जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों के पैनल आईपीसीसी की ताज़ा आकलन रिपोर्ट के पहले भाग में गंभीर संकट की चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है आने वाले दिनों में बाढ़, हीटवेव और समुद्र सतह में बढ़ोतरी की घटनायें तेज़ होंगी। रिपोर्ट में हालात के सुधरने को लेकर सरकार के मौजूदा कदमों को लेकर अधिक उम्मीद नहीं है। यह आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट है जिसमें क्लाइमेट साइंस पर 14,000 रिसर्च पेपरों को 234 वैज्ञानिकों ने रिव्यू किया। दुनिया के 195 देश आईपीसीसी का हिस्सा है।
सरकारों की कोशिशें काफी नहीं
पैनल कहता है कि अभी भले ही हम इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या धरती की तापमान वृद्धि 1.5 से 2.0 डिग्री पर रुकेगी लेकिन सरकारों की नीतियां इसे बढ़ोतरी को 4.0 डिग्री तक भी ले जा सकती है। अभी के वादे भी 3.0 डिग्री तापमान वृद्धि करेंगे।
एशिया को लेकर मुख्य बातों में कहा गया है कि हीट एक्ट्रीम बढ़ी हैं और कोल्ड एक्सट्रीम कम हुई है यानी ग्लोबल वॉर्मिंग के साफ बढ़ने के संकेत हैं। इसका अर्थ यह है तापमान बढ़ने की दिशा में और तेज़ होगा और भीषण ठंड कम होती जायेगी।
समुद्र में हलचल और जंगलों में आग की घटनायें बढ़ेंगी
यह चेतावनी भी है कि समुद्री हीट वेव का बढ़ना जारी रहेगा। जानकार मानते हैं कि इससे चक्रवाती तूफानों की संख्या और मारक क्षमता बढ़ेगी। भारत की तटरेखा करीब 7500 किलोमीटर लम्बी है और इसकी वजह से उसे कई संकटों का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक जंगल में आग लगने के महीने (वक्त) बढ़ेगा खासतौर से उत्तर एशिया में एशिया में हर जगह औसत से भारी बारिश बढ़ेगी। दक्षिण एशिया को लेकर कहा गया है कि हीटवेव (लू) और ह्यूमिड हीट स्ट्रैस (नमी भरी गर्मी की मार) बढ़ेगी इस सदी में बरसात के सालाना और ग्रीष्म मॉनसून स्तर नें लगातार बढ़ोतरी होगी।
ग्लेशियरों को लेकर दी गई चेतावनी में कहा गया है कि उनकी बर्फ कम होना जारी रहेगा और पर्माफ्रॉस्ट (हिमनदों पर जमी बर्फ) गलेंगे। पर्माफॉस्ट के गलने से कार्बन इमीशन बढ़ जाता है क्योंकि उसने नीचे दबे कार्बनिक तत्व या जीवाश्म कार्बन छोड़ेंगे।
क्या किया जा सकता है?
आईपीसीसी की रिपोर्ट कहती है, “मानव जनित ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने के लिये स्पेस में लगातार जमा हो रहे कार्बन को नियंत्रित करना होगा और नेट ज़ीरो हासिल करना होगा। इसके साथ ही अन्य ग्रीन हाउस गैसों को भी रोकना होगा।”
वैज्ञानिकों ने कहा है कि बहुत कम कार्बन उत्सर्जन की स्थिति में ग्लोबल तापमान 1-1.9 डिग्री यै 1-1.26 डिग्री बढ़ेगा। इस तापमान वृद्धि के साथ रहने के उपाय किये जा सकते हैं।
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