कार्बन ऑफ़सेट: सावधानीपूर्वक प्रयोग से हो सकती है उत्सर्जन में कमी, लेकिन सुधार हैं जरूरी

भले ही यह निकट अवधि में कार्बन उत्सर्जन कम करने के एक कामचलाऊ उपाय के रूप में सफल रहा हो, लेकिन ऑफ़सेट के माध्यम से उत्सर्जन में होने वाली कमी जलवायु परिवर्तन की समस्या के अनुरूप नहीं है।

मध्य युग में सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाओं के उल्लंघन की घटनाएं अचानक तेज हो गईं। तत्कालीन सुधारवादियों ने समाज में फैली इस नैतिक अधमता के लिए कैथोलिक चर्च द्वारा बेचे जाने वाले ‘लेटर ऑफ़ इंडलजेंस’, या क्षमा-पत्रों को ज़िम्मेदार ठहराया। यह पत्र पैसे या दान देकर चर्च से खरीदे जा सकते थे और कहा जाता था कि इन पत्रों के धारकों के सभी पाप धुल जाएंगे। इस तरह यह खरीदार को प्रायश्चित के लिए एक आसान तरीका प्रदान करते थे।

आज का स्वैच्छिक कार्बन ऑफ़सेट बाजार भी बिलकुल ऐसा ही है। यह प्रदूषकों को पर्यावरण के साथ किए गए अपराध से मुक्ति का एक सुविधाजनक साधन प्रदान कर रहा है, और उन्हें उत्सर्जन के पापों से क्षमा का अधिकार मिल रहा है।

एक कामचलाऊ उपाय

कार्बन ऑफ़सेट एक तरह का क्रेडिट है जिसका मतलब है एक जगह उत्सर्जन कम करने के लिए पैसे देना ताकि कहीं और उतना ही उत्सर्जन किया जा सके। मसलन अगर किसीको एक मीट्रिक टन ग्रीनहाउस उत्सर्जन करना है तो वह किसी और को इतना ही उत्सर्जन सोखने या कम करने के लिए भुगतान करे।

ऐसा आम तौर पर निम्न माध्यमों से किया जाता है: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं (सौर, पवन, हाइड्रो, या बायोमास) में निवेश करके; एलईडी बल्ब वितरण जैसी ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं द्वारा; बढ़ते वनीकरण द्वारा जैविक-प्रच्छादन करके; औद्योगिक प्रक्रियाओं में उत्पादित मीथेन जैसी गैसों को कैप्चर और नष्ट करके; और कार्बन कैप्चर, यूटिलाइज़ेशन और स्टोरेज (सीसीयूएस) गतिविधियों द्वारा, जिसमें कैप्चर किए गए कार्बन को प्लास्टिक या जैव ईंधन में परिवर्तित करके उसका उपयोग करना और उसे भूवैज्ञानिक संरचनाओं में संग्रहीत करना शामिल है। भले ही यह निकट अवधि में कार्बन उत्सर्जन कम करने के एक कामचलाऊ उपाय के रूप में सफल रहा हो, लेकिन ऑफसेट के माध्यम से उत्सर्जन में होने वाली कमी जलवायु परिवर्तन की समस्या के अनुरूप नहीं है।

धरती की तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के पेरिस समझौते के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जरूरी है कि 2030 तक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन चरम पर हो और 2050 तक दुनिया कार्बन तटस्थ हो जाए।

आज कॉरपोरेट स्थिरता के अधिकतर प्रयास, विभिन्न देशों के उत्सर्जन में कटौती के वायदों और इन देशों में पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार निवेशों के लिए उपलब्ध वैश्विक पूंजी की विशाल मात्रा से प्रेरित हो रहे हैं। इसके अलावा, जलवायु-संबंधित गैर-वित्तीय प्रकटीकरण के लिए निवेशकों की बढ़ती मांग और व्यापार स्थिरता पर भौतिक ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) कारकों के प्रभाव को लेकर हितधारकों की चिंताओं को संबोधित करना अनिवार्य हो गया है। 

जो प्रदूषक जलवायु के लिए किए गए उनके कामों के बड़े-बड़े दावे करने के सस्ते तरीके तलाश रहे थे उनके बीच स्वैच्छिक कार्बन ऑफ़सेट त्वरित डीकार्बोनाइजेशन का सबसे पसंदीदा मार्ग बन गया है। 

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उत्सर्जन में कमी लाने में स्वैच्छिक कार्बन ऑफ़सेट की कोई भूमिका नहीं है। कार्बन ऑफ़सेट का निर्माण, एकत्रीकरण, व्यापार और कार्बन क्रेडिट को बाजार से हटाने तक की सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला यदि ईमानदारी से पूरी की जाए तो न केवल उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य पूरा होगा, बल्कि प्राकृतिक पूंजी की रक्षा के लिए एक वित्तीय तंत्र स्थापित करने में भी मदद मिलेगी।

कार्बन ऑफ़सेट के विश्वसनीय होने के लिए इसे एक अतिरिक्त मानदंड पूरा करना होता है — कि क्या उत्सर्जन में यह कमी बिना ऑफसेट भी हो सकती थी? उदाहरण के लिए, यदि एक ऑफ़सेट परियोजना भारत के एक थर्मल पावर प्लांट को कोयले के साथ को-फायरिंग के लिए बायोमास छर्रों की खरीद के लिए पैसे देती है, जो उत्पादक ने वैसे भी सरकारी नियमों का पालन करने के लिए खरीदे होते, तो उसे अतिरिक्त नहीं माना जा सकता।

इसके अलावा, ऑफ़सेट स्थाई और कार्बन रिसाव से मुक्त होना चाहिए। उदाहरण के लिए, कुछ निश्चित वर्षों की कार्बन प्रच्छादन क्षमता के साथ यदि एक स्थान पर पेड़ लगाए जाते हैं, तो पेड़ों के घोषित जीवन काल के दौरान प्रच्छादन जारी रखने के लिए, यह आवश्यक है कि उन्हें समय से पहले ही न काट दिया जाए। 

दूसरी ओर, अगर कोई लकड़ी काटने वाली कंपनी इस जंगल को छोड़कर कहीं और वनों की कटाई करती है, तो ऑफ़सेट परियोजना से कार्बन उत्सर्जन में कोई वास्तविक कमी नहीं होगी।

अंत में, कोई कार्बन ऑफ़सेट तबतक ईमानदार नहीं कहा जा सकता जबतक एक विश्वसनीय प्राधिकरण स्वतंत्र रूप से उस परियोजना की आधार-रेखा और उसके अनुमानित और प्राप्त उत्सर्जन में कमी को प्रमाणित न कर दे। 

ऑफ़सेट का सही प्रयोग

स्वैच्छिक कार्बन ऑफ़सेट का बाजार सूचना की विषमता से ग्रस्त है।

संभावित खरीदार शायद ही कभी यह जान पाते हैं कि क्या उनका पैसा वास्तव में निवेश किया जा रहा है, या निवेश प्रस्तावित उत्सर्जन में कमी ला रहे हैं या नहीं। यहां पर मानक संगठनों की ज़िम्मेदारी है कि वह स्वैच्छिक कार्बन ऑफसेट बाजार में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करके खरीदार और विक्रेता के बीच विश्वास पैदा करें। यह संगठन ऐसे मानक विकसित करते हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि ऑफ़सेट अतिरिक्त और स्थाई हो, जिससे उत्सर्जन में वास्तविक कमी आए, और बेचे गए ऑफ़सेट्स को बाजार से हटाने के लिए एक रजिस्ट्री पर ट्रैक किया जाए ताकि वह कई बार बेचे न जा सकें।

यह मानक इस संबंध में भी नियम प्रदान करते हैं कि बाजार में बने रहने के लिए कार्बन ऑफ़सेट कितने पुराने होने चाहिए। इस प्रकार, यदि इसका ठीक से पालन किया जाए तो खरीदार ऑफ़सेट विक्रेताओं से उनके दावों को पूरा करने की उम्मीद कर सकते हैं।

इस तेजी से बढ़ते बाजार को और व्यापक करने के लिए कुछ और सुझाव विचार करने योग्य हैं। सबसे पहले, कार्बन ऑफसेट की कीमत में उसके स्थायित्व की अनिश्चितता के अनुरूप उपयुक्त रूप से छूट दी जानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऑफसेट की उत्सर्जन कम करने की अनुमानित क्षमता के बारे में बेतुके दावे करने वाले लापरवाह विक्रेताओं से खरीदार ठगा महसूस न करें।

दूसरा, विकार्बनीकरण के मौजूदा तरीकों से जो उत्सर्जन कम किया जा सकता है, उसे उस उत्सर्जन के बराबर नहीं रखा जाना चाहिए जिसे कम करने में कठिनाई  हो या जो कम ही न किया जा सके। 

इससे स्वैच्छिक कार्बन ऑफ़सेट का प्रयोग करके अपने उत्सर्जन को सही ठहराने वाले या उसमें वृद्धि करने वाले निगम इस आसान मार्ग पर जाने से बचेंगे। तीसरा, मानक विकास संगठनों को अपने मानदंडों में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों का अनुपालन अनिवार्य करना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ऑफसेट परियोजनाएं उत्सर्जन कम करने के साथ-साथ, प्राकृतिक पूंजी की रक्षा करें, स्वास्थ्य और शिक्षा संकेतकों में सुधार करें और आर्थिक विकास को गति दें। चौथा, ऑफसेट की भौगोलिक व्यापकता का विस्तार किया जाना चाहिए ताकि जो देश अपनी शमन और अनुकूलन योजनाएं विकसित कर रहे हैं, उन्हें इसका फायदा मिल सके। अंत में, ग्रीनवाशिंग से संबंधित चिंताओं को दूर करने और खरीदारों को उत्सर्जन में कमी के बड़े-बड़े दावे करने से रोकने के लिए, सभी हितधारकों को मिलकर ऑफसेट परियोजनाओं के संचालन, अकाउंटिंग और सत्यापन मानकों के विकास के लिए एक व्यवस्था बनानी चाहिए। इससे ऑफसेट बाजार की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।

स्वैच्छिक कार्बन ऑफ़सेट आलोचना और विवाद का कारण बनते जा रहे हैं। इनसे खरीदारों की ऊर्जा खपत के तरीके और खराब हो सकते हैं। फिर भी, यदि इन्हें उत्सर्जन में कटौती की दीर्घकालिक रणनीति के साथ सावधानी से प्रयोग किया जाए तो यह ऊर्जा संक्रमण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

श्रेयांस जैन एक्सेंचर के सस्टेनेबिलिटी कंसल्टिंग प्रैक्टिशनर हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।

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