पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक कार्यक्रम में घोषणा की कि भारत के 35 लाख वर्ग किलोमीटर तलछटी बेसिन में से 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल और गैस की खोज के लिए मंज़ूरी ली गई है। यह बेसिन का एक बड़ा हिस्सा है जिसे पहले “नो-गो” क्षेत्र के रूप में नामित किया गया था। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) के राउंड 9 में जमा की गई 38% निविदायें हाल ही में स्थापित “नो-गो” श्रेणी में आती हैं। दसवें दौर की बोली आयोजित करने की योजना है।
पुरी ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के भारत के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने घोषणा की, “हम इसे आसान बना रहे हैं।” प्रारंभिक निवेश की भी आवश्यकता नहीं है और सरकार भूकंपीय सर्वेक्षणों में मदद के लिए व्यवसायों को भुगतान करेगी।
लॉबीकर्ताओं के दबाव में यूके ने कार्बन कैप्चर परियोजनाओं के लिए £ 22 बिलियन की सब्सिडी जारी की
अंग्रेज़ी अख़बार गार्डियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कार्बन कैप्चर परियोजनाओं के लिए 22 बिलियन पाउंड की सब्सिडी प्रदान करने का यूके सरकार का कदम जीवाश्म ईंधन उद्योग के बढ़ते दबाव के चलते लिया गया। यूके के आधिकारिक पारदर्शिता रिकॉर्ड के अनुसार, बीपी, एक्सॉनमोबिल और इक्विनोर जैसी प्रमुख तेल और गैस कंपनियों ने कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (सीसीएस) पर चर्चा के लिए 2023 में हुई 44 विदेश मंत्रिस्तरीय बैठकों में से 24 में भाग लिया। यह एक महत्वपूर्ण वृद्धि है, यह देखते हुए कि 2020-22 के दौरान, तेल और गैस कंपनियां आम तौर पर सालाना सात से दस सत्रों में ही भाग लेते थे।
यूके की नीति पिछली कंजर्वेटिव सरकार की चार सीसीएस “क्लस्टर” बनाने की योजना पर आधारित है, जिसमें जीवाश्म ईंधन प्रयोग करने वाले उद्यमों और बिजली स्टेशनों द्वारा जारी CO2 के हिस्से को कार्बन कैप्चर के माध्यम से कैप्चर किया जाएगा। भूमिगत पाइपलाइनें बाद में निकाली गई गैस को भंडारण के लिए उत्तरी और आयरिश समुद्र के नीचे समाप्त हो चुके तेल और गैस भंडारों में ले जाएंगी।
बीपी तेल उत्पादन में नियोजित कटौती को कम करेगा
एनर्जी सेक्टर के अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ मूल्य के अंतर को कम करने के प्रयास में, अंतर्राष्ट्रीय पेट्रोलियम कंपनी बीपी दशक के अंत तक अपने तेल और गैस के उत्पादन को कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को छोड़ने जा रहा है। 2020 में, इस कंपनी ने नवीकरणीय ऊर्जा पर खर्च बढ़ाने और 2030 तक तेल और गैस के उत्पादन में 40% की कमी करने का लक्ष्य रखा।
पिछले साल फरवरी में कीमतों में तेज वृद्धि के बाद, लक्ष्य को पहले घटाकर 2019 के उत्सपादन स्तर से 25% कम कर दिया गया था, जिसका अर्थ है कि निगम प्रति दिन केवल लगभग दो मिलियन बैरल का उत्पादन करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब कंपनी औपचारिक रूप से लक्ष्य को छोड़ने की योजना बना रही है।
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