हॉलैंड की एक अदालत ने देश की सबसे बड़ी तेल और गैस कंपनी, रॉयल डच शेल से कहा है कि वह अपने कार्बन उत्सर्जन पूरी तरह कम करे। सिर्फ उत्पादों की कार्बन तीव्रता कम करने से काम नहीं चलेगा। उसी मूल्य के उत्पाद को बनाने में पहले की तुलना में कार्बन उत्सर्जन की गिरावट को कार्बन तीव्रता कहा जाता है। बिजली कंपनियों के खिलाफ याचिका में यह एक ऐतिहासिक फैसला है। कोर्ट ने शेल को 2030 तक (1990 के स्तर के मुकाबले) अपने इमीशन 46% कम करने को कहा है। हालांकि शेल ने पूरी तरह इमिशन कम करने की बात ठुकरा दी है क्योंकि यह उत्पादन कम करके ही मुमकिन है।
विवादित अलास्का प्रोजेक्ट को बाइडेन दे सकते हैं मंज़ूरी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर्यावरण कार्यकर्ताओं और आदिवासियों के निशाने पर आ गये हैं क्योंकि यह बात सामने आ रही है कि अब तक अनछुये रहे अलास्का में तेल गैस ड्रिलिंग प्रोजेक्ट को सरकार मंज़ूरी दे सकती है। यह प्रोजेक्ट पहले ही विवादों में रहा है जिसमें अगले 30 साल तक प्रतिदिन एक लाख बैरल तेल निकालने की योजना है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे मंजूरी दी थी।
बाइडेन सरकार ने साफ ऊर्जा के लिये कई घोषणायें की हैं और इसने की-स्टोन एक्सएल प्रोजेक्ट को रद्द किया है। फिर भी अलास्का प्रोजेक्ट के लिये उसका आंकलन “उचित और कानून सम्मत” इन फैसलों से मेल नहीं खाता क्योंकि यह पर्यावरण को नष्ट करने के साथ आदिवासियों और वन्यजीवों के लिये काफी घातक होगा।
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