैस उत्पादकों को इस साल के अंत तक व्यापक नई ग्रीनहाउस गैस नियंत्रण योजना तैयार करनी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक को वायु प्रदूषकों की निगरानी के अनुरूप कार्बन उत्सर्जन मापने की प्रक्रिया को बढ़ाने की जरूरत है ताकि राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा 2060 तक कार्बन न्यूट्रल बनने की प्रतिज्ञा को पूरा किया जा सके।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) के प्रमुख विश्लेषक लॉरी मिल्लीवर्ता ने कहा, “वायु प्रदूषकों के विपरीत, सीओ2 उत्सर्जन की रिपोर्टिंग में एक बड़ा अंतर है — ऐसी कोई नियमित रिपोर्टिंग नहीं है जो चीन के कुल उत्सर्जन का खुलासा करे।”

विश्लेषकों ने कहा कि वर्तमान में वायु प्रदूषकों की उत्सर्जन निगरानी और प्रकटीकरण की व्यवस्था का कार्बन डाइ ऑक्साइड के लिए विस्तार करना एक बहुत बड़ा कदम होगा।

फोटो: Blue Ocean Network

हरित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत को सकल घरेलू उत्पाद का 11% खर्च करना होगा, 40% खर्च नवीकरणीय ऊर्जा में होना चाहिए: मैकिन्से

कंसल्टेंसी फर्म मैकिन्से ने कहा कि 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए भारत को अगले 30 वर्षों के लिए सालाना औसतन $600 बिलियन, या अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11% खर्च करना होगा। ‘द नेट-जीरो ट्रांजिशन: व्हाट इट वुड कॉस्ट, व्हाट इट वुड ब्रिंग’ के शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में भौतिक परिसंपत्तियों पर वार्षिक पूंजीगत व्यय 2020 में लगभग 300 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2021 और 2050 के बीच औसतन 600 बिलियन डॉलर हो जाएगा। अधिकांश धन का उपयोग अक्षय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने और कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के उपयोग को कम करने के लिए किया जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि भारत के लिए जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों का जोखिम अपेक्षाकृत अधिक है, इसलिए भारत को जलवायु अनुकूलन उपायों में अन्य देशों की तुलना में अधिक निवेश करना पड़ सकता है। नेट-जीरो परिवर्तन के लिए ऊर्जा और भूमि उपयोग प्रणालियों की भौतिक परिसम्पत्तियों पर होने वाला प्रति वर्ष खर्च 2021और 2050 के बीच औसतन $9.2 ट्रिलियन (लाख करोड़), या वैश्विक स्तर पर संचयी रूप से $ 275 ट्रिलियन होगा। इसका मतलब मौजूदा स्तरों की तुलना में इसमें प्रति वर्ष $3.5 ट्रिलियन की वृद्धि होगी।

इरेडा को मिले 1,500 करोड़, एसईसीआई को 100 करोड़ रुपए का इक्विटी बूस्ट; पीएफसी, आरईसी ने की ब्याज दरों में 8.25% की कटौती

साफ ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नवीकरणीय परियोजनाओं की सरकारी फाइनेंसर भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) के लिए 1,500 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। अब इरेडा अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को ₹12,000 करोड़ का ऋण दे सकेगी। यह कंपनी अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक विशेष गैर-बैंकिंग वित्तीय एजेंसी के रूप में काम करती है।

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन जैसे राज्य के स्वामित्व वाले ऋणदाताओं ने अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक ऋण के लिए ब्याज दरों में 8.25% की कटौती की है।

सरकार ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के लिए भी एक हज़ार करोड़ रुपए (134.11 मिलियन डॉलर) की इक्विटी को मंजूरी दी। सरकार ने कहा कि इससे एसईसीआई सालाना 15 गीगावाट के आरई टेंडर जारी कर सकेगा।

रिलायंस अगले 10-15 वर्षों में गुजरात में 100 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करेगी

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड गुजरात में ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के लिये 5.6 लाख करोड़ रुपये (75 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) का निवेश करेगी। यह निवेश अगले 10 से 15 वर्षों में 100 गीगावाट अक्षय ऊर्जा परियोजना और हरित हाइड्रोजन इको-सिस्टम स्थापित करने के लिए होगा, पीवी पत्रिका ने बताया। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पहले ही कच्छ, बनासकांठा और धोलेरा में 100 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा बिजली परियोजना के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है। कंपनी के कच्छ में 4.5 लाख एकड़ जमीन की मांग की है।

आरआईएल सौर मॉड्यूल, इलेक्ट्रोलाइज़र, ऊर्जा-भंडारण बैटरी और ईंधन सेल जैसे आरई उपकरणों के लिए विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए अतिरिक्त 60,000 करोड़ रुपए (8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश करेगी।

चीन ने 2021 में पवन और सौर ऊर्जा क्षमता में किया 100 गीगावाट से अधिक का विस्तार

चीन की पवन और सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता में साल 2021 में 100 गीगावाट से अधिक का विस्तार हुआ है, राष्ट्रीय प्रसारक सीसीटीवी ने बताया। देश के ऊर्जा नियामक नेशनल एनर्जी एडमिनिस्ट्रेशन के आंकड़ों के मुताबिक, चीन की अपतटीय पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता पिछले साल 16.9 गीगावाट (जीडब्ल्यू) के विस्तार के बाद ‘दुनिया में पहले पायदान’ पर पहुँच गई है। चीन की वर्तमान अपतटीय (ऑफ शोर) पवन क्षमता 26.38गीगावाट है।

सिटी ए एम की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में पूरे विश्व ने जितनी अपतटीय पवन क्षमता का निर्माण किया उससे अधिक चीन ने अकेले  2021 में किया। चीन की कैबिनेट स्टेट काउंसिल ने दिसंबर 2021 में कहा कि नव स्थापित आरई परियोजनाओं और औद्योगिक कच्चे माल के उत्पादकों को अब ऊर्जा मात्रा और इंटेंसिटी कैप से छूट दी गई है।

रिकॉर्ड बिक्री: यूरोप में पहली बार बैटरी कारों ने बिक्री में डीज़ल कारों को पछाड़ दिया है। फोटो: Green Car Reports

यूरोप में पहली बार विद्युत कारों की बिक्री डीज़ल कारों से अधिक हुई

फाइनेंशियल टाइम्स के प्राथमिक आंकलन के हिसाब से यूरोप में पहली बार डीज़ल कारों के मुकाबले  इलैक्ट्रिक वाहनों की बिक्री अधिक हुई है। यूरोप के 18 बाज़ारों  – जिसमें यूके भी शामिल है – में जितने वाहन बिके उनका 20% से अधिक विद्युत वाहन थे जबकि डीज़ल कारों की बिक्री घटकर 19% हो गई। 

दिसंबर में पश्चिम यूरोप में करीब 1,76,000 बैटरी वाहन बिके । यह अब तक की रिकॉर्ड संख्या है और पिछले साल दिसंबर में बिके वाहनों की संख्या से 6 प्रतिशत अधिक है। इस दौरान यूरोपीय कार निर्माताओं ने कुल 1,60,000 डीज़ल कारें बेचीं। 

भारत: ई- बसों की मांग बढ़ाने के लिये सीईएसएल ने लॉन्च किया ग्रेंड चैलेंज 

कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज़ लिमिटेड (सीईएसएल) इलैक्ट्रिक बसों की मांग का अंदाज़ा लगाने के लिये एक ग्रैंड चैलेंड लॉन्च किया है। इसके तहत 5450 सिंगल डेकर और 130 डबल डेकर यूनिटों के लिये टेंडर निकाले जायेंगे। ये बसें सूरत, दिल्ली, बैंगलुरू, हैदराबाद और कोलकाता में उतारी जायेंगी। इस पहल का उद्देश्य बड़ी संख्या में इनका ऑर्डर कर इनकी कीमत कम करने का इरादा है। इसके लिये 5,500 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और बैटरी वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिये इसे दुनिया की सबसे बड़ी पहल के रूप में  प्रदर्शित किया जा रहा है।

Photo: fivethirtyeight.com

अदालत ने टाटा पावर को नहीं दी एनटीपीसी के साथ अनुबंध ख़त्म करने की अनुमति

दिल्ली उच्च न्यायालय ने टाटा पावर (टीपीडीडीएल) की एनटीपीसी के साथ बिजली खरीद समझौता रद्द करने की याचिका को ख़ारिज कर दिया है। टाटा पावर ने मांग की थी कि एनटीपीसी को 30 नवंबर, 2020 के बाद उत्तर प्रदेश में दादरी- I बिजली संयंत्र से बिजली लेने के लिए टीपीडीडीएल को बिल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। याचिका इस आधार पर दायर की गई थी कि संयंत्र ने 25 वर्षों से अधिक पुराना हो चुका है, जो कि सेंट्रल इलैक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) की गाइडलाइन द्वारा तय कार्यकाल है। इसलिये  इसलिए टाटा पावर अब सीईए के दिशानिर्देशों के तहत एनटीपीसी के साथ अपने बिजली खरीद समझौते से मुक्त है। हालांकि, राहत की किसी भी संभावना के बिना याचिका को खारिज कर दिया गया क्योंकि दिशानिर्देशों में कहा गया है कि समझौते को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों द्वारा परस्पर सहमति होनी चाहिए। एनटीपीसी ने यह भी कहा कि बिजली  मंत्रालय ने उसके संयंत्रों को 40 साल तक चलने की अनुमति दी है। 

चीन ने 2021 में रिकॉर्ड कोयला उत्पादन किया

चीन का कोयला उत्पादन 2020 में 4.7% बढ़कर 2021 में 4.07 बिलियन (407 करोड़) टन के साथ अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। सर्दियों के मौसम को देखते हुए और पिछले साल सितंबर में ईंधन की कमी से उत्पन्न होने वाले तीव्र बिजली संकट की पुनरावृत्ति से बचने के लिए चीन ने अपनी कोयला खदानों में उत्पादन दोगुना कर दिया। वास्तव में, चीन ने 2021 में इतने कोयले का खनन किया कि 21 जनवरी, 2022 को, इसकी कंपनियों के कोयला भंडार की मात्रा जनवरी 2020 की तुलना में 40  मिलियन (4 करोड़) टन अधिक थी। भारत के साथ-साथ चीन ने भी COP26 में कोयले से बिजली उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से कम करने पर प्रतिबद्धता ज़ाहिर की थी। लेकिन इसके बावजूद भी वहां कोयला खनन की होड़ लगी है।

यूएई ने दिया तेल और गैस ड्रिलर्स को जलवायु चर्चा में शामिल करने का सुझाव

यूएई के उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रमुख का सुझाव है कि 2023 में जलवायु परिवर्तन महासम्मेलन में ‘तेल और गैस उद्योग के विशेषज्ञों और पेशेवरों के सुझाव भी शामिल हों’। यूएई अगले साल सीओपी 28 की मेजबानी करेगा। यह टिप्पणी इस आधार पर की गई कि विश्व रातों-रात शून्य कार्बन ऊर्जा पर स्विच नहीं कर सकता है, और ‘आर्थिक प्रणाली को बहुत कम कार्बन के साथ भी कुशलता से चलाने के लिए’ तेल और गैस उद्योग के साथ परामर्श की आवश्यकता होगी। रोचक बात यह है कि संयुक्त अरब अमीरात जहां एक ओर 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य बना रहा है, वहीं 2030 तक वह तेल के उत्पादन को वर्तमान 4 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से बढ़ाकर 5 मिलियन बीपीडी कर देगा।