कनाडा सरकार और अलबर्टा प्रान्त ने पर्यावरण नियमों की निगरानी के लिये तय बजट में कटौती की है। अलबर्टा के ऑयल सेंड्स डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में इस कटौती के लिये दोनों पक्षों में सहमति बनी है। जहां पिछले साल कुल 5.8 करोड़ डॉलर मॉनिटरिंग के लिये रखे गये थे वहीं इस साल का अधिकतम बजट 4.4 करोड़ डॉलर का है। इस कटौती के पीछे कोरोना महामारी वजह बताई गई है। इस फैसले के बाद प्रोजक्ट से निकलने वाले डिस्चार्ज को स्थानीय नदी में डालने से पहले उसकी क्वॉलिटी की जांच नहीं होगी और यहां मौजूद जीव-जंतुओं और मछलियों के साथ वैटलेंड पर पड़ने वाले असर का आंकलन भी नहीं हो पायेगा।
क्लाइमेट रिस्क की जानकारी नहीं दी तो सरकार पर किया मुकदमा
ऑस्ट्रेलिया में एक 23 वर्षीय छात्रा ने सरकार पर इस बात के लिये मुकदमा कर दिया कि निवेशकों को सरकारी बॉन्ड खरीद में क्लाइमेट चेंज से जुड़े ख़तरों के बारे में नहीं बताया गया। जानकार कहते हैं कि यह अपनी तरह का अनूठा मुकदमा है। इसमें याचिकाकर्ता छात्रा काट्टा ओ’ डोनेल ने कहा कि निवेशकों को ग्लोबल वॉर्मिंग के ख़तरे न बताकर सरकार क्लाइमेट रिस्क का सच नहीं बता रही। उसका कहना है कि “देश की आर्थिक तरक्की के लिये कोई भी ख़तरा करेंसी को प्रभावित करेगा जिससे उसके निवेश पर असर पड़ सकता है।”
पोलैंड 2060 तक कहेगा कोयले को अलविदा
यूरोप में कोयले के सबसे बड़े उपभोक्ता पोलैंड का कहना है कि वह 2050 या अधिकतम 2060 तक कोयला का प्रयोग बन्द कर देगा। यह बात पोलैंड के उप प्रधानमंत्री ने कहा। उन्होंने ये भी कहा कि गैर कोयला बिजलीघरों में इस बीच बड़े निवेश करने होंगे। यह ऐलान काफी अहम है क्योंकि पोलैंड की ज़्यादातर बिजली कोयले से ही बनती है।
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