अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी सरकार – खास तौर पर अमेरिकी ऊर्जा विभाग – से “ड्रिल, बेबी, ड्रिल” का नारा याद दिलाते हुए आग्रह किया है वह “तुरंत अभी” तेल और गैस की ड्रिलिंग करें। न्यूज़वायर रॉयटर्स ने सोशल वेबसाइट ट्रुथ सोशल पर ट्रम्प के पोस्ट के हवाले से यह ख़बर प्रकाशित की है। अमेरिकी ऊर्जा सचिव क्रिस राइट ने जवाब दिया: “हम इस पर काम कर रहे हैं!” एक अन्य पोस्ट में, ट्रम्प ने बड़े अक्षरों में लिखा: “सभी, तेल की कीमतें कम रखें, मैं देख रहा हूँ! आप दुश्मन के हाथों में खेल रहे हैं, ऐसा न करें।”
लेख में बताया गया है कि यह टिप्पणी “इस आशंका के बीच आई है कि ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों के बाद मध्य पूर्व से तेल और गैस के प्रवाह में व्यवधान के कारण ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती हैं”। रॉयटर्स ने बताया कि बाइडेन प्रशासन के दौरान अमेरिकी तेल उत्पादन पहले ही रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुका है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इन गर्मियों में ऊर्जा की लागत में वृद्धि अमेरिकी उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए विशेष रूप से कठिन साबित हो सकती है, क्योंकि यह लगभग उसी समय हो रही है जब डोनाल्ड ट्रम्प लगभग हर अमेरिकी व्यापारिक साझेदार पर अपने व्यापक, भारी टैरिफ की योजना बना रहे हैं।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक “अभी और अधिक कच्चा तेल निकालने की फ्रैकिंग कंपनियों की तत्काल कोई योजना नहीं है,” … इसके पीछे “कारकों की एक लंबी सूची” है, “वैश्विक आर्थिक मंदी से लेकर टैरिफ के दबाव और पहले से ही भरे बाजारों में नए कच्चे तेल की आपूर्ति की लहर” इसके कारण हैं।
ट्रम्प ने कहा कि चीन ईरानी तेल खरीद सकता है, अमेरिकी कच्चा तेल खरीदने का भी आग्रह किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि इजरायल और ईरान के बीच युद्ध विराम पर सहमति बनने के बाद चीन ईरानी तेल खरीदना जारी रख सकता है। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह कदम अमेरिकी प्रतिबंधों में ढील का संकेत नहीं है, रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया।
ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “चीन अब ईरान से तेल खरीदना जारी रख सकता है। उम्मीद है कि वो अमेरिका से भी खूब तेल खरीदेंगे।” यह बात उन्होंने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर बमबारी करने के आदेश देने के कुछ ही दिनों बाद कही।
तेल, गैस विस्तार में 70% योगदान 4 ग्लोबल नॉर्थ देशों का
कार्बनकॉपी की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 से 2035 के बीच तेल और गैस का जो विस्तार अनुमानित है, उसमें 70 प्रतिशत योगदान चार ग्लोबल नॉर्थ देशों — अमेरिका, कनाडा, नॉर्वे और ऑस्ट्रेलिया — का होगा। ऑयल चेंज इंटरनेशनल ने एक विश्लेषण में चेतावनी दी है कि यदि यह विस्तार जारी रहा, तो भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव असहनीय होना तय है।
यदि यह चार देश अपने विस्तार की योजनाएं रोक दें तो 32 अरब टन कार्बन उत्सर्जन टाला जा सकता है, जो दुनिया के सभी कोयला संयंत्रों के सालाना उत्सर्जन का तीन गुना है।
रिपोर्ट ने समृद्ध देशों को 2035 से पहले कड़े कदम उठाने की सलाह दी है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
होर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है ईरान, भारत समेत वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा पर मंडराया संकट
-
कोयला बिजलीघरों में बड़े निवेश की योजना लेकिन घोर जल संकट की चुनौती
-
कोयला आयात 7.9% गिरा, उत्पादन में 5% की वृद्धि
-
रूस के कोयला भंडार 5 सदियों के लिए पर्याप्त, भारत करेगा आयात
-
भारत ने पिछले साल किया 1.7 लाख करोड़ रुपए का थर्मल कोयला आयत: रिपोर्ट