बाढ़ से तहस नहस: भारत के पूरब और उत्तरी हिस्से में बाढ़ का कहर जारी है। असम में इस साल 55 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं | Photo: Firstpost

दक्षिण-पूर्व एशिया: बाढ़ से लाखों हुये बेघर

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश में बाढ़ का प्रकोप जारी है। असम में ही कुल 27 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुये हैं और करीब 80 लोगों की जान चली गई है। हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ ने वन्य जीवन को भी तबाह कर दिया है और कम से कम 8 राइनो ( गैंडा) मारे गये हैं। पिछले दो महीनों में तीसरी बार असम का सामना बाढ़ से हो रहा है और करीब 55 लाख लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं। नेपाल में बाढ़ से 40 लाख लोग विस्थापित हुये हैं तो बांग्लादेश में हालात गंभीर बने हुये हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि आने वाले दिनों में आधे से अधिक देश के कारण प्रभावित होगा।

ग्लोबल वॉर्मिंग: दुनिया 1.5 डिग्री की ओर

विश्व मौसम विभाग के मुताबिक इस बात की 24% संभावना है अगले 5 सालों में से एक साल ऐसा होगा जिसमें धरती का तापमान वृद्धि प्री-इडस्ट्रियल लेविल (औद्योगिक क्रांति से पहले का वक्त) से 1.5 डिग्री अधिक होगा।  हालात खराब हो रहे हैं और धीरे-धीरे हम पेरिस संधि में तय की गई सीमा के करीब पहुंच रहे हैं। इस साल जून में धरती की सतह पर हवा का तापमान 1981-2010 के बीच जून के औसत तापमान से 0.53 डिग्री अधिक था। साइबेरिया में यह तापमान वृद्धि सबसे अधिक आंकी गई।

तेल-गैस ड्रिलिंग से बढ़ रहा दुनिया का मीथेन उत्सर्जन

दो ताज़ा अध्ययनों से पता चला है कि दुनिया भर में तेज़ी से बढ़ रहे मीथेन गैस स्तर के लिये तेल और गैस की ड्रिलिंग ज़िम्मेदार है। इसके साथ ही विश्व भर में कृषि क्षेत्र भी मीथेन इमीशन का कारण है। साल 2000 तक मीथेन उत्सर्जन के लिये कोयला खनन को ज़िम्मेदार माना जाता था। अर्थ सिस्टम साइंस डाटा और इन्वायरेंमेंटल रिसर्च लेटर नाम के पत्रों में छपी रिसर्च से यह बात सामने आई है। इसमें ग्राउंड और सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के अलावा उत्पादन और खपत के रुझानों का विश्लेषण किया गया। पूरी दुनिया में केवल यूरोप ही ऐसी जगह है जहां मीथेन का स्तर गिरा है।

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