केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने कोयला आधारित ताप बिजलीघरों के लिये SO2 इमीशन मानकों को ढीला करने की मांग की है। पिछली 2 जनवरी को पर्यावरण मंत्रालय को भेजे एक सरकारी पत्र में बिजली मंत्रालय ने असंभव डेडलाइन और कई इलाकों में अनावश्यक शर्तों का हवाला दिया है। महत्वपूर्ण है कि देश में मानव जनित गतिविधियों से होने वाले इमीशन का आधे से अधिक हिस्सा कोयला पावर प्लांट्स से निकलने वाले SO2 का है। वैसे पर्यावरण मंत्रालय ने साल 2015 में सल्फर और नाइट्रोज़न समेत पार्टिकुलेट मैटर के लिये मानकों को तय किया था जिन्हें 2017 से लागू होना था। हालांकि बिजली कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर इस पर असमर्थता जताई और समय सीमा 2022 तक समय सीमा बढ़वा ली लेकिन अब तक 50% से अधिक कोयला बिजलीघरों ने इस बारे में आवश्यक कदम नहीं उठाये हैं। नाइट्रोजन इमीशन के मानक पहले ही कमज़ोर किये जा चुके हैं और अब सल्फर डाई ऑक्साइड के मानक ढीले होने से नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम पर भी असर पड़ेगा।
पांच लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था के लिये गृहमंत्री को कोयले पर भरोसा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत ने 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का जो लक्ष्य रखा है उसमें कोयला क्षेत्र महत्वपूर्ण रोल अदा करेगा। कोल माइनिंग शुरू करने के लिये सिंगल विन्डो क्लीयरेंस का उद्घाटन करते हुए शाह ने सोमवार को कहा कि इस दशक में सरकारी और निजी फर्म द्वारा कोयला क्षेत्र में 4 लाख करोड़ रुपये निवेश की संभावना है। शाह ने दावा किया कि इसके लिये रोड मैप तैयार है। गृहमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछली दस किस्तों में कुल 116 कोयला खदानों को अनुमति दी है और कमर्शियल कोल माइनिंग के लिये पहले दौर में 19 कोल माइन को ठेके दिये गये।
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