सरकार की एक बैठक में संरक्षित वेटलैंड्स (आर्द्रभूमियों) और संवेदनशील क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्टर शुरू करने पर विचार हुआ। बैठक के एजेंडे में जैव-विविधता से भरपूर क्षेत्रों से लोगों का स्वैच्छिक पुनर्वास और इन इलाकों में इंफ़्रास्ट्रक्चर विकास के लिए दिशा-निर्देश बनाना शामिल था।
संरक्षणवादी आनंद आर्य ने सवाल उठाया कि जब ये क्षेत्र संरक्षित हैं, तो वहां किसी भी तरह की इंफ़्रास्ट्रक्चर परियोजना कैसे हो सकती है। उन्होंने कहा, “सबसे पहले यह स्पष्ट होना चाहिए कि किस तरह की परियोजनाओं की बात हो रही है और क्या इससे संरक्षित क्षेत्रों को खोला जा रहा है।”
वन अधिकार अधिनियम के तहत 20 लाख से ज़्यादा दावे अभी भी लंबित
सरकार ने संसद में बताया कि वन अधिकार कानून (एफआरए, 2006) के तहत अब तक 23.8 लाख व्यक्तिगत दावे और 1.21 लाख सामुदायिक पट्टे वितरित किए गए हैं। लेकिन 31 मई 2025 तक 18.6 लाख व्यक्तिगत और 7.49 लाख सामुदायिक दावे अभी भी लंबित हैं।
केंद्र ने कहा कि अधिनियम को लागू करने की ज़िम्मेदारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की है। मंत्रालय को मिली शिकायतें आगे राज्य सरकारों को भेज दी जाती हैं।
संयुक्त राष्ट्र डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) की ताज़ा रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अगले पाँच सालों के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नीति या त्वरित योजना बनाई जाए, जिससे आदिवासी शासन और टिकाऊ विकास को साथ-साथ बढ़ावा मिल सके।
असम में नए नियमों से 99% वन क्षेत्र सुरक्षा सूची से बाहर
असम सरकार के नए नियमों की वजह से दीमा हसाओ ज़िले के 1,168 हेक्टेयर में से 1,153 हेक्टेयर वन क्षेत्र को सुरक्षा से हटा दिया गया है। हालांकि राज्य सरकार मानती है कि इस क्षेत्र में 20% से 70% तक पेड़ हैं और यह ‘वन’ की परिभाषा में आता है।
नए नियमों में पेड़ों के प्रकार और घनत्व को भी शामिल किया गया है, जिससे पहले से सुरक्षित बहुत से क्षेत्रों को अब वन नहीं माना जा रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि ये नियम ज़रूरत से ज़्यादा कठोर हैं और इससे वास्तविक वन क्षेत्र कम दिखाया जा रहा है। इसका असर संरक्षण और फंडिंग पर पड़ सकता है।
अमेरिकी शुल्क बढ़ने के बाद मोदी का एससीओ सम्मेलन में हिस्सा
प्रधानमंत्री मोदी सात साल बाद चीन का दौरा करेंगे और वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। यह बैठक तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान होगी।
अमेरिका ने हाल ही में भारतीय निर्यात पर शुल्क बढ़ाकर 50% कर दिया है, क्योंकि भारत ने रूसी तेल खरीदना बंद करने से इनकार कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सम्मेलन रूस के समर्थन और ग्लोबल साउथ की एकजुटता का प्रदर्शन होगा।
ब्राज़ील का देशों को आग्रह: 25 सितंबर तक जलवायु योजनाएं जमा करें
कॉप30 से पहले ब्राज़ील ने सभी देशों से अपील की है कि वे अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं (एनडीसी) 25 सितंबर तक जमा करें। अब तक केवल 28 देशों ने ही ऐसा किया है। संयुक्त राष्ट्र को इन योजनाओं की ज़रूरत है ताकि वह एक ‘सिंथेसिस रिपोर्ट’ तैयार कर सके और यह आकलन कर सके कि दुनिया 1.5°C तापमान लक्ष्य से कितनी पीछे है। ब्राज़ील के राजनयिक आंद्रे कोरिया डो लागो ने चेतावनी दी है कि अगर देशों की योजनाएं पर्याप्त मज़बूत नहीं होंगी, तो कॉप30 में और कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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