फोटो: Andreas/Pixabay

मॉनसून की दस्तक के साथ ही राजधानी के कई हिस्से पानी में डूबे

मौसम विभाग के पूर्वानुमान से एक दिन पहले ही 28 जून को दिल्ली में मॉनसून ने दस्तक दी लेकिन शहर के कई हिस्से भारी बरसात से पानी में डूब गये। शहर में आईएमडी के बेस स्टेशन सफदरजंग में 24 घंटे में 228.1 मिमी बारिश दर्ज की गई जो 1996 के बाद से अब तक एक रिकॉर्ड है। जून के महीने में 1936 के बाद से अब तक कभी 24 घंटे में इतनी बारिश नहीं हुई। सुबह ढाई बजे से साढ़े पांच बजे के बीच तीन घंटों में  148.5 मिमी बारिश हुई। मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया। 

लंबे इंतज़ार के बाद अचानक मूसलाधार बारिश से राजधानी समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में अव्यवस्था फैली । पानी भरने से सड़कों पर ट्रैफिक जाम हुआ, रेल और फ्लाइट्स विलंबित और रद्द हुईं हालांकि एयर क्वॉलिटी में बारिश के कारण सुधार हुआ।  उत्तर और उत्तर पूर्व के कई हिस्सों में आने वाले दिनों में बरसात जारी रहेगी।

हीटवेव: भारत में करीब डेढ़ सौ लोगों की जान गई

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इस साल 1 मार्च से 18 जून के बीच पूरे भारत में अत्यधिक गर्मी के लंबे दौर ने कम से कम 143 लोगों की जान ले ली और 41,789 से अधिक लोग हीटस्ट्रोक से जूझ रहे हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के नेशनल गर्मी से जुड़ी बीमारियों और मौतों की निगरानी से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 36 मौतें हुईं, इसके बाद बिहार, राजस्थान और ओडिशा में लोगों की जान गई। 

मारे गये और बीमार लोगों की असली संख्या कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि राज्यों से सारे आंकड़े अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वह एक मार्च के बाद से हीटस्ट्रोक के कारण मारे गए और बीमार हुए लोगों का आंकड़ा प्रतिदिन भेजे।   

गर्मी से हज यात्रा में गई 1300 तीर्थयात्री मरे, करीब सौ भारतीयों की भी जान गई

सऊदी अरब में अत्यधिक गर्मी के बीच हज के दौरान 1,300 से अधिक तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई, जहां तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था। सऊदी अधिकारियों ने रविवार को मृतकों की संख्या की घोषणा की, जिससे पता चला कि अधिकांश मृतक अनधिकृत तीर्थयात्री थे जिनके पास आधिकारिक परमिट नहीं था और पर्याप्त आश्रय के बिना अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मारे गये लोगों में 98 भारतीय हैं। 

उधर पाकिस्तान में हीटवेव से सैकड़ों लोगों की जान चली गई। यहां की ईधी एम्बुलेंस सेवा ने कहा कि वह पिछले छह दिनों में लगभग 568 लोगों के शवों को कराची शहर के मुर्दाघर में ले गई – जो प्रति दिन 30-40 शवों की सामान्य दर से काफी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह खबर तब आई है जब शहर में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है, “उच्च आर्द्रता के कारण 49 डिग्री सेल्सियस तक गर्मी महसूस हो रही है”। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कराची के मुर्दाघरों में जगह की कमी हो रही है। लेख में कहा गया है कि गर्मी की लहर के बीच, कई निवासियों को “लंबे समय तक” “लोड शेडिंग” और बिजली कटौती सहन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

जलवायु संकट के कारण अत्यधिक गर्मी का चोट 60 करोड़ भारतीयों पर 

स्वतंत्र वैज्ञानिकों और संचारकों के समूह क्लाइमेट सेंट्रल का एक ताज़ा विश्लेषण बताता है कि इस साल अत्यधिक गर्मी की चोट दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी पर पड़ी जो कि जून मध्य में मानव जनित जलवायु संकट के कारण तीन गुना अधिक हो गई। अनुमान है कि 16 जून से 24 जून के बीच भारत में लगभग 61.9 करोड़ लोग हीटवेव से प्रभावित हुए और 40,000 से अधिक लोगों को लू का सामना करना पड़ा। इसमें कहा गया है कि चीन में लगभग 57.9 करोड़ मिलियन लोग प्रभावित हुए, जबकि इंडोनेशिया में यह संख्या 23.1 करोड़ थी। 

क्लाइमेट सेंट्रल और क्लाइमेट ट्रेंड के नये विश्लेषण में यह भी पता चला है कि भारत में 25 डिग्री न्यूनतम तापमान वाली रातों की संख्या में 50 से 80 तक बढ़त हुई है। यह विश्लेषण बताता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में रात्रि तापमान में चिंताजनर वृद्धि हुई है क्योंकि यह दुनिया के उन देशों में जहां जलवायु संकट का सर्वाधिक प्रभाव पड़ेगा। विश्लेषण में कहा गया है कि केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, जम्मू और कश्मीर और आंध्र प्रदेश में 2018 से 2023 के बीच हर साल 50 से 80 दिन बढ़ गए जिनमें न्यूनतम रात्रि तापमान की इस 25 डिग्री की दहलीज़ को पार किया। 

मुंबई में रात्रि तापमान में सर्वाधिक बदलाव देखा गया जहां अधिक गर्म रातों की संख्या में 65 की वृद्धि हुई। वैज्ञानिक बताते हैं कि हमारे शहर हीट-आइलैंड बन रहे हैं जो दिन में सूरज की गर्मी को सोखते हैं और रेडिएशन को बाहर निकलने नहीं देते। गर्म होती रातों के साथ मानव स्वास्थ्य को भारी नुकसान होगा जो कि उनके दैनिक व्यवहार में नज़र आ सकता है।    

मैक्सिको, दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका में जलवायु परिवर्तन के कारण लू हुई और भी अधिक जानलेवा

हाल ही में दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका, मैक्सिको और मध्य अमेरिका में जो प्रचंड गर्मी पड़ी। इसके हानिकार प्रभावों की संभावना 35 गुना अधिक थी और कोयले, तेल और प्राकृतिक गैस के दहन से यहां तापमान 1.4 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। 

न्यूज़वायर ने बताया कि वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में हाल में पड़ी गर्मी में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का पता लगाया गया, जिसने अब तक “कम से कम” 125 लोगों की जान ले ली है। जलवायु परिवर्तन के कारण रात का तापमान भी असामान्य रूप से उच्च हो गया, जो सामान्य की तुलना में 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था – और यहां किसी ‘शाम को  असामान्य गर्मी’ 200 गुना अधिक होने की संभावना थी।

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