सरकार ने जिन 67 कोयला खदानों को नीलामी के लिये खोला उनमें से 48 खदानों के लिये किसी ने बोली तक नहीं लगाई। केवल 8 खदानों में ही नियमों के हिसाब से ज़रूरी न्यूनतम दो से अधिक बोलियां लगाई गईं। जिन 19 खदानों में निवेशकों ने दिलचस्पी दिखाई उनमें से 15 नॉन-कोकिंग कोयले की थी लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार के प्रयासों और दावों के बावजूद कोयले में कंपनियों की दिलचस्पी नहीं है। इससे पहले इसी साल सरकार ने जब कोयला खदानों को नीलामी के लिये खोला था तो आधी खदानों के लिये किसी ने बोली नहीं लगाई और इस साल किसी विदेशी निवेशक ने कोयला खदानों की नीलामी में हिस्सा नहीं लिया। महत्वपूर्ण है कि सरकार ने उस पाबंदी को पहले ही हटा लिया था जिसमें इस्तेमाल करने के लिये ही कोयला खरीदा जाये। इससे कोयले का निर्यात बढ़ गया है।
यह दिलचस्प है कि इस साल बोली लगाने वालों में अडानी पावर और छत्तीसगढ़ मिनिरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन शामिल है। अडानी ग्रुप क्लीन एनर्जी में भारी निवेश कर रहा है और छत्तीसगढ़ सरकार ने 2019 में कहा था कि वह राज्य में नये कोयला पावर प्लांट नहीं लगायेगा।
एनटीपीसी 2032 तक कोल पावर क्षमता को करेगा आधा
भारत की सबसे बड़ी पावर कंपनी नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन यानी एनटीपीसी ने घोषणा की है कि वह 2032 तक कोल पावर उत्पादन क्षमता को घटाकर आधा यानी करीब 27 गीगावॉट कर देगा। कंपनी अब क्लीन एनर्जी क्षेत्र में विस्तार कर रही है। इसका इरादा साल 2032 तक 30 गीगावॉट रिन्यूएबिल क्षमता के संयंत्र लगाने का था जो एनटीपीसी ने अब बढ़ाकर 60 गीगावॉट कर दिया है। आज कंपनी की कुल ऊर्जा का केवल 18% ही साफ ऊर्जा है लेकिन वह दावा कर रही है 2032 में उसकी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 50% क्लीन एनर्जी होगी। कंपनी की योजना सोलर के साथ ऑफशोर विन्ड (समुद्र की भीतर पवन चक्कियां) क्षमता विकसित करने का है।
भारत में अब भी 40% निर्भरता कोयले पर
एक रिसर्च में पता चला है कि भारत में करीब 40% रोज़गार की निर्भरता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोयला खनन पर निर्भर है। इनमें से ज़्यादातर नौकरियां झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में हैं। इस अध्ययन के निष्कर्ष ऐसे वक्त में आये हैं जब क्लीन एनर्जी में बढ़ते निवेश और कोयला प्रयोग घटाने की कोशिश की वजह से कोल सेक्टर की नौकरियों पर मार पड़ेगी। यह बहस तेज़ है कि कैसे साफ ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाते वक्त जस्ट ट्रांजिशन यानी कोयला क्षेत्र के कर्मचारियों के रोज़गार का खयाल रखा जाये।
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