प्राकृतिक इतिहासकार डेविड एटनबरो अपने बीबीसी प्रकृति वृत्तचित्रों के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं। वह एक प्राकृतिक इतिहासकार और एक अंग्रेजी प्रसारक हैं। प्राकृतिक दुनिया के बारे में शानदार फिल्मों और पुस्तकों के साथ मानव जाति को शिक्षित करने में उनकी विलक्षण रचनात्मकता के लिए उन्हें जाना जाता है। मशहूर प्रकृतिवादी और प्रसारक सर डेविड एटनबरो आज 95 साल के हो गए है।
डेविड एटनबरो पर्यावरण को लेकर पिछली आधी सदी में मानवीय चेतना को सजग रखने वाले शख्सियत रहे हैं। सर डेविड ने अपनी विलक्षण रचनात्मकता से शानदार फिल्मों और किताबों के जरिए, प्राकृतिक दुनिया के बारे में मानव जाति को शिक्षित किया है। वर्तमान समय में वह सबसे संवेदनशील आवाज रहे हैं, जिन्होंने हमें चेतावनी दी है कि हम हमारे ग्रह पर पर्यावरण के खतरे के लिए जिम्मेदार हैं। डेविड एटनबरो रिचर्ड एटनबरो के भाई हैं। रिचर्ड एटनबरो ने ही दुनिया में चर्चित बापू के संघर्षों पर आधारित फिल्म ‘गांधी’ बनाई थी।
प्राकृतिक इतिहासकार
डेविड एटनबरो अपने बीबीसी प्रकृति वृत्तचित्रों (nature documentaries) के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं। वह एक प्राकृतिक इतिहासकार और एक अंग्रेजी प्रसारक हैं। प्राकृतिक दुनिया के बारे में शानदार फिल्मों और पुस्तकों के साथ मानव जाति को शिक्षित करने में उनकी विलक्षण रचनात्मकता के लिए उन्हें जाना जाता है। इसलिए, वह लिखने और बीबीसी नेचुरल हिस्ट्री यूनिट को प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी नौ प्राकृतिक इतिहास की डॉक्यूमेंट्री सीरीज़, जिसमें जीवन संग्रह है, जो एक साथ पृथ्वी पर जानवरों और पौधों के जीवन का व्यापक सर्वेक्षण करता है। अपने काम के माध्यम से, वह प्लेनेट की जैव विविधता को संरक्षित करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाते है ताकि हम सभी जीवन में एक स्थायी और सामंजस्यपूर्ण तरीके से रह सकें।
नई खोजी गईं स्पीसीज और पौधों में एक दर्जन से ज्यादा का नाम सर डेविड के नाम पर रखा जा चुका है। टीवी एग्जीक्यूटिव फिर वाइल्ड लाइफ फिल्म मेकर और अब 95 साल के सर डेविड दुनिया को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने वाले लोगों में शामिल हैं।
बचपन से ही कीड़े-मकोड़ों के जीवाश्म इकट्ठे करने के शौक
डेविड फ्रेडरिक एटनबरो का जन्म 8 मई, 1926 को वेस्ट लंदन के आइलवर्थ में हुआ था। उनके पिता फ्रेडरिक एटनबरो, लीसेस्टर विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय के प्राचार्य थे। डेविड का बचपन कॉलेज कैंपस में ही बीता। उन्हें बचपन से ही जीव-जंतुओं से लगाव था। जहां भी कोई कीड़ा मिल जाता, उसे उठाकर घर ले आते। कीड़े-मकोड़ों के जीवाश्म इकट्ठे करने के शौक के बाद उन्होंने घर में ही छोटा सा म्यूजियम बना लिया। कुछ समय बाद ब्रिटिश पुरातत्वेत्ता और लेखिका जेक्विटा हॉक्स डेविड के घर आईं, तो डेविड के कलेक्शन को देखकर खुश हुईं और वापस जाकर उसे समुद्री घोड़े भेजे। इन सब घटनाओं के बाद बचपन में ही डेविड ने तय कर लिया था कि वह प्रकृतिविज्ञानी (नैचुरलिस्ट) बनेगा।
आठ साल की उम्र में पिता ने तोहफे में फायर सलामांदर दिया। 16 साल की उम्र में डेविट लोकल ट्रेन पकड़कर जंतु विज्ञान पर होने वाले लैक्चर्स सुनने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम जाते थे। एटनबरो ने कॅरिअर की शुरुआत बीबीसी के साथ की। हालांकि पहली बार में वह रेडियो टॉक प्रोड्यूसर की नौकरी के लिए खारिज किए जा चुके थे। ब्रिटिश रॉयल नैवी में वर्ष 1947 से 1949 तक काम करने के बाद डेविड ने साल 1952 में ट्रेनी के तौर पर बीबीसी ज्वाइन किया। वर्ष 1954 में उन्होंने अपना पहला मशहूर टीवी शो ज़ू क्वेस्ट शुरू किया।
1950 में उन्होंने प्रोड्यूसर के तौर पर नौकरी शुरू की। उस वक्त वह बागवानी से जुड़े हुए प्रोग्राम बनाते। 1954 से 1963 के बीच उन्होंने लंदन जू के साथ मिलकर ‘जू क्वेस्ट’ नाम का प्रोग्राम बनाया। लंदन जू के संरक्षक के साथ मिलकर पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के जंगलों में शूटिंग करने के लिए जाते। लेकिन इस बीच उन्हें दूसरे काम भी करने पड़ते। 1967 में जब पहली बार टेलीविजन में कलर कॉन्सेप्ट आया, तब एटनबरो बीबीसी 2 के कंट्रोलर थे। इसके बाद उन्होंने 1970 में बीबीसी से इस्तीफा दे दिया और 1977 से टीवी सीरिज लाइफ ऑन अर्थ के लिए काम करना शुरू कर दिया।
छह दशकों से जीव-जंतुओं पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का काम कर रहे हैं
रवांडा में गोरिल्ला के साथ उनका शूट फेमस हुआ था। बीबीसी नैचुरल हिस्ट्री यूनिट की ओर से प्लेनेट अर्थ सीरिज में एटनबरो प्रेजेंटर रहे। नेचुरल हिस्ट्री पर आधारित उनकी टीवी डॉक्यूमेंट्री सिरीज़ ने दुनिया भर में तहलका मचा दिया। लाइफ़ ऑन अर्थ, द लिविंग प्लेनेट, द ट्रायल्स ऑफ़ लाइफ़, द ब्लू प्लेनेट और प्लेनेट अर्थ जैसे टीवी शो ने उन्हें लीज़ेंड बना दिया। वह दुनिया के इकलौते व्यक्ति हैं, जिसे ब्लैंक एंड वाइट, कलर, एचडी और 3 डी प्रोग्राम्स के लिए ब्रिटिश अकेडमी फिल्म अवॉर्ड्स (बाफ्टा) मिला। इसके अलावा भी उन्हें दुनिया भर के दर्जनों प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। ब्रिटिश पत्रकार डेविड एटनबरो को वर्ष 2019 का इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
32 उपाधियां की हासिल
डेविड एटनबरो के पास है 32 मानद उपाधियाँ विभिन्न ब्रिटिश विश्वविद्यालयों से। उसके पास कम से कम है पंद्रह नई खोजी गई प्रजातियां और जीवाश्म, और उनके सम्मान में एक जीनस का नाम दिया जा रहा है।
ये स्टोरी सप्रेस फीचर्स से साभार ली गई है।