कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने एलान किया है कि वह थर्मल पावर के उत्पादन को सीमित करेगा और राज्य में अब कोई नया ताप बिजलीघर नहीं लगेगा। कर्नाटक के एनर्जी विभाग का कहना है कि यह फैसला राज्य सरकार के रोड मैप का हिस्सा है जिसके मुताबिक अगले तीन से पांच साल में थर्मल पावर प्लांट्स को पूरी तरह से बन्द कर दिया जायेगा। इस फैसले के बाद यह बहस भी तेज़ हो रही है कि कर्नाटक के रायचूर ज़िले पर इस फैसले का क्या प्रभाव पड़ेगा जहां राज्य के हर तीन में से दो ताप बिजलीघर हैं।
दुनिया का कुल 53% कोयला बिजली उत्पादन चीन में
लंदन स्थित रिसर्च ग्रुप के मुताबिक साल 2020 में दुनिया के कुल कोयला बिजली उत्पादन का 53% चीन में हुआ। साल 2015 में चीन की यह हिस्सेदारी 44% थी। महत्वपूर्ण है कि चीन ने साल 2020 में 48.2 गीगावॉट सोलर और 71.7 गीगावॉट पवन ऊर्जा के संयंत्र भी लगाये जो कि एक रिकॉर्ड है उसके बावजूद उसकी कोल पावर की हिस्सेदारी दुनिया की कुल कोल पावर के आधे से अधिक रही। चीन के कोल पावर में यह उछाल उसके द्वारा लगाये गये 38.4 गीगावॉट के नये कोयला बिजलीघरों की वजह से है जो पूरी दुनिया के लगाये प्लांट्स की सम्मिलित क्षमता का तीन गुना है। पिछले 10 साल में चीन कुल बिजली में कोल पावर की हिस्सेदारी 70% से गिरकर 56.8% हो गई है लेकिन फिर भी उसने 46 गीगावॉट से अधिक के कोल पावर प्लांट मंज़ूर किये हैं जो जल्द ही लगेंगे। महत्वपूर्ण है कि चीन ने 2060 तक नेट ज़ीरो स्टेटस हासिल करने का वादा किया है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
आर्थिक उलझन: अधिकांश कर्ज़ तेल और गैस के लिए
-
भारत 2040 तक दुनिया की 25% ईंधन की मांग को पूरा कर सकता है: हरदीप सिंह पुरी
-
2025 तक एक अरब टन से अधिक होगा भारत का कोयला उत्पादन: आईईए वार्षिक रिपोर्ट
-
विकार्बनीकरण के लिए परमाणु ऊर्जा की ओर मुड़ रहा है एनटीपीसी
-
2070 तक नेट जीरो प्रतिबद्धता के बावजूद 99 नई कोयला परियोजनाएं विकसित कर रहा है भारत