एक नये शोध से पता चलता है कि दुनिया के तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव कटने से वहां कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के प्रभाव क्षेत्र (हॉट स्पॉट) बनेंगे। इस शोध के तहत 6 क्षेत्रों को शामिल किया गया जिसमें बंगाल की खाड़ी शामिल है जहां मैंग्रोव को बड़ा ख़तरा है। ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी द्वारा रिसर्च में यह आंका गया है कि इस क्षति के कारण सदी के अंत तक 2,391 टेराग्राम कार्बन-डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन के बराबर नुकसान होगा। सबसे अधिक इमीशन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के इलाकों में आंके गये। इसके अलावा कैरिबियाई क्षेत्र, अंडमान तट (उत्तरी म्यांमार) और उत्तर ब्राज़ील भी मैंग्रोव को क्षति के कारण हॉट-स्पॉट लिस्ट में हैं।
हिमनदों के पिघलने की रफ्तार पिछले 20 साल में तेज़ हुई
पूरे विश्व में 2015 और 2019 के बीच धरती के हिमनदों की कुल 298 गीगाटन बर्फ पिघल गई। यह बात ईटीएच जूरिच और यूनिवर्सिटी ऑफ टॉलाउस के शोध में पता चली है जिसके तहत 2.2 लाख ग्लेशियरों का विश्लेषण किया गया। इनमें ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक आइस शीट शामिल नहीं है। शोध बताता है कि साल 2000 और 2019 के बीच विश्व के ग्लेशियरों की बर्फ हर साल करीब 267 गीगाटन की रफ्तार से पिघली और यह दर तेज़ी से बढ़ रही है। साल 2000 और 2020 के बीच इसकी वजह से समुद्र जल स्तर बढ़ोतरी में 21% वृद्धि हुई। इस बर्फ के पिछलने से समुद्र सतह में सालाना 0.74 मिमी की बढ़ोतरी हुई।
जंगलों की आग से उत्तरी गोलार्ध में बढ़ेगा क्लाइमेट चेंज
एक शोध के मुताबिक दुनिया के सबसे उत्तरी क्षेत्र के वनों पर जंगलों की आग और शुष्क होती जलवायु के प्रभाव को काफी कम करके आंका जा रहा है। साइंस डेली में छपा यह शोध – जो कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से मिले 30 साल के उपग्रह तस्वीरों और डाटा पर आधारित है – कहता है कि अगर उत्सर्जन तत्काल नहीं रोके गये तो यह जंगल आने वाले दिनों में अधिक कार्बन नहीं सोख पायेंगे।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इन क्षेत्रों में आग तेज़ी से वन भूमि को खत्म कर रही है जिससे जंगलों के बायोमॉस में तेज़ी से गिरावट होगी। यह काफी महत्वपूर्ण जानकारी है क्योंकि उत्तरी क्षेत्र के जंगल दुनिया के कार्बन का बड़ा हिस्सा सोखते हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
सबसे गर्म अक्टूबर के बाद नवंबर भी रहेगा गर्म, सर्दी के कोई संकेत नहीं: आईएमडी
-
चक्रवात ‘दाना’: 4 की मौत; फसलों को भारी नुकसान, लाखों हुए विस्थापित
-
चक्रवात ‘दाना’ के कारण ओडिशा, बंगाल में भारी बारिश, 4 की मौत; लाखों हुए विस्थापित
-
असुरक्षित स्थानों पर रहते हैं 70 फीसदी हिम तेंदुए
-
जलवायु संकट हो रहा अपरिवर्तनीय, रिकॉर्ड स्तर पर क्लाइमेट संकेतक