भारी उद्योग मंत्रालय के अनुसार, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम 2024 (ईएमपीएस 2024) को 30 सितंबर, 2024 तक बढ़ा दिया गया है। इसका कुल निवेश 500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 778 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह कार्यक्रम पहले 1 अप्रैल से 31 जुलाई, 2024 तक चलना तय हुआ था। इसके तहत भारत में ईवी एडॉप्शन को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
778 करोड़ रुपए के परिव्यय को दो हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें 769.65 करोड़ रुपए इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के डिमांड इंसेंटिव और सब्सिडी के लिए है, जबकि योजना प्रबंधन के लिए 8.35 करोड़ रुपए दिए हैं, जिसमें परियोजना प्रबंधन एजेंसी शुल्क और सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियां शामिल हैं। कार्यक्रम का संशोधित लक्ष्य 5,60,789 इलेक्ट्रिक वाहनों की सहायता करना है, जिसमें 60,709 इलेक्ट्रिक तिपहिया और 5,00,080 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन शामिल हैं। उन्नत तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव केवल उन्नत बैटरी से लैस ईवी के लिए उपलब्ध होगा। इस योजना के लिए फंड प्रत्येक परिभाषित श्रेणी में लक्षित वाहनों की संख्या तक ही सीमित है।
इलेक्ट्रिक वाहनों से खुश नहीं है 51% उपयोगकर्ता: सर्वे
दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में 500 इलेक्ट्रिक कार उपयोगकर्ताओं पर किए गए एक हालिया सर्वे में सामने आया है कि उनमें से 51 प्रतिशत वापस आईसीई (अंतर्दहन इंजन) वाहनों पर जाना चाहते हैं। सर्वे के अनुसार ईवी उपयोगकर्ताओं की प्रमुख समस्याएं हैं चार्जिंग स्टेशनों की कमी, नियमित मेंटेनेंस में सामने आने वाली परेशानियां और ईवी की ख़राब रीसेल वैल्यू।
आसानी से उपलब्ध, सुरक्षित और चालू चार्जिंग स्टेशनों की कमी 88% ईवी उपयोगकर्ताओं की परेशानी का सबब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 20,000 से अधिक चार्जिंग स्टेशनों के बावजूद ईवी मालिक मानते हैं कि यह स्टेशन आसानी से नहीं मिलते हैं। ज्यादातर ईवी मालिक 50 किमी की दूरी के भीतर ही यात्रा करते हैं।
जबकि 73% ईवी मालिकों की चिंता मेंटेनेंस की लागत को लेकर है।
फेम-III के तहत सब्सिडी चाहिए तो ईवी में लगाएं घरेलू उपकरण
भारी उद्योग मंत्रालय एक फेज्ड मैनुफैक्चरिंग प्रोग्राम (पीएमपी) पर हितधारकों के साथ चर्चा कर रहा है, जिसमें यदि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माताओं को प्रस्तावित फास्टर एडॉप्शन एंड मैनुफैक्चरिंग ऑफ़ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम-III) योजना के तहत सब्सिडी चाहिए तो उन्हें अधिक से अधिक घरेलू निर्मित पार्ट्स का प्रयोग करना होगा।
हितधारकों के साथ हालिया चर्चा में, मंत्रालय ने फेम-III में पीएमपी के तहत घटकों की संख्या 18 से घटाकर 12 करने का सुझाव दिया। पावर और कंट्रोल वायरिंग हार्नेस, कनेक्टर, मिनिएचर सर्किट ब्रेकर, इलेक्ट्रिक सुरक्षा उपकरण, लाइटिंग और बॉडी पैनल जैसे घटकों को सूची से हटा दिया गया है, इनका निर्माण अब घरेलू स्तर पर करना होगा।
इसके अलावा, मंत्रालय ने दोहराया कि ईवी के अन्य सभी हिस्सों, घटकों और सब-असेंबली को घरेलू स्तर पर निर्मित और असेंबल किया जाना चाहिए। मंत्रालय ने ऑटोमोबाइल कंपनियों से प्रस्तावित बदलावों पर फीडबैक मांगा है।
आर्थिक मंदी से निपटने के लिए चीन ने दोगुनी की ईवी सब्सिडी
चीन ने अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए पुराने मॉडलों को बदलने के लिए खरीदी गई इलेक्ट्रिक कारों पर सब्सिडी दोगुनी कर दी है। जो ग्राहक पारंपरिक कारों से इलेक्ट्रिक वाहनों पर स्विच करते हैं, उन्हें प्रति वाहन 20,000 युआन ($2,770) की सब्सिडी दी जाएगी। अप्रैल की शुरुआत में 10,000 युआन की सब्सिडी का प्रस्ताव था लेकिन अब उसे दोगुना कर दिया गया है। साल 2020 के बाद से इलेक्ट्रिक वाहन चीन की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। जून में चीनी ग्राहकों को 856,000 प्लग-इन हाइब्रिड और प्योर इलेक्ट्रिक कारों की सप्लाई की गई, जो पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 28.6% अधिक है।
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