फोटो: @HP_SDRF/X

हिमाचल प्रदेश में अचानक आई बाढ़ में 78 लोगों की मौत, उत्तराखंड के 4 जिलों में भूस्खलन का अलर्ट

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में जुलाई की शुरुआत में 23 बार अचानक बाढ़ आई, उसके बाद बादल फटने की 19 घटनाएँ और 16 भूस्खलन हुए। इससे राज्य की स्थिति और भी खराब हो गई। पिछली 20 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से मरने वालों की संख्या बढ़कर 78 हो गई।

कम से कम 37 लोग अभी भी लापता हैं और 115 घायल हुए हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में बुनियादी ढाँचे को व्यापक नुकसान हुआ है। सबसे ज़्यादा प्रभावित मंडी ज़िले में, एक जगह हिमाचल कोऑपरेटिव बैंक की पहली मंज़िल पानी और मलबे से भर गई है। 8,000 की आबादी वाले इस कस्बे में यह इकलौता बैंक था।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने उत्तराखंड के चार ज़िलों — टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली – के लिए भूस्खलन की चेतावनी जारी की है। इस चेतावनी में 7 और 8 जुलाई को चमोली, ऊखीमठ, घनसाली, नरेंद्र नगर, धनोल्टी, डुंडा और चिन्यालीसौड़ सहित कई उप-विभागों में संभावित भूस्खलन की चेतावनी दी गई है।

नेपाल-चीन सीमा पर बाढ़ से तबाही, मानसरोवर यात्रा बाधित; क्यों गंभीर होते जा रहे हैं ऐसे हादसे

नेपाल के रसुवागढ़ी-टिमुरे क्षेत्र में 8 जुलाई 2025 को अचानक आई भीषण बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। चीन  की सीमा पर तिब्बत क्षेत्र में  लेहेन्दे (लखनदेई) नदी में अप्रत्याशित जलवृद्धि के कारण भोटे कोशी नदी का बहाव अचानक बहुत तेज हो गया, जिससे आई बाढ़ में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई और 19 अभी भी लापता हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार यह बाढ़ तिब्बत की एक सुप्राग्लेशियल झील के फटने से आई, जिसे उपग्रह चित्रों ने भी पुष्टि की है।

बाढ़ में नेपाल-चीन को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण फ्रेंडशिप ब्रिज और रसुवागढ़ी चेकपोस्ट पर स्थित मितेरी पुल बह गए। इसके चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा भी बाधित हो गई है। ट्रेकिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ नेपाल (टीएएएन) ने चीनी सरकार से वैकल्पिक मार्ग – तातोपानी, कोराला और हिल्सा – खोलने की मांग की है और नेपाल सरकार से वीज़ा प्रक्रिया को तेज करने का अनुरोध किया है।

बाढ़ के कारण 1,100 मीटर से अधिक सड़क बर्बाद हो चुकी है, 10 हाइड्रोपॉवर परियोजनाएं ध्वस्त हुई हैं, और स्थानीय ड्राइ पोर्ट भी ठप पड़ा है। संचार और बिजली सेवा बाधित है, जिससे बचाव कार्यों में कठिनाई हो रही है।

अब तक 150 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें 127 विदेशी नागरिक हैं, लेकिन खराब भूभाग और भारी उपकरणों की अनुपलब्धता राहत कार्यों को धीमा कर रही है।

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि फ्लैश फ्लड, यानी अचनाक आनेवाली बाढ़ की चेतावनी देना बेहद मुश्किल होता है, और जलवायु परिवर्तन के कारण यह और मुश्किल होता जा रहा है, फिर भी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह हादसा नेपाल और चीन के बीच रियलटाइम डाटा साझा न होने के कारण बिना चेतावनी के हुआ। 

जब तक नेपाली अधिकारी सतर्क होते, बाढ़ का पानी बेट्रावती तक पहुंच चुका थाआउटलुक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे यह स्पष्ट होता है कि नेपाल जैसे हिमालयी देशों में अर्ली वार्निंग सिस्टम (पूर्व चेतावनी प्रणाली) और सीमा-पार समन्वय की तत्काल जरूरत है।

जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों का तेजी से पिघलना, अनियमित मानसून और बेतरतीब बारिश के कारण ऐसे हादसों की  की संख्या बढ़ रही है और यह अधिक गंभीर भी हो रहे हैं। 

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते सायरन और रिवर गेज जैसी चेतावनी प्रणालियों में उपयुक्त निवेश नहीं किया गया, तो भविष्य की बाढ़ें और अधिक विनाशकारी होंगी।

देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश में बढ़ोतरी के बावजूद 33.5% जिले सूखे

देश के अधिकांश हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून ने गति पकड़ ली है और 8 जुलाई तक पूरे भारत में सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है।

हालांकि, लगभग 33.5 प्रतिशत जिलों में अभी भी कम या बहुत अधिक कमी है।

हालांकि जल्द ही गति बढ़ने की उम्मीद है, फिर भी इन क्षेत्रों पर कड़ी नज़र रखी जाएगी, क्योंकि कृषि गतिविधियाँ सबसे अधिक खतरे में होंगी।

रिडिफ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक इनमें से अधिकांश जिले बिहार में हैं, जहां 9 जुलाई तक 87 प्रतिशत जिलों में मानसून की कमी थी, इसके बाद असम (60 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (53.8 प्रतिशत), तमिलनाडु (52.6 प्रतिशत) और तेलंगाना (51.5 प्रतिशत) का स्थान है।

जून माह दुनिया का तीसरा सबसे गर्म महीना रहा: कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा

कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के विश्लेषण के अनुसार, जून दुनिया भर में तीसरा सबसे गर्म महीना रहा, जहाँ सतह का औसत तापमान 16.46°C रहा, जो पूर्व-औद्योगिक स्तर से लगभग 1.30°C अधिक था। जुलाई 2024 से जून 2025 के बीच की 12 महीने की अवधि पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.55°C अधिक थी।

विश्लेषण से पता चला है कि पश्चिमी और मध्य यूरोप के अधिकांश हिस्सों में जून 2025 में गर्म हवा का तापमान औसत से ज़्यादा दर्ज किया गया। पश्चिमी यूरोप में जून का महीना अब तक का सबसे गर्म महीना रहा। दक्षिणी दक्षिण अमेरिका में तापमान ज़्यादातर औसत से कम रहा। अर्जेंटीना और चिली में रिकॉर्ड ठंड रही। भारत और पूर्वी यूरोप में औसत से कम तापमान दर्ज किया गया।

टेक्सास में बाढ़ में कम से कम 161 लोग लापता, मृतकों की संख्या 109 हुई

टेक्सास में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद कम से कम 161 लोग अभी भी लापता हैं। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, “पिछले पाँच दशकों में आई सबसे घातक बाढ़ में मरने वालों की संख्या 200 से ज़्यादा होने की संभावना है।” साथ ही, यह भी बताया गया है कि 109 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जिनमें “दो दर्जन से ज़्यादा बच्चे” भी शामिल हैं।

यूरोन्यूज़ ने बताया कि धीमी गति के तूफ़ान के कारण भारी बारिश हुई जिससे नदियों में उफान आ गया और छोटे-छोटे शहर पानी से भर गए, जिसका पानी इतनी तेज़ी से बढ़ा कि कई लोग बच नहीं पाए। अधिकारियों ने इस घटना को ‘100 साल की सबसे बड़ी बाढ़’ बताया, हालाँकि, मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस हफ़्ते हुई बारिश का स्तर सामान्य से बिल्कुल अलग था। 

यूरो न्यूज़ के मुताबिक “मेक्सिको की खाड़ी में लगभग रिकॉर्ड तापमान, उष्णकटिबंधीय तूफ़ान बैरी के अवशेष और उसे बहा ले जाने वाली जेट स्ट्रीम की कमी के कारण टेक्सास में अत्यधिक नमी आ गई। यह एक चेतावनी का संकेत है कि यह बाढ़ ऐतिहासिक हो सकती है।”

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, टेक्सास के केरविल में जो सूखा पड़ा उसने इस क्षेत्र में आई घातक बाढ़ में योगदान दिया, क्योंकि सूखी मिट्टी पानी को नहीं रोक पाती जब वह बारिश के रूप में गिरता है। 

“जुलाई की शुरुआत में आसपास का काउंटी 100% सूखे की चपेट में था। विडंबना यह है कि इसी सूखे ने शुक्रवार को इस क्षेत्र में आई घातक बाढ़ को जन्म दिया।”

यूरोपीय संघ के देश वनों की कटाई के नियमों में चाहते हैं और अधिक कटौती

दिसंबर से, दुनिया में पहली बार लागू होने वाले वनों की कटाई के कानून के तहत, सोया, बीफ़ और पाम ऑयल जैसे उत्पादों को यूरोपीय संघ के बाज़ार में बेचने वाले संचालकों को यह प्रमाण देना होगा कि उनके उत्पादों से वनों की कटाई नहीं हुई है। 

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार ब्रुसेल्स ने पहले ही इसकी शुरुआत एक साल के लिए टाल दी है और अमेरिका सहित व्यापारिक साझेदारों और यूरोपीय संघ के देशों की आलोचना के बाद रिपोर्टिंग नियमों में कटौती कर दी है। रॉयटर्स ने बताया कि पत्र में यूरोपीय संघ के नियमों में वनों की कटाई के “कम जोखिम” वाले देशों से आयात को बाहर रखने का आह्वान किया गया है।

ब्लूमबर्ग के अनुसार, “जहां वनों की कटाई का जोखिम सबसे अधिक है, वहां वनों की कटाई को लक्षित करने के बजाय, यह विनियमन उन देशों पर असंगत नौकरशाही दायित्व थोपता है, जहां वनों की कटाई स्पष्ट रूप से नगण्य है।”

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