आंध्र प्रदेश सरकार ने साफ ऊर्जा नीति में कई अहम बदलाव किये हैं जिसके तहत एनर्जी बैंकिंग सुविधा को वापस ले लिया गया है। सरकार का कहना है कि इससे बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को बहुत नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार के मुताबिक सौर, पवन और हाइब्रिड पावर प्रोजेक्ट्स में बिजली की खरीद डिस्कॉम को भारी पड़ रही है। आंध्र में जगन रेड्डी की सरकार बनने के बाद से ही साफ ऊर्जा को लेकर काफी विवाद चल रहा है और नीति में बदलाव को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। जगनमोहन रेड्डी सरकार से पहले टीडीपी के राज में पूरे साल 100% एनर्जी बैंकिंग सुविधा थी। राज्य सरकार का कहना है कि इससे वितरण कंपनियों को ₹ 5000 करोड़ का घाटा हुआ है।
ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट: प्रधानमंत्री ने दिया दखल, कहा ज़मीन संबंधी अड़चनें दूर हों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट सचिव से कहा है कि 10,141 करोड़ के ग्रीन कोरिडोर प्रोजेक्ट से जुड़ी ज़मीन अधिग्रहण संबंधी अड़चनों को जल्द दूर किया जाये। ग्रीन कोरिडोर प्रोजक्ट की घोषणा 4 साल पहले की गई थी पर प्रोजेक्ट के लिये पर्याप्त ज़मीन नहीं ली जा सकी है। इसके तहत देश के 8 राज्यों तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल और मध्य प्रदेश की मदद से 19,000 मेगा वोल्ट एम्पियर (MVA) का अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम बनाया जा रहा है। योजना है कि मार्च 2020 तक यह प्रोजक्ट पूरा हो जिससे 20,000 मेगावॉट बिजली की सप्लाई होगी।
सोलर प्रोजेक्ट में हुई वृद्धि लेकिन सौर ऊर्जा उत्पादन में गिरावट
मरकॉम रिसर्च के मुताबिक इस साल (2019) की तीसरी तिमाही (Q3) में कुल 2170 मेगावॉट के सौर ऊर्जा संयत्र लगे और साल की दूसरी तिमाही (Q2-2019) – 1510 मेगावॉट – के मुकाबले 44% की बढ़ोतरी हुई। पिछले साल 2018 के Q3 – 1592 मेगावॉट – के मुकाबले यह बढ़त 36% रही। महत्वपूर्ण है कि पिछली 5 तिमाही से सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का ग्राफ लगातार गिर रहा था और अब यह सिलसिला टूटा है।
दूसरी ओर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने कहा है इस साल के Q2 के मुकाबले Q3 में सौर ऊर्जा उत्पादन 14% गिरा है। जानकारों का कहना है कि मॉनसून में सौर उत्पादन घटना सामान्य बात है। महत्वपूर्ण है कि पिछले साल की तिमाही (Q3-2018) की तुलना में इस साल सौर ऊर्जा उत्पादन 25% बढ़ा है।
भारत और चीन में साफ ऊर्जा निवेश में गिरावट: सर्वे
विकासशील देशों में पिछले साल (2018 में) साफ ऊर्जा में निवेश (2017 के मुकाबले) $ 3600 करोड़ घटा। ब्लूमबर्ग न्यू एनर्ज़ी फाइनेंस (BNEF) के ताज़ा सर्वे के मुताबिक साल 2017 में भारत और चीन समेत प्रमुख विकासशील देशों में सौर और पवन ऊर्जा समेत क्लीन एनर्ज़ी में कुल $ 16900 करोड़ का निवेश हुआ जो 2018 में घटकर $ 13300 करोड़ डॉलर रह गया। चीन में यह गिरावट 2017 के $ 12200 करोड़ से गिरकर $ 8600 करोड़ दर्ज की गई। भारत और ब्राज़ील के बाज़ार में भी निवेश गिरा। यह रिसर्च दुनिया की 104 देशों में की गई जिनकी इकोनोमी बढ़ रही है। यह पाया गया कि इन देशों में साफ ऊर्जा के संयंत्र लग तो रहे हैं लेकिन वह CO2 इमीशन के रोकन के तय लक्ष्य के लिये काफी नहीं हैं। इन देशों में कोयले की खपत में बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है।
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