बिजली उत्पादन कंपनियों को अब यह पता चल सकेगा कि कौन सी वितरण कंपनी (डिस्कॉम) कितनी खस्ताहाल है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) अब इस बात का रिकॉर्ड रखेगी कि डिस्कॉम का बिजली उत्पादक कंपनियों पर कितना बकाया है। उत्पादन करने वाली कंपनियों के साथ प्राधिकरण लगातार वितरण कंपनियों की आर्थिक हालत के बारे में जानकारी देगा ताकि पता चल सके कि कौन सी डिस्कॉम को भुगतान में दिक्कत आ सकती है। ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि वितरण कंपनियों पर साफ ऊर्जा कंपनियों का ₹ 3,012 करोड़ से अधिक का बकाया है जो करीब 6,000 मेगावॉट बिजली क्षमता के बराबर है। कंपनियों को जानकारी देने और पारदर्शिता बनाने के लिये अब CEA ने एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है।
ढलान पर कोयला: एक साल में बिजलीघरों को कर्ज़ में 90% कमी
कोयला बिजलीघरों को दिये जाने वाले कर्ज़ में एक साल के भीतर 90% की कमी आई है। जहां साल 2017 में कुल 17,000 मेगावॉट क्षमता के कोल पावर प्लांट्स को ₹ 60,767 करोड़ का कर्ज़ मिला वहीं 2018 में केवल 3800 मेगावॉट के कोयला बिजलीघरों को ₹ 6081 करोड़ का कर्ज़ मिल पाया। दिल्ली स्थित सेंटर फॉर फाइनेंसियल अकाउंटबिलिटी (CFA)ने 54 एनर्ज़ी प्रोजेक्ट फाइनेंस का अध्ययन कर यह बात कही है। CFA की रिपोर्ट कहती है कि 2017 और 2018 के बीच साफ ऊर्जा के प्रोजेक्ट्स में कर्ज़ ₹ 1529 करोड़ से बढ़कर ₹ 22,442 करोड़ हो गई। कोयला बिजलीघरों को कर्ज़ देने वाले ज़्यादातर वित्तीय संस्थान सरकारी बैंक रहे जबकि निजी बैंकों का 80% फाइनेंस साफ ऊर्जा के संयंत्रों में लगा।
रुख बदला: आंध्र प्रदेश सरकार साफ ऊर्जा के सभी बिजली खरीद अनुबंध नहीं तोड़ेगी
केंद्र सरकार के दबाव और अदालत के कड़े रुख के बाद अब आंध्र प्रदेश सरकार ने अपना रुख बदलने के संकेत दिये हैं। राज्य में नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने साफ ऊर्जा कंपनियों के साथ पुरानी सरकार द्वारा किये गये सभी बिजली खरीद अनुबंध (PPA) निरस्त करने की घोषणा कर दी थी। केंद्र सरकार के आला अधिकारियों ने कहा है कि मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी का इरादा सारे अनुबंध रद्द करने का नहीं है वह केवल “भ्रष्ट और घोटाले में लिप्त” खरीद को कैंसिल करना चाहते हैं। इससे पहले पावर कंपनियों की याचिका के बाद आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट से राज्य सरकार के फैसले पर 22 अगस्त तक रोक लगा दी थी।
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