एक नए सर्वे में चेतावनी दी गई है कि 2030 तक एयर कंडीशनर (एसी) भारत का सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाला उपकरण बन जाएगा। दिल्ली-स्थित थिंकटैंक आइ-फॉरेस्ट (iFOREST) की रिपोर्ट के अनुसार, 2035 तक एसी से होने वाला कुल उत्सर्जन दोगुने से अधिक बढ़कर 329 मिलियन टन CO2e तक पहुंच जाएगा। सर्वे में पाया गया कि केवल 2024 में ही एसी से 156 मिलियन टन CO2e उत्सर्जित हुआ, जो देश की सभी यात्री कारों के बराबर है।
इनमें से 52 मिलियन टन उत्सर्जन रेफ्रिजरेंट लीकेज से हुआ। आइ-फॉरेस्ट ने रेफ्रिजरेंट पर कड़ी निगरानी, राष्ट्रीय डेटाबेस और विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी लागू करने की सिफारिश की है। संस्था का मानना है कि इससे अगले दशक में 500-650 मिलियन टन उत्सर्जन रोका जा सकता है और उपभोक्ताओं को 10 अरब डॉलर तक की बचत होगी।
भारत में एसी की संख्या 2024 के 6.2 करोड़ से बढ़कर 2035 तक 24.5 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। सर्वेक्षण के अनुसार, 40% एसी हर साल रीफिल कराए जाते हैं जबकि यह आदर्श रूप से हर पांच साल में होना चाहिए। अकेले 2024 में उपभोक्ताओं ने 7,000 करोड़ रुपए रेफ्रिजरेंट रीफिल पर खर्च किए, जो 2035 तक चार गुना बढ़ सकता है।
1980 के स्तर पर लौटने की राह पर ओजोन परत: डब्ल्यूएमओ
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की नई रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी की सुरक्षात्मक ओज़ोन परत इस सदी के मध्य तक 1980 के दशक के स्तर पर लौटने की राह पर है। 2024 में अंटार्कटिका के ओज़ोन छिद्र का आकार पिछले वर्षों की तुलना में कम रहा। ओज़ोन बुलेटिन 2024 में कहा गया कि इस साल प्राकृतिक कारकों की वजह से क्षरण कम हुआ है, लेकिन दीर्घकालिक सुधार वैश्विक सहयोग की सफलता को दर्शाता है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत 99% हानिकारक रसायनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, परत की बहाली से कैंसर और इकोलॉजिकल नुकसान का खतरा घटेगा।
नेट-जीरो उत्सर्जन के लिए 2070 तक 10 ट्रिलियन डॉलर जरूरी: भारत
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि फाइनेंस क्लाइमेट एक्शन के लिए ‘निर्णायक’ है और विकसित देशों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे ग्लोबल साउथ अर्थव्यवस्थाओं को उत्सर्जन कम करने में सहयोग दें।
फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि भारत को 2070 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आवश्यकता होगी। उन्होंने वैश्विक फाइनेंस सिस्टम से अपील की कि वे निजी पूंजी उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाएं और पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करें। यादव ने कहा कि केवल सार्वजनिक वित्त से इतनी बड़ी चुनौती का सामना करना संभव नहीं है।
कॉप30: इस महीने जारी हो सकते हैं भारत, चीन के एनडीसी
ब्राज़ील में इस साल होने वाले कॉप30 शिखर सम्मेलन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एना टोनी ने कहा है कि भारत, चीन, यूरोपीय संघ और लैटिन अमेरिकी देशों की राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं, यानि नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन्स (एनडीसी) इस महीने के अंत तक घोषित होने की संभावना है। अब तक केवल 29 देशों ने ही अपने संशोधित एनडीसी प्रस्तुत किए हैं।
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु प्रमुख ने 24 सितंबर को न्यूयॉर्क में होने वाले उच्च-स्तरीय विशेष कार्यक्रम में देशों से अपने क्लाइमेट एक्शन प्लान प्रस्तुत करने का आह्वान किया है।
टोनी और कॉप30 अध्यक्ष आंद्रे अरान्हा कोर्या डो लागो ने हाल ही में भारत के कई अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और नीति आयोग के साथ हुई चर्चाएं बेहद सकारात्मक रहीं। इसमें क्लाइमेट फाइनेंस, अनुकूलन और ऊर्जा क्षेत्र पर भारत-ब्राज़ील सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श हुआ। टोनी ने कहा कि भारतीय अधिकारियों के साथ ब्राज़ील का एनडीसी भी साझा किया गया।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
वन्यजीव बोर्ड की बैठक में पुनर्वास और अवसंरचना परियोजनाओं पर चर्चा
-
रूस से तेल खरीद पर ट्रम्प भारत पर टैरिफ दोगुना करके 50% करेंगे
-
हसदेव अरण्य में कोयला खनन के लिए काटे जा सकते हैं और 3.68 लाख पेड़
-
कार्बन क्रेडिट: सरकार ने उद्योगों के लिए जारी किए उत्सर्जन लक्ष्य
-
संयुक्त राष्ट्र का जलवायु बजट 10% बढ़ाने पर सहमत हुए सभी देश, चीन का योगदान भी बढ़ा