भारत दिसंबर के अंत तक संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को अपने संशोधित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) और द्विवार्षिक पारदर्शिता रिपोर्ट (बीटीआर) जमा करेगा। ब्राज़ील के बेलेम में हो रहे कॉप30 जलवायु सम्मलेन में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक और तात्कालिक खतरा है, और विकसित देशों को अपने नेट-जीरो लक्ष्य समय से पहले हासिल करने चाहिए।
एनडीसी जमा करना पेरिस समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते एक आवश्यकता है, जिसमें जीवाश्म ईंधन से दूर जाने के स्वैच्छिक कार्य बताए जाते हैं।
भारत के पिछले 2030 जलवायु लक्ष्यों में जीडीपी की एमिशन इंटेंसिटी को 45% तक कम करना और 50% स्थापित बिजली क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करना शामिल था। यादव के अनुसार 2005 के मुकाबले भारत की एमिशन इंटेंसिटी 36% घटी है।
भारत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विकसित देशों को विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद के लिए नए और रियायती जलवायु वित्त के रूप में खरबों डॉलर प्रदान करने चाहिए।
यादव ने बताया कि भारत की न्यूक्लियर मिशन और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन नेट-जीरो 2070 लक्ष्य की राह तेज कर रहे हैं। उन्होंने यूके के ऊर्जा मंत्री एडवर्ड मिलिबैंड से मुलाकात कर तकनीक हस्तांतरण, जलवायु वित्त और पारदर्शिता पर चर्चा की। एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री ट्रांज़िशन पर काम कर रहे लीडआईटी समूह में अब 18 देश और 27 कंपनियां शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयास ही पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है।
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