सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2022 में 4 लाख से अधिक इकाइयों की बिक्री के साथ इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग ने रिकॉर्ड वृद्धि देखी। विभिन्न योजनाओं, छूट और कर लाभों के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाता रहा है। आगामी केंद्रीय बजट 2023 में इन प्रयासों के और गति प्राप्त करने की उम्मीद है।
इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की मांगों में से प्रमुख है बैटरी और अन्य पुर्जों पर जीएसटी दर कम करना, ताकि वाहन की कुल लागत को कम किया जा सके लिथियम-आयन बैटरी पर जीएसटी दर 18% है। साथ ही लिथियम के आयात पर आयात शुल्क और सीमा शुल्क भी लगाया जाता है।
अन्य मांगों में शामिल है फेम इंडिया और पीएलआई जैसी योजनाओं की समय-सीमा में विस्तार। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए 2015 में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम इंडिया) योजना शुरू की गई थी। योजना का दूसरा चरण 2019 में तीन वर्षों के लिए 10,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लागू किया गया था। इसका मतलब है कि यह योजना मार्च 2024 में समाप्त हो जाएगी।
भारत के ईवी उपभोक्ताओं के सामने आई अप्रत्याशित बाधा
देश के कई ईवी उपभोक्ताओं को एक बाधा का सामना करना पड़ रहा है। कई आवासीय सोसायटीस ईवी चार्जिंग पॉइंट स्थापित करने की इच्छुक नहीं हैं।
देश भर के विभिन्न रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) कई कारणों से ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने को लेकर संशय में हैं। कुछ मामलों में, उदाहरण के लिए, निवासियों को उनके आवंटित पार्किंग स्थलों में चार्जर स्थापित करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि तब केवल वही इसका उपयोग कर पाएंगे।
इसलिए, जब कोई भी निवासी ईवी खरीदता है तो इस प्रक्रिया को दोहराना होगा।
बिजली मंत्रालय द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बावजूद कि ईवी मालिकों के लिए अपने घरेलू बिजली कनेक्शन का उपयोग करके अपने ईवी को चार्ज करना कानून के दायरे में है, कई उपभोक्ताओं को उनके आरडब्ल्यूए ऐसा नहीं करने देते।
अन्य कारणों में आग लगने का जोखिम, ग्रिड पर लोड, चार्जिंग में लंबा समय, निवासियों द्वारा दीवारों में छेद करने की अनिच्छा, जागरूकता की कमी आदि शामिल हैं।
इसलिए, निजी चार्जिंग सुविधाओं पर एक कानूनी ढांचे और विशिष्ट दिशानिर्देशों की मांग की जा रही है, जो आरडब्ल्यूए के बीच जागरूकता की कमी को पूरा करे और ईवी खरीदारों को उत्पीड़न से बचाए
कुछ ईवी मालिकों ने इस तरह के उत्पीड़न के कारण अपनी सोसायटीस के खिलाफ मामले भी दर्ज कराए हैं।
मुंबई एयरपोर्ट पर लांच हुआ इलेक्ट्रिक वाहनों का पहला बैच
मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट (सीएसएमआईए) ने इलेक्ट्रिक वाहनों का अपना पहला बैच लांच किया है।
एयरपोर्ट पर जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों के मौजूदा बेड़े को बदलकर 45 बैटरी वाहन सेवा में लगाए गए हैं। सीएसएमआईए का यह प्रयास ‘कार्बन फुटप्रिंट को कम करने’ और ‘सतत परिवहन को बढ़ावा देने’ के प्रयास का हिस्सा है।
2029 तक ‘ऑपरेशनल नेट ज़ीरो मिशन’ के तहत एयरपोर्ट पर सभी जीवाश्म-ईंधन वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग का लक्ष्य रखा गया है। जनवरी में लांच किए जा रहे 45 इलेक्ट्रिक वाहनों के अलावा, सीएसएमआईए अगले वित्तीय वर्ष में 60 और इलेक्ट्रिक वाहनों की तैनाती के लिए प्रयासरत है, जिसमें एंबुलेंस, फॉरवर्ड कमांड पोस्ट, सुरक्षा और एयरसाइड ऑपरेशंस मेंटेनेंस यूटिलिटी वाहन शामिल हैं।
तमिलनाडु ने ईवी पर रोड टैक्स की 100% छूट को 2025 तक बढ़ाया
तमिलनाडु ने राज्य में पंजीकृत होने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर मोटर वाहन कर में दी जाने वाली 100% छूट को 2025 तक बढ़ा दिया है। राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स में100% की छूट की अवधि पहले 31 दिसंबर, 2022 को समाप्त हो गई थी।
साल 2022 में राज्य में लगभग 67,000 बैटरी वाहनों का पंजीकरण किया गया। इसी गति को जारी रखने के लिए अब 1 जनवरी, 2023 और 31 दिसंबर, 2025 के बीच पंजीकृत बैटरी वाहनों को रोड-टैक्स से मुक्त कर दिया गया है।
यह छूट परिवहन और गैर-परिवहन दोनों तरह के वाहनों पर लागू है। बैटरी वाहनों के प्रयोग को गति देने और ईवी इकोसिस्टम की सहायता करने के लिए, उद्योग ने राज्य सरकार से कुछ और वर्षों के लिए रियायतें देने का अनुरोध किया था।
कर में छूट से ईवी की ऊँची कीमतों में कटौती के अलावा, टैरिफ कम करने से पब्लिक चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार करने में मदद मिलेगी, जो ईवी अपनाने के मार्ग में एक बड़ी बाधा है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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