Vol 2, April 2022| हीटवेव, जंगलों में आग और पानी के लिये हाहाकार

Newsletter - May 2, 2022

गिरता जलस्तर : देश के बड़े जलाशयों में तेज़ी से घटता पानी चिन्ता का विषय है और यह 2019 के चेन्नई जलसंकट की याद दिला रहा है। फोटो - Down To Earth

ज़बरदस्त हीटवेव और मॉनसून पूर्व बारिश की कमी, देश के 140 बड़े जलाशयों के जलस्तर रिकॉर्ड गिरावट

भारत में चल रही ज़बरदस्त हीटवेव और मॉनसून पूर्व बारिश की भारी कमी के कारण देश के 140 बड़े जलाशयों में पानी काफी घट गया है। सेंट्रल वॉटर कमीशन ने जो आंकड़े जारी किये हैं उनके मुताबिक 17 मार्च के 50% के संचय के मुकाबले 21 अप्रैल को स्टोरेज लेवल 39% तक गिर गया था। यह हर सप्ताह 2-3% की गिरावट के बराबर है। 

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मानसून पूर्व बारिश में (19 अप्रैल तक) ‘बड़ी गिरावट’ दर्ज की गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, कच्छ और सौराष्ट्र में 1 मार्च से कोई बारिश नहीं हुई है जबकि मध्य महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में सामान्य बरसात दर्ज की गई है। केवल 8 ‘सब डिवीज़नों’ में ‘अधिक’ बारिश हुई है। 

फॉरेस्ट फायर से नष्ट होने वाली ज़मीन का क्षेत्रफल पिछले 5 साल में 122 % बढ़ा 

वेबसाइट फैक्ट चेकर ने जंगलों में लग रही आग के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इसके मुताबिक पिछले 5 साल में जनवरी से मार्च के बीच फॉरेस्ट फायर की चपेट में आने वाला क्षेत्रफल 122 % बढ़ा है। साल 2017 में जहां  मिलियन हेक्टेयर आग की ज़द में आया वहीं 2021 में  मिलियन हेक्टेयर में आग में जल गया। 

पिछले साल नवंबर तक सबसे अधिक आग की घटनायें (527) मध्य प्रदेश में हुईं थीं। इसके बाद छत्तीसगढ़ (305), उत्तराखंड(292), ओडिशा (234) और महाराष्ट्र (185) का नंबर है। 

गर्मी बढ़ने से एलर्जी का वक्त और तीव्रता बढ़ रही है  

गर्मी की वजह से फूल जल्दी खिलने लगे हैं और बसंत का अवधि बढ़ गई है। विज्ञान पत्रिका साइंस में छपे शोध के मुताबिक परागण  10 से 40 दिन जल्दी शुरू होता है और 5 से 15 दिन देर तक चलता है। शोधकर्ता कहते हैं कि इस कारण एलर्जी से प्रभावित होने वाले लोगों का कष्ट बढ़ रहा है क्योंकि यह अधिक परेशान कर रही है और ज्यादा दिनों तक होती है। वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से पराग अधिक बन रहा है। शोध बता रहा है कि इससे आने वाले वर्षों में सीज़नल एलर्जी बढ़ेंगी।  

दक्षिण अफ्रीका: मूसलाधार बारिश, बाढ़ से 450 मरे  

मूसलाधार बारिश और बाढ़ से इस महीने दक्षिण अफ्रीका में 450 लोगों की मौत हो गई और हज़ारों बेघर हो गये। यहां तूफान के बाद 48 घंटों में इतनी बारिश हो गई जितनी पूरे साल होती है और राष्ट्रपति साइरल रमाफोसा ने जलवायु परिवर्तन को इसका कारण बताया। साल की शुरुआत से ही देश का यह क्षेत्र कई  चक्रवातों की मार झेल रहा है।  जानकारों का कहना है कि मूलभूत ढांचे का अभाव, संचार प्रणाली का टूट जाना और बड़ी संख्या में अनधिकृत बसावटों के कारण इतनी संख्या में लोगों की मौत हुई है। आईपीसीसी की सह अध्यक्ष डेब्रा रॉबर्ट्स के मुताबिक इस मौसमी मार में गरीब सबसे अधिक प्रभावित हुये हैं। पूरी दुनिया में सीमेंट उत्पादन की 8% क्षमता का कारखाने हमारे देश में ही हैं और इसका ग्राफ ऊपर बढ़ रहा है। 

फर्ज़ी ख़बरें जलवायु परिवर्तन की लड़ाई को कर रही कमज़ोर

गलत सूचनायें और फर्ज़ी ख़बरें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को मुश्किल बनाती हैं।  जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी आकलन रिपोर्ट के तीसरे हिस्से में इस मुद्दे को लेकर चिन्ता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “जलवायु परिवर्तन के कारणों और परिणामों के बारे में गलत सूचनाएं हर जगह मौजूद हैं वो चाहें परंपरागत मीडिया हो या सोशल या नया मीडिया। इससे नुकसान यह हो रहा है कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी का जमीन पर पहुंचना काफी कम हो गया है।” इस बारे में विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है। 

बदलाव का सुझाव: संसदीय पैनल ने कहा है कि वन्य जीव सुरक्षा के लिये धार्मिक परम्पराओं और संरक्षण में एक सन्तुलन होना चाहिये। फोटो - The Wire

संसदीय पैनल ने वन्यजीव संरक्षण कानून में बदलाव के सुझाव दिये

जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थाई कमेटी ने हाथियों का व्यापार रोकने के लिये  वन्य जीव संरक्षण (अमेंडमेंट) बिल 2021 में बदलाव के सुझाव दिये हैं। पैनल ने कहा है कि राज्य और नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड में गैर-सरकारी सदस्य भी होना चाहिये। पैनल ने कहा है कि धार्मिक परम्पराओं और संरक्षण में एक सन्तुलन होना चाहिये। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि प्रस्तावित बिल व्यापार के खिलाफ हाथियों को मिले बचाव को कमज़ोर करता है। 

संसदीय पैनल की रिपोर्ट में वे नियम और शर्तें बताई गई हैं जो पकड़े गये और सुपुर्द किये गये जंगली जानवरों को दिये संरक्षण को कड़ा बनाती हैं।  पैनल ने कहा है कि कम से कम तीन वन्यजीव संस्थानों से गैर सरकारी सदस्यों और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लू डब्लू आई) के निदेशक या उनके द्वारा नामित सदस्य को वाइल्ड लाइफ बोर्ड्स में जगह मिलनी चाहिये। 

आरबीआई ने सीमेंट उद्योग से इमीशन घटाने के लिये सीसीएस जैसी ‘हरित’ टेक्नोलॉजी की पैरवी की 

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट में  सीमेंट उद्योगों से हो  रहे इमीशन को कम करने के लिये कार्बन कैप्चर जैसे प्रौद्योगिकीय खोजों की पैरवी की गई है। रिपोर्ट सीमेंट क्षेत्र के लिये इस “ग्रीन टेक्नोलॉजी” को एक “उत्साहवर्धक अवसर” बताती है। चीन के बाद भारत दुनिया में सीमेंट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। प्रधानमंत्री आवास, स्मार्ट सिटी मिशन और नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन जैसे कार्यक्रमों से सीमेंट की मांग बढ़ेगी। हालांकि कार्बन कैप्चर तकनीक को लेकर काफी विवाद रहा है और कई विशेषज्ञ इसे ग्रीन टैक्नोलोजी नहीं मानते हैं। 

भारत एक साल  के भीतर अपना यूनीफॉर्म कार्बन ट्रेडिंग मार्केट शुरू करेगा

भारत अपना खुद का यूनीफॉर्म कार्बन मार्केट लॉन्च करने की योजना बना रहा है। वह कार्बन क्रेडिट का सबसे बड़ा उत्पादक है। इकोनॉमिक टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक कार्बन ट्रेडिंग स्कीम को ध्यान में रखकर सरकार कानून में परिवर्तन कर सकती है। इस अख़बार ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि नई स्कीम के तहत व्यापार योग्य सभी वर्तमान सर्टिफिकेट आ जायेगें जो फिर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात नहीं किये जा सकेंगे। 

प्रदूषण पर लगाम: यूपी ने वायु प्रदूषण पर काबू के लिये एयरशेड प्रबंधन पर काम करने का फैसला किया है। फोटो - DNA

एयरशेड मैनेजमेंट की दिशा में यूपी ने की पहल

वायु प्रदूषण को काबू करने के लिये भौगोलिक और राजनैतिक सीमाओं के हिसाब से नहीं बल्कि प्रदूषण के फैलाव और मौसमी कारकों के हिसाब से प्लानिंग ज़रूरी है। इसे ही एयरशेड मैनेजमेंट कहा जाता है। यूपी एयरशेड मैनेजमेंट को अपनाने वाला देश का पहला राज्य है। इसके तहत साल 2027 तक वायु प्रदूषण का स्तर 45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तर प्रदेश का एयरशेड मुख्यत: गंगा का मैदानी क्षेत्र है जो साल में कुछ वक्त पंजाब और हरियाणा से आने वाले पराली प्रदूषण से भी प्रभावित होता है।  इसके तहत शहर में सूक्ष्म (माइक्रो लेवल) और पूरे राज्य के बड़े हिस्सों (मैक्रो लेवल) पर प्रदूषण को कवर किया जाता है। यूपी ने हाल ही में विश्व बैंक की मदद से एयरशेड प्रबंधन की ट्रेनिंग की थी। 

हीटवेव के बाद ‘तेज़ आंधी’ से एयर क्वॉलिटी ‘बहुत ख़राब’

देश के बाकी हिस्सों के साथ दिल्ली में ज़बरदस्त हीटवेव या लू का कहर है और कम से कम एक जगह में तापमान 46 डिग्री से अधिक हो गया। इसी चिलचिलाती गर्मी में मौसम विभाग ने धूल भरी आंधी का पूर्वानुमान किया है जिससे एयर क्वॉलिटी खराब हो सकती है। नोयडा में गुरुवार को एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 377 रहा यानी हवा ‘बहुत ख़राब’ श्रेणी में थी।

सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च  का पूर्वानुमान है कि हवा की गुणवत्ता सोमवार से बुधवार के बीच ख़राब होगी। विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्मियों में धूल प्रदूषण का एक बड़ा स्रोत है क्योंकि तेज़ धूप से मिट्टी सूख जाती है।  साल 2018 में किये गये एक शोध के मुताबिक दिल्ली में सड़क से उठने वाली धूल और निर्माण क्षेत्र के कारण गर्मियों की हवा में 38% पीएम 2.5 और 42% पीएम 10 होता है। सर्दियों में यही आंकड़ा 17 और 25 प्रतिशत रहता है। 

एनजीटी ने सरकार दिये इनडोर एयर क्वॉलिटी के लिये मानक बनाने के आदेश 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने सरकार से सार्वजनिक क्षेत्रों में इनडोर एयर क्वॉलिटी का नियमन  करने को कहा है। कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और संबंधित मंत्रालयों (जैसे शहरी विकास आदि) से इस पर काम करने को कहा। हरित अदालत ने कहा है कि इस विषय पर संयुक्ति समिति को महीने भर के भीतर अपनी पहली मीटिंग करनी चाहिये। कोर्ट ने आदेश दिया कि तीन महीने के भातर इसके लिये मानक तय किये जाने चाहिये। 

हरित ऊर्जा की ओर: 500 किलोवाट के सौर ऊर्जा संयंत्र द्वारा 100 किलोवाट एईएम इलेक्ट्रोलाइजर सरणी का उपयोग करके हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा। फोटो - BW Businessworld

भारत ने असम में स्थापित किया पहला हरित हाइड्रोजन संयंत्र

सरकारी कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड ने असम के जोरहाट में भारत का पहला शुद्ध हरित हाइड्रोजन संयंत्र शुरू किया है, जो प्रति दिन 10 किलोग्राम का उत्पादन कर सकता है। वेब पोर्टल मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार 500 किलोवाट के सौर ऊर्जा संयंत्र द्वारा 100 किलोवाट आयन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (एईएम) इलेक्ट्रोलाइजर सरणी का उपयोग करके हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा

कंपनी को की उम्मीद है कि भविष्य में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन प्रतिदिन 10 किलो से बढ़कर 30 किलोग्राम तक पहुंच जाएगा। 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना भारत का लक्ष्य है।

सीमा शुल्क लगने से पहले सौर आयात में आया 210% का उछाल

1 अप्रैल को मूल सीमा शुल्क लगने से पहले सौर मॉड्यूल आयात में 210% का उछाल दर्ज किया गया जो 2021 की पहली तिमाही में 3.13गीगावाट से बढ़कर 2022 की पहली तिमाही में 9.7गीगावाट हो गया। मेरकॉम ने बताया कि डेवलपर्स का कहना है कि आयातित उपकरणों जैसी दक्षता और गुणवत्ता प्राप्त करने हेतु स्थानीय विनिर्माण क्षमता में वृद्धि करने में अभी समय लगेगा।

बीसीडी लागू होने के बाद चीन से आयातित मॉड्यूल की लागत 40% बढ़ गई। मेरकॉम ने बताया कि इस तिमाही के दौरान जिंक्स सोलर शीर्ष सप्लायर था, जबकि ट्रिना, लोंगी और कैनेडियन सोलर अन्य शीर्ष सप्यालर रहे।

प्राकृतिक गैस हाइड्रोजन की तुलना में पहली बार कम हुई हरित हाइड्रोजन की लागत 

प्राकृतिक गैस की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि ने पहली बार प्राकृतिक गैस का उपयोग करके उत्पादित हाइड्रोजन की तुलना में हरित हाइड्रोजन की लागत को सस्ता कर दिया है। ब्लूमबर्ग एनईएफ के हाइड्रोजन विशेषज्ञ ने गणना की कि ‘एक किलोग्राम ग्रे हाइड्रोजन [प्राकृतिक गैस से बना] की लागत वर्तमान में यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में $6.71 है, जबकि हरित हाइड्रोजन के लिए $ 4.84- $ 6.68 प्रति किलोग्राम है”। 

2022 के अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने में 27 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश निर्धारित समय से पीछे: एम्बर

वैश्विक थिंक टैंक एम्बर ने एक अध्ययन प्रकाशित किया जिसमें कहा गया है कि चार भारतीय राज्य पहले ही 2022 के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को पार कर चुके हैं। भारत ने 2022 में 125गीगावाट तक पहुंचने का लक्ष्य रखा था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अन्य 27 राज्य अपने नवीकरणीय लक्ष्यों का आधा भी प्राप्त नहीं कर सके हैं और उन्हें बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।

एम्बर की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने मार्च 2022 तक 110 गीगावाट अक्षय ऊर्जा स्थापित की है। राजस्थान और गुजरात ने पिछले 6 महीनों में नवीकरणीय बिजली का सबसे अधिक विस्तार किया है।

ईवी कीर्तिमान पर नज़र: मुद्रित सौर पैनलों द्वारा संचालित टेस्ला में देश भर की यात्रा कर ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक इस कार के पिछले लंबी दूरी के रिकॉर्ड तक पहुंच सकते हैं। फोटो -Livemint

भारत: नीति आयोग ने बैटरी-एस-अ-सर्विस (BaaS) को बढ़ावा देने के लिए मसौदा बैटरी स्वैपिंग नीति जारी की

भारत के शीर्ष नियोजन निकाय ने 22 अप्रैल को राष्ट्रीय बैटरी स्वैपिंग नीति का पहला मसौदा जारी किया, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से विकास के लिए पूरे भारत में बैटरी-एस-अ-सर्विस (बीएएएस) उद्योग को बढ़ावा देना होगा। यह नीति भारत के बैटरी स्वैपिंग इकोसिस्टम के जोखिमों को कम करने हेतु महत्वपूर्ण नियामक, वित्तीय और तकनीकी मुद्दों पर ध्यान देगी। लेकिन यह बैटरी में उपयोग की जाने वाली केवल उन्हीं उन्नत रसायनिकियों को बढ़ावा देगी जो वर्तमान में फेम-II के तहत समर्थित ईवी बैटरी की तरह या उससे बेहतर हैं। परिचालन सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निर्माताओं के लिए यह अनिवार्य होगा कि इकाइयां बैटरी प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस) से लैस हों, जिससे थर्मल रनअवे (आग लगना) रोका जा सके। इसके साथ-साथ इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (IoT), रिमोट मॉनिटरिंग और इमोबिलाइजेशन सुविधाएं भी आवश्यक होंगी। 

इसके अलावा, बैटरी के जीवन चक्र संचालन की निगरानी निर्माताओं द्वारा एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईएन) के माध्यम से की जाएगी, और इकाइयों को एआईएस 156 (2020) और एआईएस 038 रेव 2 (2020) मानकों का पालन करना होगा। मसौदा नीति पर 5 जून, 2022 तक टिप्पणियां और सुझाव दिए जा सकते हैं।

मुद्रित सौर पैनलों द्वारा संचालित टेस्ला पर देशाटन करेंगे ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक

ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों की एक टीम मुद्रित सौर पैनलों द्वारा पूरी तरह संचालित टेस्ला पर देश की यात्रा करने की तैयार कर रही है। यह 84-दिवसीय यात्रा सितंबर 2022 से शुरू होगी और इसका उपयोग ईवी की संभावनाओं और जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाएगा। यह सौर पैनल एक सामान्य प्रिंटर द्वारा पीईटी प्लास्टिक पर मुद्रित किए जाएंगे — जिससे इस समय वाइन लेबल प्रिंट किए जाते हैं। इसकी कीमत केवल $10 प्रति वर्ग मीटर होगी। लेकिन जितना संभव हो उतनी सौर ऊर्जा सोखने के लिए 18 मीटर लंबे 18 पैनल बनाए जाएंगे। यह यात्रा वैज्ञानिकों को ऑस्ट्रेलिया भर के लगभग 70 स्कूलों में ले जाएगी और उन्हें उम्मीद है कि उनके प्रयासों से इलेक्ट्रिक वाहनों की सीमाओं को लेकर लोगों के मन में जो चिंताएं हैं उनपर वह पुनर्विचार करेंगे। यह यात्रा टेस्ला के पिछले लंबी दूरी के रिकॉर्ड के समान हो सकती है, जब 2017 में टेस्ला ओनर्स क्लब इटालिया ने एक बार चार्ज करके इसे 1,078 किमी तक चलाया था।

होंडा 2030 तक उत्तरी अमेरिका में बेचेगी 750,000-800,000 इलेक्ट्रिक वाहन

अग्रणी कार निर्माता होंडा मोटर कंपनी ने 2030 तक उत्तरी अमेरिका में 750,000-800,000 इलेक्ट्रिक वाहन बेचने का लक्ष्य रखा है। इन वाहनों को इसके तीन नए प्लेटफार्मों पर विकसित किया जाएगा, जिस पर होंडा जनरल मोटर्स (जीएम) के साथ काम करेगी। इस घोषणा के दो हफ्ते पहले होंडा ने वादा किया था कि वह दशक के अंत तक 30 नए ईवी मॉडल विकसित करने के लिए लगभग $40 बिलियन का निवेश करेगी। कंपनी अधिक परिचालन सीमा के लिए पारंपरिक लिथियम-आयन इकाइयों की बजाय सॉलिड-स्टेट बैटरी के उपयोग को प्राथमिकता दे सकती है।

भारत: टेस्ला प्रदान करेगी $1 बिलियन मूल्य के स्टोरेज सिस्टम
भारत के बढ़ते ऊर्जा बाजार में अपनी पैठ बनाने की योजना के अंतर्गत, टेस्ला पावर यूएसए ने घोषणा की है कि वह अगले दो से तीन वर्षों में अपने भारतीय ग्राहकों को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) पट्टे पर देगी। इस सेवा की वजह से ग्राहकों को अधिक महंगे केपेक्स (पूंजीगत व्यय) मॉडल के तहत खुद का बैटरी स्टोरेज सिस्टम स्थापित करने की बजाय केवल ऑपेक्स (परिचालन व्यय) का भुगतान करना होगा।

रूस पर घटती निर्भरता: उत्तरी सागर में ड्रिलिंग से 60 बिलियन क्यूबिक मीटर ईंधन प्राप्त हो सकता है, जो नीदरलैंड और जर्मनी की वार्षिक गैस खपत के आधे हिस्से की आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त होगा। फोटो - Pixabay

रूसी गैस आयात कम करने की दिशा में जर्मनी ने दी डच कंपनी को उत्तरी सागर में ड्रिल करने की अनुमति

रूस से गैस आयात बंद करने के प्रयासों को तेज करते हुए जर्मन सरकार ने पहली बार प्राकृतिक गैस के लिए उत्तरी सागर (वैडन सागर द्वीप समूह के 20किमी उत्तर) में ड्रिलिंग को मंजूरी दी है। यूक्रेन पर हमले के कारण रूस पर लगे यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के अंतर्गत जर्मनी रूसी गैस पर निर्भरता कम कर रहा है। जर्मन सरकार के फैसले से लगभग 60 बिलियन क्यूबिक मीटर ईंधन प्राप्त हो सकता है, जो नीदरलैंड और जर्मनी की वार्षिक गैस खपत के आधे हिस्से की आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त होगा। इस विवादास्पद क्षेत्र में निष्कर्षण की स्वीकृति डच कंपनी वन-डायस को मिली है और वह ‘जितनी जल्दी हो सके’ काम शुरू करना चाहती है। लेकिन डच वित्त मंत्रालय ने संकेत दिया है कि इस क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को इससे कोई महत्वपूर्ण नुकसान नहीं पहुंचेगा।

चीन ने बढ़ाया अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ते रूस से कोयले का आयात

ख़बर है कि चीन ने स्टील उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले रूसी कोयले के आयात को दोगुना से अधिक बढ़ा दिया है, जो पिछले मार्च में 550,000 टन से बढ़कर पिछले महीने 1.4 मिलियन टन हो गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से अलग-थलग पड़ता रूस बहुत कम कीमत पर अपने पड़ोसी देश को इस ईंधन की आपूर्ति कर रहा है। चीन कोकिंग कोल आयात करता है क्योंकि उसके घरेलू कोयला ग्रेड में इस्पात निर्माण के लिए उपयोग किए जाने हेतु पर्याप्त कैलोरी मान नहीं होता है। रूस को अलग-थलग करने की बढ़ती मांग के बीच इस खरीद को उचित ठहराते हुए चीन के उप विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच ‘द्विपक्षीय सहयोग में मजबूती और आंतरिक गतिशीलता’ का हवाला दिया। चीन थर्मल कोयले का उत्पादन भी बढ़ा रहा है, और रूसी कोकिंग कोयले की खरीद अभी भी इंडोनेशिया और मंगोलिया से आयातित कोयले से बहुत कम कीमतों पर कर रहा है।

अमेरिका: चुनावी वादे के विपरीत बाइडेन सरकार फिर से देगी सार्वजनिक भूमि पर ड्रिलिंग पट्टे 

बाइडेन सरकार ने घोषणा की है कि वह 145,000 एकड़ सार्वजनिक भूमि को तेल और गैस ड्रिलिंग के लिए फिर उपलब्ध कराएगी, बावजूद इसके कि राष्ट्रपति ने फरवरी 2020 में चुनाव अभियान के दौरान विशेष रूप से ऐसा नहीं करने के वादा किया था। उन्होंने कहा था, “और वैसे, संघीय भूमि पर अब कोई ड्रिलिंग नहीं होगी. नहीं होगी, नहीं होगी, नहीं होगी”। यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच ईंधन की वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण संभवतः घरेलू तेल और गैस की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए यह पट्टे जारी किए जाएंगे। हालांकि, इस बार नए पट्टों पर सरकार को देय रॉयल्टी बढ़ाकर राजस्व का 18.75% कर दी जाएगी, जो एक सदी से स्थिर 12.5% से अधिक है।

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.