जिस प्रकार प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन समुद्री जीवन के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं उसी तरह मानव जनित शोर भी समुद्री दीवों को प्रभावित कर रहा है। समुद्र में ही नावों का ट्रैफिक, मछली पकड़ने की मशीनें, पानी के अंदर तेल और गैस का उत्खनन, समुद्र तटों पर निर्माण और अन्य मानवीय गतिविधियां समुद्री जीवों के लिए एक दूसरे का सुनना दूभर कर रही हैं
समुद्र के भीतर ध्वनि पारिस्थितिकी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि समुद्री जानवर शिकार को पकड़ने, साथियों को आकर्षित करने और अपने क्षेत्र की रक्षा करने के लिए ध्वनि का उपयोग करते हैं
यह रिपोर्ट ‘‘द साउंडस्केप ऑफ द एंथ्रोपोसीन’’ शीर्षक से साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसने 500 से अधिक अध्ययनों का विश्लेषण किया है जिन्होंने समुद्री जीवन पर शोर के प्रभाव का अध्ययन किया है। लगभग 90% अध्ययनों में समुद्री स्तनधारियों, जैसे व्हेल, सील और डॉल्फ़िन को काफी नुकसान पहुंचा, और 80% में मछली और अकशेरुकी पर प्रभाव पाया गया।
“कई समुद्री प्रजातियों के लिए, संवाद करने की उनकी कोशिशों को उन ध्वनियों से ढक दिया जा रहा है जो मनुष्यों ने पैदा की हैं,” सऊदी अरब के रेड सी रिसर्च सेंटर के समुद्री पारिस्थितिक विशेषज्ञ और पेपर के सह-लेखक कार्लोस डुटर्ट ने कहा। उनके मुताबिक लाल सागर दुनिया के प्रमुख शिपिंग गलियारों में से एक है, जो एशिया, यूरोप और अफ्रीका की यात्रा करने वाले बड़े जहाजों से भरा है। कुछ मछली और अकशेरूकीय अब नीरव क्षेत्रों से बचते हैं, क्योंकि ध्वनि प्रभावी रूप से उनके लाल सागर निवास स्थान को खंडित करती है।
पिछले 50 वर्षों में, शिपिंग में वृद्धि होने के कारण प्रमुख मार्गों पर शोर का स्तर बढ़ चुका है। मछली पकड़ने के जहाज सोनार का उपयोग मछली के शोलों को खोजने के लिए करते हैं और नीचे के ट्रॉलर खड़खड़ाहट पैदा करते हैं। तेल रिसाव और अपतटीय पवन चक्कियों के निर्माण और संचालन से ध्वनि प्रदूषण भी होता है।
समीक्षा के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए जहाजों में शांत प्रोपेलर का इस्तेमाल करना चाहिये और इलेक्ट्रिक मोटर्स की गति को धीमा करना चाहिए।