एनर्जी और रिसर्च कन्सल्टेंसी ग्रुप वुड मैकेंजी का नया अध्ययन बताता है कि एशिया में भारत और ऑस्ट्रेलिया ही दो मार्केट हैं जहां साफ ऊर्जा की कीमत नये कोयला आधारित बिजली से कम है। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2030 तक सारे एशिया में रिन्यूएबिल पावर, सस्ते जीवाश्म ईंधन के मुकाबले कम होगी। भारत में रिन्यूएबिल एनर्जी नये कोयला बिजलीघरों से मिलने वाली पावर से 56% सस्ती होगी। ऑस्ट्रेलिया इस मामले में दूसरे नंबर पर होगा जहां साफ ऊर्जा और नये कोयला प्लांट से बिजली उत्पादन के खर्च में अंतर 47% होगा। भारत में किफायती निर्माण और सस्ते मज़दूरों के साथ रिन्यूएबिल संसाधनों का होना असरदार रहेगा और इस क्षेत्र में उसका दबदबा रहेगा।
फ्लोटिंग विन्ड पावर क्षमता 2050 तक हो जायेगी 2000 गुना
भारत की फ्लोटिंग पवन ऊर्जा क्षमता साल 2050 में वर्तमान 100 मेगावॉट से बढ़कर 250 गीगावॉट (250000 मेगावॉट) हो जायेगी। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक 2050 में फ्लोटिंग विन्ड एनर्जी दुनिया की कुल बिजली सप्लाई के 2% के बराबर होगी। नॉर्वे स्थित रिस्क मैनेजमेंट और क्वालिटी असेसमेंट कंपनी DNV GL ने कहा है कि फ्लोटिंग पवन ऊर्जा की कीमत 2050 तक 70% गिर जायेगी। उद्योगों को प्रौद्योगिकी में सुधार के लिये उच्च मानकों और रिस्क मैनेजमेंट की ज़रूरत होगी।
भारत और स्वीडन स्मार्ट ग्रिड सेक्टर में करेंगे साझा रिसर्च
भारत और यूरोपीय देश स्वीडन स्मार्ट ग्रिड सेक्टर में नई प्रौद्योगिकी का विकास करेंगे और दोनों ने अपने देशों की कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं। जिन प्रस्तावों को हरी झंडी मिलेगी उन्हें भारत के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) और स्वीडन के स्वीडिश एनर्जी एजेंसी से वित्तीय मदद मिलेगी। कंपनियों की इस साझेदारी में रिसर्च संस्थान जैसे यूनिवर्सिटी वगैरह शामिल हो सकती हैं। डीएसटी इसमें 18 करोड़ तक की फंडिंग करेगी जबकि स्वीडन 2.5 करोड़ स्वीडिश क्रोना का सहयोग करेगा। ये प्रोजेक्ट 1 जनवरी 2022 से शुरू होकर 31 दिसंबर 2023 तक चलेगा।
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