ईरान की संसद ने अमेरिकी हवाई हमलों के बाद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलडमरूमध्य ‘होर्मुज़’ को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है।
यह जलमार्ग ईरान और ओमान के बीच स्थित है और पर्शियन खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है।
दुनिया की तेल और गैस आपूर्ति का लगभग पांचवां हिस्सा इसी संकीर्ण जलमार्ग से गुजरता है। ऐसे में इसको बंद करने से वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारी उथल-पुथल की आशंका है।
भारत अपनी जरूरत के 90% कच्चे तेल का आयात करता है। इस आयात का लगभग 40% से अधिक इसी मार्ग से होकर आता है। हालांकि भारत ने रूस, अमेरिका और ब्राज़ील जैसे वैकल्पिक स्रोतों से आयात बढ़ाकर ऊर्जा संकट के जोखिम कम किया है, फिर भी होर्मुज़ की बंदी से कीमतें बढ़ सकती हैं और घरेलू महंगाई पर असर पड़ सकता है।
ईरानी तेल का सबसे बड़ा ग्राहक चीन भी इस कदम से सीधे प्रभावित होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों को देखते हुए ईरान इस कदम से पीछे हट सकता है।
अतीत में भी ईरान ने ऐसी धमकियां दी हैं, लेकिन कभी अमल नहीं किया। फिर भी, मौजूदा तनाव में इस बार खतरा वास्तविक माना जा रहा है, चूंकि ईरान इस बार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
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