केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि 2030 तक देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की सालाना बिक्री एक करोड़ यूनिट तक बढ़ने की उम्मीद है, जिससे पांच करोड़ रोजगार पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अभी भारत में पंजीकृत ईवी की संख्या 30 लाख है और 2022 में ईवी की बिक्री में 300% की वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि भारत में 400 ईवी स्टार्ट-अप हैं और 2030 तक ईवी का बाजार 266 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
जी20 की अध्यक्षता कर रहे भारत ने समूह की बैठकों में खुद को तेज़ी से उभरते इलेक्ट्रिक चार्जर, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी निर्माण और बैटरी रीसाइक्लिंग के केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया है। अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने के लिए भारत सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि 2030 तक 40% बसें, 30% निजी कारें, 70% कमर्शियल वाहन और 80 प्रतिशत दोपहिया वाहन इलेक्ट्रिक होंगे।
इस बीच, दिल्ली में नई ईवी नीति बन रही है, जिसका ध्यान कथित तौर पर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने, दोपहिया ईवी की मांग बढ़ाने और सब्सिडी योजनाओं को और अधिक आकर्षक बनाने पर होगा।
बेहतर फंडिंग के लिए ईवी उद्योग को पीएसएल में शामिल कर सकती है सरकार
सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रायोरिटी लेंडिंग सेक्टर (पीएसएल) दिशानिर्देशों के अंतर्गत लाने के प्रस्ताव पर रिज़र्व बैंक के साथ चर्चा कर रही है। रायटर्स की एक रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया कि इस कदम से इस सेक्टर के लिए फंड जुटाना सस्ता हो जाएगा।
पीएसएल दिशानिर्देशों के अंतर्गत बैंकों को अपनी लोन बुक का 40% इन क्षेत्रों के लिए आवंटित करना होता है। वर्तमान में सात क्षेत्र — कृषि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई), निर्यात क्रेडिट, शिक्षा, आवास, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर और नवीकरणीय ऊर्जा — पीएसएल श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
वित्त मंत्रालय के उक्त अधिकारी के अनुसार यह प्रस्ताव ऊर्जा मंत्रालय से आया है और इसके लिए एक विस्तृत जांच-पड़ताल की आवश्यकता है, जो की जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि यह कदम इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग व्यापक रूप से बढ़ाने में सहायक होगा।
दिल्ली में कर्मचारियों की छंटनी के कारण रुका ईवी नीति 2.0 का काम
दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 के साथ-साथ, कैब एग्रीगेटर और प्रीमियम बस सेवा कार्यक्रम जैसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी अधर में लटके हैं क्योंकि राज्य के परिवहन विभाग के कई सलाहकारों, कंसल्टेंट्स और अन्य कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार कुल मिलाकर राज्य में लगभग 400 कर्मचारियों की नौकरी गई है, जिनमें 50 कर्मचारी परिवहन विभाग के भी हैं। यह नियुक्तियां कथित तौर पर एलजी की सहमति के बिना और आरक्षण नीतियों का उल्लंघन करके की गईं थीं।
परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि कैब एग्रीगेटर कार्यक्रम के लिए हितधारकों से बातचीत चल रही थी। कैब एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को रेगुलेट करने की मसौदा योजना की कुछ मुख्य बातें हैं टैक्सियों में अनिवार्य पैनिक बटन, आपातकालीन रेस्पॉन्स नंबर ‘112’ के साथ इंटीग्रेशन और चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों में ट्रांजीशन आदि।
हालांकि दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि रुकावटों के कारण काम की गति थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन सरकार जनता का काम रुकने नहीं देगी।
50 करोड़ की सब्सिडी लौटाने वाली पहली ईवी निर्माता बनी रिवोल्ट
फेम-II योजना के दिशानिर्देशों के उल्लंघन की जांच में दोषी पाए जाने के बाद, रिवोल्ट इंटेलीकॉर्प प्राइवेट लिमिटेड ने जुर्माने के रूप में केंद्र सरकार को ब्याज सहित 50.02 करोड़ रुपए लौटा दिए हैं। ग्राहकों को सस्ते दरों पर घरेलू निर्मित इलेक्ट्रिक वाहन उपलब्ध कराने की इस योजना के अंतर्गत, इस कंपनी को 44.30 करोड़ रुपए सब्सिडी के रूप में प्राप्त हुए थे।
भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) के संयुक्त सचिव हनीफ कुरैशी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि रतनइंडिया के स्वामित्व वाली यह कंपनी अब फेम योजना के तहत सब्सिडी का अनुरोध करने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते सरकार इसकी अनुमति दे।
सरकार द्वारा 10,000 करोड़ की फेम-II योजना के तहत घरेलू निर्माण के दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने के लिए 13 ईवी दोपहिया निर्माताओं की जांच की जा रही थी। इनमें से सात को फेम नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया था, क्योंकि इनके द्वारा निर्मित ईवी टू-व्हीलर्स में अनुमति से अधिक आयातित घटकों का प्रयोग किया गया था।
रिवोल्ट ने यह रिफ़ंड जारी कर दूसरी दोषी पाए गए निर्माताओं से बिल्कुल विपरीत रुख अपनाया है, जो सरकार के दावे से लड़ रहे हैं। कुरैशी ने कहा कि कुछ अन्य कंपनियों ने भी सब्सिडी लौटाने का इरादा जताया है और सरकार ने उन्हें कुछ और समय देने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सब्सिडी नहीं लौटाई गई तो मंत्रालय कानूनी कार्रवाई करेगा।
चीन में छोड़े गए इलेक्ट्रिक वाहनों का लगा ढेर, यूरोप में घटे ग्राहक
इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में तेजी से आ रहे बदलाव के कारण दुनिया का सबसे बड़े ईवी निर्माता चीन के लिए नई समस्याएं खड़ी हो गईं हैं। चीन के शहरों में पुराने और छोड़े जा चुके इलेक्ट्रिक वाहनों का ढेर लग रहा है। भारी सब्सिडी देकर चीन ईवी प्रयोग के मामले में विश्व में अग्रणी बन गया, लेकिन अब देश के पार्किंग लॉट्स में छोड़े गए बैटरी वाहनों की भरमार हो गई है। यह वाहन संभवतः टैक्सी सेवा देने वाली ऐसी कंपनियों द्वारा छोड़े गए हैं जो बंद हो चुकी हैं, या फिर इसलिए क्योंकि वे पुराने हो गए थे और ईवी निर्माता अब अधिक सुविधाओं और लंबी दूरी वाले नए वाहन लॉन्च कर रहे हैं।
दूसरी ओर, यूरोप में अधिकांश संभावित ग्राहक चीन के ईवी ब्रांड्स को नहीं पहचानते हैं। इन ब्रांड्स को यूरोप में अतिरिक्त लागत का सामना भी करना पड़ रहा है। यूरोप में इस साल अब तक बेचे गए इलेक्ट्रिक वाहनों में से 8% चीनी ब्रांड्स द्वारा बनाए गए थे, जो पिछले साल के 6% और 2021 के 4% से अधिक है। फिर भी, सर्वेक्षण बताते हैं कि यूरोप में अधिकांश संभावित ईवी खरीदार चीनी ब्रांड्स को नहीं पहचानते हैं। वहीं यूरोपीय निर्माताओं के मुकाबले चीनी वाहन बहुत सस्ते होते हैं, लेकिन लॉजिस्टिक्स, टैक्स, आयत शुल्क और यूरोपीय प्रमाणन मानकों को पूरा करने में अतिरिक्त लागत आती है जिससे उनके दाम बढ़ जाते हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
कम कीमत वाली रीसाइक्लिंग प्रणाली के कारण बैटरी रीसाइक्लिंग उद्योग को जोखिम: विशेषज्ञ
-
उपभोक्ता प्राधिकरण ने ओला इलेक्ट्रिक को भेजा नोटिस
-
सरकार ने ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए
-
सरकार ने ईवी को बढ़ावा देने के लिए शुरू कीं दो योजनाएं
-
ओला ने छोड़ा इलेक्ट्रिक कार बनाने का इरादा