उत्तराखंड के चार धाम यात्रा मार्ग की चौड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बनाई हाई पावर्ड कमेटी (एचपीसी) की राय बंटी हुई है। अध्यक्ष रवि चोपड़ा समेत कमेटी के चार सदस्यों का कहना है कि यात्रा मार्ग को भारतीय रोड कांग्रेस के इंटरमीडिएट मानकों के हिसाब से बनाना चाहिये। इंटरमीडिएट मानक के तहत सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर हो सकती है। इन सदस्यों को कहना है कि हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुये सड़की की अधिक चौड़ाई के लिये अनावश्यक छेड़छाड़ करनी पड़ेगी जो सही नहीं है।
उधर समिति का बहुमत डबल लेन (पेव्ड शोल्डर) मानक के तहत सड़क बनाने के पक्ष में है जिसमें 12 मीटर तक चौड़ाई हो सकती है। यह अहम है कि 900 मीटर लम्बे इस यात्रा मार्ग के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से में चौड़ी सड़क के लिये जंगल और पहाड़ काटे जा चुके हैं जिससे यह सवाल उठता है कि समिति की राय का कितना महत्व है। चारधाम यात्रा मार्ग में सड़क चौड़ीकरण के लिये 12,000 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रिय प्रोजक्ट कहा जाता है।
वैसे रिपोर्ट के एक अध्याय को छोड़कर बाकी सभी अध्यायों में समिति के सभी सदस्य कमो-बेश एकमत हैं लेकिन चौड़ाई पर दो राय होने के कारण अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास दो रिपोर्ट भेजी गई हैं। एक रिपोर्ट अध्यक्ष रवि चोपड़ा और उनके तीन सहमत समिति सदस्यों की और दूसरी बहुमत वाली।
कमेटी के दोनों धड़े मानते हैं कि चारधाम मार्ग बेहद संवेदनशील है लेकिन बहुमत वाले जानकारों का समूह मिटिगेशन पर ज़ोर दे रहा है। यानी सड़क चौड़ी भी बने और उसके पर्यावरणीय प्रभाव से निपटने के लिये पर्याप्त कदम भी उठाये जायें। जबकि अल्पमत के सदस्य कहते हैं कि इन पहाड़ी का भू-विज्ञान और ज्यामिति (टोपोग्राफी) ऐसी नहीं है जहां अधिक तोड़फोड़ की जाये। अपनी रिपोर्ट में अध्यक्ष रवि चोपड़ा ने कहा है कि यह संवेदनशील मामला है और सुप्रीम कोर्ट ही इस पर कोई फैसला करे । चोपड़ा ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मार्च 2018 में जारी उस सर्कुलर का हवाला दिया है जो कहता है कि पहाड़ पर इंटरमीडिएट मानक से ही सड़क बने। हालांकि 24 जून को केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण देकर कहा कि वह सर्कुलर चारधाम यात्रामार्ग पर लागू नहीं होता।
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