अक्टूबर में असामान्य रूप से अधिक तापमान के साथ-साथ राजधानी दिल्ली को प्रदूषण की मार भी झेलनी पड़ रही है। इस महीने अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से 1 – 2 डिग्री ऊपर ही चल रहे हैं और पहले पखवाड़े, यानी 15 अक्टूबर तक एक दिन भी ऐसा नहीं रहा जब एयर क्वॉलिटी बेहतर होना तो दूर संतोषजनक भी रही हो।
रविवार को उत्तर-पश्चिम से पश्चिम दिशा की ओर चलने वाली हवाओं से प्रदूषण में कुछ कमी ज़रूर आई, लेकिन इससे पहले शनिवार तक एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 250 से ऊपर पहुंच चुका था। वायु प्रदूषण में कमी की उम्मीद अब बरसात पर टिकी है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एंटी डस्ट कैंपेन चलाया जा रहा है।
इस कैंपेन के तहत गठित टीमों ने अभी तक 1,108 निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया है और इनमें से 21 को दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए नोटिस जारी किया है। इन इकाइयों पर 8.35 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए 591 टीमें गठित की हैं। धूल से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए 530 वाटर स्प्रिंकलर और 258 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन कार्यरत हैं।
उधर किसानों द्वारा पराली जलाना शुरू किए जाने से प्रदूषण को लेकर चिंता की एक परत और बढ़ गई है। सितंबर 15 से अक्टूबर 15 के बीच के आंकड़े देखें तो पंजाब और हरियाणा दोनों ही जगह पिछले साल के मुकाबले इस साल पराली दहन की घटनाएं बढ़ी हैं।
हालांकि पड़ोसी राज्यों के पराली जलाने का दिल्ली की हवा पर सबसे अधिक असर नवंबर के पहले हफ्ते में दिखता है, लेकिन इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के कुछ समय पहले खत्म हो जाने से पराली जलाने की घटनाएं जल्द हो रही हैं।
हालांकि सफर के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल दिल्ली के वायु प्रदूषण में अबतक पराली जलाने का योगदान पिछले साल के मुकाबले 1% कम है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में पिछले हफ्ते दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण पर एक बैठक हुई, जिसमें प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों और बायो-डीकंपोजर्स की सहायता से पराली का उसी स्थान पर निस्तारण करने का निर्देश दिया।
हालांकि आने वाले दिनों में दीवाली की आतिशबाज़ी से होनेवाले प्रदूषण से आपके फ़ेफ़ड़ों का संकट और बढ़ा सकता है।
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