सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी, वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के शोध से पता चला है कि छोटे और जानलेवा कण मुंबई की हवा में काफी देर तक रहते हैं। PM 2.5 और PM 10 जैसी हानिकारक कणों का प्रतिशत यहां की हवा में दिल्ली के मुकाबले अधिक पाया गया। ऐसे कण जो हमारे शरीर के भीतर आसानी से दाखिल हो सकते हैं वह यहां दिल्ली के मुकाबले अधिक थे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 2018 में मुंबई में PM 10 पिछले 20 सालों के उच्चतम स्तर पर था और यह पिछले कई सालों से लगातार बढ़ रहा है।
रसोईघर के धुएं से मर रहे हैं 2.7 लाख लोग
कैलिफोर्निया और बर्कले विश्वविद्यालय की आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर की गईरिसर्च में पता चला है कि चूल्हों में जलने वाले लकड़ी, कोयला, उपले और मिट्टी के तेल से होने वाला प्रदूषण लाखों लोगों की जान ले रहा है। इस प्रदूषण को रोककर भारत हर साल करीब 2.7 लाख लोगों की जान बचा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि घरों के भीतर का प्रदूषण रोककर वायु प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों में 13% कमी की जा सकती है।
सीमेंट उद्योग कर रहा है दुनिया भर के ट्रकों से अधिक प्रदूषण
वैज्ञानिकों का कहना है कि सीमेंट के कारखाने दुनिया भर में उत्सर्जित होने वाली कुल 7% CO2 के लिये ज़िम्मेदार हैं। यह उत्सर्जन दुनिया के सभी ट्रकों से होने वाले प्रदूषण से अधिक है। ईंट के भट्टों का तापमान 1400ºC तक पहुंच जाता है और एक टन सीमेंट करीब आधा टन CO2 छोड़ता है। इतनी कार्बन डाइ ऑक्साइड शिमला से गोवा तक जाने वाली सामान्य कार भी नहीं छोड़ती।
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