दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण के स्रोत विभाजन और पूर्वानुमान के अध्ययन के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के साथ एक एमओयू किया है। दिल्ली कैबिनेट ने इससे पहले ‘रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट एंड फोरकास्टिंग फॉर एडवांस एयर पॉल्यूशन मैनेजमैंट इन दिल्ली’ नाम से प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दी थी। इस अध्ययन से हवा में प्रदूषण भेजने वाले अलग अलग स्रोतों जैसे बिजलीघर, वाहन, कारखाने या बायोमास जलाना इत्यादि का विश्लेषण होगा। इस अध्ययन में करीब 12 करोड़ रुपये खर्च होंगे और एयर क्वॉलिटी की जांच दैनिक, साप्ताहिक और सीज़न के हिसाब से होगी। जानकारों का कहना है कि इस विज्ञान का सही इस्तेमाल बारिश और तूफान की तरह आने वाले दिनों में होने वाले प्रदूषण का पूर्वानुमान किया जा सकता है और रोकथाम संबंधी उपाय किये जा सकते हैं।
दिल्ली की परिवेशी वायु को मैप करने हेतु निर्णय समर्थन प्रणाली को मिली केंद्र की आधिकारिक मंजूरी
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने अंततः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम संस्थान, पुणे द्वारा विकसित निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) को मंजूरी दे दी। एक विशेष डीएसएस वेबसाइट भी लॉन्च की गई है जो बताती है कि दिल्ली की हवा दिल्ली और आसपास के 19 जिलों के उत्सर्जन से कैसे प्रभावित होती है। उद्योग, परिवहन, निर्माण, सड़क की धूल, बायोमास दहन, अपशिष्ट दहन और आवासीय स्रोतों से उत्सर्जन को डीएसएस पोर्टल पर एक ग्राफ पर मैप किया जाता है। इस प्रणाली के द्वारा करनाल, जींद, रोहतक, भरतपुर, पानीपत, झज्जर, भिवानी, अलवर, फरीदाबाद, गुड़गांव, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और मेरठ सहित 19 जिलों के डेटा की मैपिंग की जा रही है।
एयर फिल्टर और एंटी-स्मॉग गन: गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सुधार पर काम शुरू
देश के सबसे प्रदूषित जिलों में से एक गाजियाबाद के नगर निगम ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए अभियान शुरू किया है, जिसके अंतर्गत धूल भरी सड़कों को पत्थर और पेड़ लगाकर ठीक करने तथा मौजूदा 200 पार्कों को और हरा-भरा बनाने की योजना पर काम किया जाएगा।
गाजियाबाद में प्रतिदिन ठोस कचरा उठाने के लिए ई-वाहनों का उपयोग करने की योजना के अलावा प्रदूषित न्यू बस अड्डा मेट्रो स्टेशन के पास 32 एकड़ पर एक सिटी फारेस्ट बनाने के योजना भी है। हालांकि पर्यावरण के जानकारों ने 30 बड़े एयर फिल्टर, 6,000 लीटर की क्षमता वाली छह अतिरिक्त एंटी-स्मॉग गन्स, आदि को लागू करने के फैसले को बहुत सतही और दिखावटी बताया है।
बारिश के बाद उत्तर भारत में पराली जलाने के मामले बढ़ने की आशंका, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
विश्लेषकों ने चेताया है कि उत्तर भारत में देर तक चले मानसून के कारण टली पराली जलाने की घटनाओं के आने वाले दिनों में बढ़ने की आशंका है। उपग्रह से मिले आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा कि मानसून की समाप्ति में देरी के कारण पिछले कुछ वर्षों की तुलना में पराली की आग में कमी आई है, लेकिन मामले बढ़ रहे हैं और जल्द ही अलग अलग जगहों पर वायु गुणवत्ता प्रभावित होगी। ये घटनाएं पहले से ही बढ़ रही हैं।
हरियाणा के करनाल में पराली जलाने के 350 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें सरकार ने 28 किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का सुझाव दिया है और 171 किसानों पर 4.30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हरियाणा में 19 अक्टूबर, 2020 तक पराली जलाने के 2,811 मामलों की तुलना में इस साल 1,082 मामले दर्ज किए गए। पराली जलाने के अलावा, कारखानों, वाहनों और अन्य स्रोतों का भी वायु प्रदूषण में योगदान है।
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