सरकार चाहती है कि 2022 तक बैटरी बनाने की नई यूनिट्स को बढ़ावा देने के लिये 4000 करोड़ डॉलर (यानी करीब 2,80,000 करोड़ रुपये) का निवेश हो जिसके लिये देश-विदेश की कंपनियों से निविदायें आमंत्रित की जायेंगी।
सरकार का इरादा है कि अगले करीब 3 साल में बैटरी पावर क्षमता 40 GW तक हो जाये जिससे बैटरी वाहनों के बाज़ार को बड़ी ताकत मिलेगी। यह कोशिश पेरिस समझौते के उस वादे को पूरा करने की दिशा में है जिसमें 2022 तक 175 गीगावॉट साफ ऊर्जा का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा सरकार यह भी चाहती है कि 2030 तक वाहनों की कुल बिक्री में 30% संख्या बैटरी वाहनों की हो।
साफ ऊर्जा काफी है, नदियों को बर्बाद करने की ज़रूरत नहीं: WWF
वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (WWF) की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोत दुनिया में बिजली की ज़रूरत को पूरा करने के लिये काफी है और विश्व भर की नदियों को तबाह करने के लिये उन पर बड़े-बड़े बांधों का निर्माण करना ज़रूरी नहीं है। पेरिस में रिलीज़ की गई WWF रिपोर्ट कहती है कि सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोत पूरी दुनिया की 1,65,000 किलोमीटर लंबी नदियों को तबाह होने से बचा सकते हैं। भारत में भी बड़े बांधों का निर्माण एक विवाद का विषय रहा है जो नदियों, जंगलों और जैव विविधता की तबाही के साथ बड़ी संख्या में लोगों के विस्थापन की वजह बनते हैं।
साफ ऊर्जा अगले 5 साल में 80 GW बढ़ने की संभावना
एक सर्वे के मुताबिक उम्मीद है कि अगले 5 साल में भारत अपनी साफ ऊर्जा की क्षमता में 80 GW की वृद्धि कर लेगा। इसमें 47 GW सौर ऊर्जा, 21 GW पवन ऊर्जा होगी। सर्वे में यह भी कहा गया है कि इसके अलावा 8 GW रूफ टॉप सोलर पैनल से मिलेगी। उधर ऊर्जा के क्षेत्र में रिसर्च और विश्लेषण करने वाली एजेंसी इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एण्ड फिनांशियल एनालीसिस (IEEFA) का कहना है कि अगर भारत को 2022 तक निर्धारित 175 GW साफ ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को हासिल करना है तो उसे रूफ टॉप सोलर की दिशा में तेज़ी से काम करना होगा। अब तक भारत करीब 4 GW रूप टॉप सोलर पावर ही लगा पाया है जबकि उसने 2022 तक 40 GW रूफ टॉप सौर ऊर्जा का लक्ष्य रखा है।
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