सुखद बदलाव

सुखद बदलाव: ओज़ोन की परत को बचाने के लिये दुनिया भर के देशों के बीच सहयोग असर दिखा रहा है। फोटो – New Scientist

कोरोना: “प्रकृति हमें एक पैगाम दे रही है,”

संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रमुख इंगर एंडरसन ने कहा है कि कोरोना वाइरस महामारी के ज़रिये प्रकृति हमें एक संदेश भेज रही है। एंडरसन ने कहा कि दुनिया प्रकृति पर बेइंतहा दबाव डाल रही है और धरती के विनाश को नज़रअंदाज़ करके हम अपना भला नहीं कर सकते।

जाने माने वैज्ञानिकों ने भी कहा है कि कोरोना महामारी एक चेतावनी है कि वन्य जीवन के भीतर बेहद खतरनाक बीमारियां छुपी हैं और आज हम “आग के साथ खेल रहे हैं”। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह हमेशा गलत मानवीय तौर तरीके ही ऐसी बीमारी इंसान पर लादते हैं। जानकारों के मुताबिक आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये ग्लोबल वॉर्मिंग के साथ प्रकृति का विनाश रोकना होगा क्योंकि उसकी वजह से वन्य जीवों की इंसानी समाज से दूरी घट रही है।

बिहार: तटबंधों की निगरानी के लिये ड्रोन का इस्तेमाल

बाढ़ आपदा प्रबंधन के लिये बिहार ने तय किया है मॉनसून के दौरान ड्रोन से निगरानी की जायेगी। इस बारे में एक विस्तृत योजना तैयार की जा रही है। माना जा रहा है कि इस साल से ही यह प्रयोग शुरू होगा। पहले चरण में 12 ड्रोन इस काम में लगाये जायेंगे।

क्या ओज़ोन लेयर भर रही है?

पिछले पखवाड़े एक अच्छी ख़बर आई।   पश्चिमी गोलार्ध का मौसम और समुद्री धारायें तय करने वाली दक्षिण जेट स्ट्रीम का बहाव अब वापस अपने सामान्य रास्ते पर लौट रहा है। साल 2000 से बहाव का यह ग्राफ दक्षिण की ओर था।

पत्रिका नेचर में छपे एक नये शोध में बताया गया है कि इस बदलाव की वजह दुनिया भर में ओज़ोन को नष्ट करने वाले रसायनों के खिलाफ चली मुहिम है। इससे यह उम्मीद भी जगी है कि अगर दुनिया भर की सरकारें संगठित होकर सही कदम उठायें तो क्लाइमेट सिस्टम को हुये कुछ नुकसान की भरपाई ज़रूर की जा सकती है।

पिघल रही है धरती की सबसे गहरी बर्फ की घाटी

पूर्वी अंटार्टिक की डेनमन घाटी पर पिघलने का ख़तरा मंडरा रहा है। यह धरती पर बर्फ की सबसे गहरी घाटी है। अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा की रिपोर्ट बताती है कि इसके आसपास समुद्र का गर्म होता पानी इसे पिघला रहा है। यह एक बेहद चिंताजनक बात है क्योंकि अगर इस घाटी की सारी बर्फ पिघल गई तो समुद्र सतह 1.5 मीटर ऊपर उठ जायेगा।

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दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

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