दिवाली से पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है। आठ मॉनिटरिंग स्टेशनों ने वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की है।
बुधवार को दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 278 दर्ज किया गया, जो मंगलवार को 268 था। हालांकि यह सोमवार को 304 और रविवार को 359 था। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में हवा की गति में उतार-चढ़ाव के कारण प्रदूषण का स्तर थोड़ा ऊपर-नीचे होता रहा है।
दिल्ली सरकार ने कहा कि उसने पटाखों पर प्रतिबंध को लागू करने के लिए 377 टीमें तैनात की हैं और अब तक 19,005 किलोग्राम पटाखे जब्त किए हैं।
पिछले कुछ दिनों से यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर लगातार उच्च बना हुआ है, और पानी में जहरीला झाग देखा जा सकता है। दिल्ली जल बोर्ड ने यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा अधिक होने के कारण कई हिस्सों में पानी कटौती की घोषणा की है। बिगड़ती वायु गुणवत्ता के कारण सांस संबंधी समस्याओं में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान सबसे अधिक है।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने में कमी लेकिन दिल्ली की हवा पर अब भी असर: रिपोर्ट
एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि 2019 से 2023 तक, हरियाणा और पंजाब में पराली दहन की घटनाओं में उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया है, जिसमें 2022 और 2023 में उल्लेखनीय कमी आई है। हालांकि, गिरावट के बावजूद, इन आग की घटनाओं से दिल्ली की वायु स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ा।
दिल्ली स्थित क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन दिनों में आग नहीं लगी थी, शहर का एक्यूआई औसतन 175 (‘मॉडरेट’) था। लेकिन, आग में उतार-चढ़ाव को देखते हुए, उसी पराली जलाने के मौसम के दौरान, एक्यूआई बढ़कर 233 यानी खराब (‘पुअर’) श्रेणी में हो गया। उन दिनों जब आग जलवायु संबंधी औसत से अधिक हो गई, एक्यूआई 337 (‘बहुत खराब’) तक बढ़ गया।
पराली जलाने वाले क्षेत्रों के संदर्भ में दोनों ही राज्य महत्वपूर्ण माना गया है। आग की इन घटनाओं से दिल्ली में हवा की गुणवत्ता काफी प्रभावित हुई है, खासकर मानसून के बाद के मौसम में। परिणामों से पता चला कि आग की घटनाओं में उत्साहजनक गिरावट आई है और दिल्ली की वायु गुणवत्ता को बढ़ाने में कठिनाइयाँ जारी हैं।
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मध्य प्रदेश जला रहा पंजाब हरियाणा से अधिक पराली
भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र (आईएआरआई) के आंकड़ों के अनुसार 19 से 25 अक्टूबर के बीच मध्यप्रदेश में पराली दहन की सबसे अधिक घटनाएं हुईं जबकि पराली जलाने के लिए बदनाम पंजाब और हरियाणा में यह संख्या कम थी। आईएआरआई के आंकड़े बताते हैं कि जहां पंजाब में इस दौरान 401 और हरियाणा में 192 घटनाएं दर्ज की गईं वहीं मध्यप्रदेश में पराली जलाने की 536 घटनायें हुईं।
उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी हरियाणा की तुलना में पराली जलाने की अधिक घटनाएं पाई गई। जहां यूपी में पिछले हफ्ते 192 मामले दर्ज किए गए, वहीं राजस्थान में 203 जगहों पर पराली जलाई गई। पिछले पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि पंजाब में पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है.
दिल्ली: गंदे पानी को साफ करने के लिए 32 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
दिल्ली जल बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दिये गये एक हलफनामे में कहा है कि वह गंदे पानी की सफाई के लिए 32 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगायेगा। ये ट्रीटमेंट प्लांट मास्टर प्लान 2031 के तहत उन इलाकों में लगाये जायेंगे जहां पानी को साफ करने की व्यवस्था नहीं है। दिल्ली जल बोर्ड का दावा है कि वह अभी करीब 60 करोड़ गैलन सीवेज़ का ट्रीटमेंट करता है हालांकि यमुना में होने वाले प्रदूषण का एक बड़ा कारण अनट्रीटेट सीवेज का इसमें छोड़ा जाना ही है। जल बोर्ड का कहना है कि योजना के तहत स्थापित किये जा रहे इन 32 प्लांट्स में एक सोनिया विहार में लगा है जो कि इसी महीने के अंत में काम करना शुरू कर देगा।
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