बिक्री में बढ़त के बावजूद भारत में सीमित है ईवी एडॉप्शन: आईईएफए

इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईएफए) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2023 के बीच केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों व सब्सिडी के कारण भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ी है, लेकिन वाहनों की कुल बिक्री में उनकी हिस्सेदारी अभी भी सीमित है।

रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता ईंधन इंजन वाहनों को प्राथमिकता देते हैं, दूसरी और बैटरी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी प्रमुख चुनौती रही है

सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक कारों की बिक्री में 30%, व्यावसायिक वाहनों में 70% और दो व तीन पहिया वाहनों में 80% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक वाहनों की हो। रिपोर्ट के अनुसार फेम-II योजना से दोपहिया ईवी की बिक्री में बढ़त मिली, पर 2023 के अंत तक इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 4% रही। निजी चारपहिया वाहनों की हिस्सेदारी मात्र 2% रही।

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि ईवी एडॉप्शन बढ़ाने के लिए विश्वसनीय चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, स्थिर नीतियां और दीर्घकालिक रोडमैप की जरूरत है। प्रत्येक ईवी सेगमेंट  के लिए अलग रणनीति जरूरी है।

महाराष्ट्र ईवी नीति: इलेक्ट्रिक वाहनों पर नहीं लगेगा टोल; हर 25 किमी पर चार्जिंग स्टेशन

महाराष्ट्र सरकार ने अपनी ईवी नीति 2025 अधिसूचित कर दी है, जिसका उद्देश्य 2030 तक नए वाहनों की बिक्री में ईवी एडॉप्शन को 30% तक बढ़ाना है। 

यह नीति 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2030 तक लागू रहेगी। ईटी एनर्जी वर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में पंजीकृत सभी इलेक्ट्रिक वाहनों को मोटर वाहन कर और पंजीकरण नवीनीकरण शुल्क से छूट मिलेगी तथा उन्हें राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल नहीं देना होगा।

साथ ही, हर 25 किमी पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना अनिवार्य किया गया है और सरकार सभी सेगमेंट के वाहनों पर सब्सिडी भी देगी।

देश में 72,000 चार्जिंग स्टेशन लगेंगे

पीएम ई-ड्राइव योजना के अंतर्गत सरकार देशभर में 72,000 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगीइकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार यह स्टेशन राष्ट्रीय व राज्यों के राजमार्गों, मेट्रो शहरों, टोल बूथ, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों और ईंधन स्टेशनों पर लगाए जाएंगे।

भारत सरकार चलाएगी 14,028 इलेक्ट्रिक बसें

केंद्र सरकार पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत प्रमुख शहरों को 14,028 इलेक्ट्रिक बसें आवंटित करेगी, जिसकी अनुमानित लागत 10,900 करोड़ रुपए है इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, बेंगलुरु को 4,500, दिल्ली को 2,500, हैदराबाद को 2,000, अहमदाबाद को 1,000 और सूरत को 600 बसें दी जाएंगी।

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