चलते रहेंगे: भले ही पुराने कोयला बिजलीघर इमीशन को लेकर मानकों को पूरा न करते हों लेकिन पावर मिनिस्ट्री ने पीपीए खत्म होने के बाद भी उनसे सस्ती बिजली सप्लाई जारी रखने का सुझाव दिया है। फोटो: Indian Express

बिजली खरीद अनुबंध खत्म होने के बाद भी चलते रहेंगे कोल प्लांट

पावर मिनिस्ट्री ने सुझाव दिया है जिसके मुताबिक पुराने कोयला बिजलीघरों को उनके वर्तमान बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) समाप्त होने के बाद भी बिजली सप्लाई करते रहने देना चाहिये।   ऊर्जा मंत्रालय ने ताज़ा प्रस्ताव में कहा है कि कोयला बिजलीघर  या कोल प्लांट से उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिलती रहेगी। महत्वपूर्ण है कि इनमें कई कोयला बिजलीघर ऐसे हैं जिन्हें बन्द किया जाना है क्योंकि वह पर्यावरण मंत्रालय द्वारा तय इमीशन मानकों का पालन नहीं करते हैं। अब बिजली मंत्रालय ने साफ किया  है कि वही कोल प्लांट बन्द होंगे जिनसे काफी महंगी बिजली मिल रही होगी। यह दिलचस्प है कि जहां बिजली मंत्रालय यह सुझाव दे रहा है वहीं पंजाब, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और दिल्ली में वितरण कंपनियां कोयला बिजलीघरों से अनुबंध खत्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं क्योंकि इनसे मिल रही बिजली महंगी है और बाज़ार में अन्य स्रोतों से सस्ती बिजली उपलब्ध है। 

जापान: जीवाश्म ईंधन का रोल होगा 50% से कम 

जापान की सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने प्रस्ताव रखा है कि बिजली क्षेत्र में कार्बन छोड़ने वाले जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और गैस आदि) का प्रयोग तेज़ी से घटाया जाये।  प्रयोग में भारी कमी का प्रस्ताव रखा है। सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के 100 से अधिक सांसदों वाले ग्रुप ने कहा है कि 2030 तक पावर सेक्टर में जीवाश्म ईंधन का हिस्सा 50% से कम होना चाहिये। अभी जापान के पावर जेनरेशन में 75.8% जीवाश्म ईंधन है। अगर जापान इस इरादे में कामयाबी हासिल करता है तो साफ ऊर्जा का हिस्सा वर्तमान 18% से बढ़कर करीब 50% हो जायेगा। जापान की यह कोशिश साल 2050 तक नेट-ज़ीरो कार्बन इमीशन का लक्ष्य पाने के लिये भी ज़रूरी है। जापान भारी उद्योगों के लिये हाइड्रोज़न पर भी निवेश कर रहा है जिसमें ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम होता है।  

अलास्का में ड्रिलिंग के ठेके देकर जाना चाहते हैं ट्रम्प 

नये राष्ट्रपति जो बाइडन के पदग्रहण से पहले निवर्तमान डोनाल्ड ट्रम्प कुछ ड्रिलिंग के ठेके जारी करना चाहते हैं। यह ड्रिलिंग कॉन्ट्रेक्ट अलास्का में संवेदनशील आर्कटिक नेशनल वाइल्ड लाइफ रिफ्यूज़ (ANWR) इलाके में दिये जाने हैं। ट्रम्प प्रशासन डेमोक्रेट राष्ट्रपति बाइडेन के व्हाइट हाउस में आने से पहले नीलामी की जल्दी में है। महत्वपूर्ण है कि डेमोक्रेम नेताओं के अलावा, आदिवासी समुदाय और  पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस नीलामी का जमकर विरोध किया है और माना जा रहा है कि ऐसे ठेकों के खिलाफ अदालत में अपील होगी। दिलचस्प है कि ट्रम्प प्रशासन भले ही ठेके बेचने के लिये ज़ोर लगा रहा हो लेकिन ड्रिलिंग कंपनियां इस नीलामी में खास दिलचस्पी नहीं दिखा रही और बड़े बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने इसमें फंडिंग से इनकार कर दिया है।

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