मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल उत्तर भारत में सर्दी सामान्य से अधिक होगी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसका कारण ला नीना परिस्थितियां हैं, जो अक्टूबर से दिसंबर तक बनी रह सकती हैं।
वैज्ञानिक बताते हैं कि पिछले साल ला नीना की परिस्थितियां कमजोर थीं, जो लंबे समय तक नहीं टिक पाईं। इस साल समुद्र की सतह के तापमान में बदलाव के चलते फिर से ला नीना बनने की संभावना है।
मानसून समाप्त, दूसरे साल भी सामान्य से अधिक बारिश
दक्षिण-पश्चिम मानसून आधिकारिक रूप से 30 सितंबर को समाप्त हो गया। लगातार दूसरे साल बारिश सामान्य से अधिक रही। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यह खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है, हालांकि पहाड़ी राज्यों में आपदाओं और पंजाब में बाढ़ से भारी नुकसान भी हुआ।
26 सितंबर तक देशभर में 7% अधिक वर्षा हुई। उत्तर-पश्चिम भारत में 28%, मध्य भारत में 12% और दक्षिण प्रायद्वीप में 8% अधिक बारिश दर्ज की गई, जबकि पूर्वोत्तर भारत में 19% की कमी रही।
भारी बारिश से कोलकाता और महाराष्ट्र में तबाही, 20 की मौत
देश के पूर्व और पश्चिम दोनों हिस्सों में भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कोलकाता में दुर्गा पूजा से पहले 37 वर्षों की सबसे भीषण बारिश हुई, जिससे जलभराव, बाढ़ और बिजली हादसों में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई।
मौसम विभाग के अनुसार, बारिश की तीव्रता बादल फटने जैसी थी।
वहीं महाराष्ट्र में भी भारी बारिश और बाढ़ से कम से कम 10 लोगों की जान गई और 11,800 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया। मुंबई में मानसून के दौरान बारिश का आंकड़ा 3,000 मिमी पार कर गया है।
जलवायु परिवर्तन से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1.5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान
एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों और कामगारों की कमी के कारण अगले 25 सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को कम से कम 1.5 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 131 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान हो सकता है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की इस रिपोर्ट ने चार प्रमुख क्षेत्रों — कृषि, भवन निर्माण, स्वास्थ्य सेवा और बीमा — पर जलवायु प्रभावों का आकलन किया।
रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती गर्मी, बीमारियों और अन्य जलवायु जोखिमों से उत्पादकता तेजी से घटेगी। विशेषज्ञों ने कंपनियों से अपील की है कि वे अभी से अपने कार्यबल की सुरक्षा और संचालन क्षमता बढ़ाने के कदम उठाएं। ऐसा न करने पर लागत और नुकसान और भी अधिक हो सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण लड़कियों में जल्दी शुरू हो रहा मासिक धर्म: शोध
एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में लड़कियों का पहली बार मासिक धर्म शुरू होने का समय (मेनार्की) जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो सकता है। अध्ययन में पाया गया कि अधिक नमी वाली जगहों पर लड़कियों में मासिक धर्म जल्दी शुरू होता है, जबकि उच्च तापमान के कारण यह कुछ जगहों पर देर से होता है।
बांग्लादेश की संस्थाओं, जैसे नॉर्थ साउथ यूनिवर्सिटी, ने 1992-93 और 2019-21 के दौरान DHS सर्वेक्षण और NASA के जलवायु डेटा का विश्लेषण किया। 23,000 से अधिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन दिखाता है कि अधिकांश भारतीय राज्यों में लड़कियों में मेनार्की उम्र घट रही है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह परिणाम स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और जलवायु परिवर्तन पर सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को मजबूत करने की आवश्यकता को दर्शाता है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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