बड़े कदम की ओर: रेलवे 2030 तक 20 गीगावाट क्षमता के सोलर पैनल की बात कर रहा है और अगर यह साकार हुआ तो बड़ी उपलब्धि होगी | Photo: Weather Channel

रेलवे ट्रैक के साथ-साथ बनेंगे सोलर पावर प्लांट

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संसद को बताया कि रेलवे खाली जगह में ट्रैक के साथ-साथ सोलर प्लांट लगा रही है। इस योजना के तहत 4.7 मेगावॉट के प्लांट को पहले ही मंज़ूरी दी जा चुकी है। छत्तीसगढ़ के भिलाई में 50 मेगावॉट और हरियाणा के दीवाना में 2 मेगावॉट के प्लांट लगेंगे। रेल मंत्रालय का दावा है कि 2030 तक ट्रैक के साथ कुल 20,000 मेगावॉट के सोलर प्लांट लगाये जायेंगे इसके लिये 3000 मेगावॉट की निविदायें आमंत्रित की जा चुकी है।

बाधाओं के बावजूद रिन्यूएबिल क्षेत्र में इच्छुक हैं कंपनियां

साफ ऊर्जा क्षेत्र में मंदी के पीछे नीतिगत समस्याएं और कोरोना के कारण बिजली की घटी मांग ज़िम्मेदार है। इसके बावजूद रिसर्च संस्था ईफा (IEEFA) की नई रिपोर्ट के मुताबिक  देसी और विदेशी निवेशकों में साफ ऊर्जा में निवेश करने की काफी इच्छा है। हाल में हुई नीलामियों से इसकी पुष्टि होती है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 2020 में अब तक हुई सात नीलामियों में कंपनियां करीब 1000 करोड़ से 2000 करोड़ डॉलर का निवेश करेंगी। सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने जून में अब तक की सबसे कम बिजली दरों (रु 2.36 प्रति किलोवॉट घंटा) में 2 गीगावॉट (2,000 मेगावॉट) के प्रोजेक्ट्स का ऑक्शन( नीलाम) किया। भारत के अलावा स्पेन, इटली, कनाडा, फ्रांस और जर्मनी समेत कई देशों की कंपनियों  ने सोलर में निवेश किया है।

चीन को घरेलू उत्पादों से पीटना है तो चाहिये सरकारी मदद: टाटा

टाटा पावर रिन्यूएबिल ने कहा है कि चीनी उत्पादों की सप्लाई से टक्कर लेने के लिये घरेलू उत्पादकों के पास पर्याप्त सरकारी इंसेंटिव नहीं हैं।  कंपनी के सीईओ आशीष खन्ना ने कहा कि देसी उत्पादकों को नये टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट बनाने और स्थापित करने के लिये सरकार की मदद चाहिये तभी वह चीन से होने वाले विशाल उत्पाद को टक्कर दे सकेंगे। खन्ना ने कहा कि टाटा अभी नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं लगायेगी क्योंकि वह सरकार की ओर से लम्बी अवधि के नीतिगत इंसेंटिव का इंतज़ार कर रही है।

कच्छ में मेगा रिन्यूएबिल एनर्जी पार्क से हो सकता है नुकसान

गुजरात के कच्छ में 41,500 मेगावॉट का प्रस्तावित हाइब्रिड रीन्यूएबिल एनर्जी पार्क वन्य जीवन और पर्यावरण को काफी नुकसान कर सकता है। मोंगाबे इंडिया में प्रकाशित ख़बर में कहा गया है कि गुजरात सरकार ने इसके लिये 60,000 हेक्टेयर ज़मीन दे दी है। इस पार्क के लिये 1.35 लाख करोड़ का निवेश होगा और इसे 2022 तक पूरा किया जाना है। सरकार ने ज़मीन के इस हिस्से को “वेस्टलैंड” घोषित कर दिया है लेकिन स्थानीय लोगों के लिये यह काफी मायने रखती है। हाल ही में स्थानीय लोगों की याचिका पर राजस्थान हाइकोर्ट ने अडानी पावर के सोलर एनर्जी पार्क पर रोक लगा दी थी जो उस जगह बन रहा था जिसे राज्स्थान सरकार ने “वेस्टलैंड” कहा था। कच्छ के पर्यावरण कार्यकर्ता महेंद्र भनानी ने कहा है कि साफ ऊर्जा प्रोजेक्ट कोयला बिजलीघरों से बेहतर होते है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इनमें पर्यावरण और ज़मीन से जुड़े मुद्दों का खयाल न रखा जाये।

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