भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) इंडस्ट्री पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कारण है चीन द्वारा दुर्लभ खनिज (रेयर अर्थ मेटल्स) और मैग्नेट्स के निर्यात पर अप्रैल 2025 से लगाए गए नए प्रतिबंध। इन प्रतिबंधों के चलते भारत के कई ऑटो निर्माताओं की आयात याचिकाएं चीन में लंबित हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।
दुर्लभ खनिज जैसे नियोडाइमियम ईवी मोटर्स, विंड टरबाइन और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए बेहद जरूरी हैं। भारत 85 प्रतिशत से अधिक रेयर अर्थ मैग्नेट चीन से आयात करता है। रिपोर्टों के अनुसार, अगर आपूर्ति जल्द बहाल नहीं हुई तो जुलाई 2025 से उत्पादन बाधित हो सकता है।
सरकार ने त्वरित समाधान के लिए चीन से बातचीत तेज कर दी है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री और राजदूत प्रदीप रावत ने बीजिंग में चीनी अधिकारियों से मुलाकात की। साथ ही, दीर्घकालिक समाधान के लिए भारत घरेलू खनन, रीसाइक्लिंग और वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की ओर भी कदम बढ़ा रहा है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने चीन के कदम को एक “चेतावनी” बताते हुए कहा कि भारत वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला विकसित कर रहा है।
ईवी निर्माताओं को आयात शुल्क में बड़ी राहत, सरकार ने जारी की गाइडलाइन
भारत सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना के तहत विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत कंपनियां यदि देश में 4,150 करोड़ रुपए का निवेश कर स्थानीय निर्माण इकाई स्थापित करने का वादा करती हैं, तो उन्हें हर साल 8,000 इलेक्ट्रिक कारें 15% शुल्क पर आयात करने की अनुमति दी जाएगी। वर्तमान में यह शुक्ल 70–100% है। यह छूट पांच वर्षों तक लागू रहेगी।
योजना के तहत तीन वर्षों में निर्माण शुरू करना, तीन साल में 25% और पांच साल में 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य वर्धन (डीवीए) हासिल करना जरूरी होगा।
इसके तहत आवेदन करने वाली कंपनी का वैश्विक ऑटोमोटिव कारोबार न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपए का होना चाहिए और आवेदक को 5 लाख रुपए की नॉन-रिफंडेबल फीस भी जमा करनी होगी। आवेदन की विंडो 120 दिनों के लिए खुलेगी।
भारत में ईवी निर्माण करने में टेस्ला की रुचि नहीं: सरकार
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा है कि ईलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारें बेचना चाहती है, लेकिन यहां मैनुफैक्चरिंग शुरू करने में उसकी कोई रुचि नहीं है। मंत्री ने कहा कि टेस्ला केवल शोरूम खोलने में रुचि दिखा रही है। वहीं, मर्सिडीज-बेंज, स्कोडा-वोक्सवैगन, हंडे और किया जैसी कंपनियों ने भारत में ईवी विनिर्माण को लेकर रुचि जताई है।
एक नई नीति के तहत सरकार भारत में ईवी मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। नई योजना के तहत कंपनियों को आयात शुक्ल में छूट दी जाएगी, लेकिन इसके लिए उन्हें घरेलू विनिर्माण में 4,150 रुपए करोड़ का न्यूनतम निवेश करना होगा।
निकल खनन से इंडोनेशिया के समुद्री इकोसिस्टम को भारी नुकसान: रिपोर्ट
“समुद्रों का अमेज़न” कहे जाने वाले इंडोनेशिया के राजा अंपत द्वीपसमूह में निकल (Nickel) खनन ने जंगलों को उजाड़ दिया है और जल स्रोतों को प्रदूषित कर दिया है। यह पृथ्वी पर सबसे विविध बायोडाइवर्सिटी वाले समुद्री हैबिटैट में से एक है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल विटनेस की जांच में ड्रोन से लिए गए चित्रों में यह नुकसान देखा गया है। ऊपर से ली गई तस्वीरों में जैव विविधता से भरपूर कोरल रीफ वाले जल क्षेत्रों में जंगलों का नुकसान और मिट्टी का बहाव साफ दिखाई देता है।
निकल का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों में होता है, जिनकी मांग बढ़ने से इसका खनन तेज हुआ है। ग्लोबल विटनेस ने बीबीसी को बताया कि 2020 से 2024 के बीच इस द्वीपसमूह के कई छोटे-छोटे द्वीपों पर खनन के लिए भूमि उपयोग में 500 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।
इंडोनेशिया की सरकार ने इस क्षेत्र में काम कर रही पांच में से चार कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। हालांकि, पर्यावरणविदों को डर है कि कानूनी कार्रवाई से यह फैसला पलट सकता है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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