अमेरिका ने उन चार भारत स्थित फर्मों पर रोक लगा दी है जो ईरान के साथ आइल ट्रेड कर रही थी। इसके फैसले के कारण 30 से अधिक लोगों और कई जहाज़ों को ब्लैकलिस्ट किया है। जिन कंपनियों पर रोक है उनमें यूएई और हांगकांग के साथ तेल व्यापार में कम कर रही बिचौलिया फर्म, भारत और चीन में काम कर रहे टैंकर ऑपरेटर और मैनेजर और ईरान की राष्ट्रीय तेल कंपनी ऑइल टर्मिनल कंपनी के प्रमुख शामिल हैं। भारत स्थित जिन चार कंपनियों पर रोक लगाई गई है उन्होंने 2020 और 2024 के बीच पंजीकरण किया था।
इन पाबंदियों के कारण कोई अमेरिकी नागरिक इन कंपनियों या व्यक्तियों के साथ व्यापार नहीं कर सकता और उल्लंघन करने पर सिविल और आपराधिक पेनल्टी लगाई जा सकती है। भारत ने ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान 2019 में ईरान से तेल आयात बंद कर दिया था। ईरान का 1 – 1.5 मिलियन बैरल टन निर्यात होने वाला अधिकांश तेल चीन को ही जाता है जिसने अमेरिकी पाबंदियों की कोई परवाह नहीं की।
भारत में अमेरिका से कच्चे तेल का आयात डबल, रूसी आयात घटा
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण फरवरी में भारत का रूसी तेल आयात लगभग एक चौथाई कम हो गया, जबकि अमेरिकी तेल आयात लगभग दोगुना हो गया। भारत की योजना अमेरिकी ऊर्जा खरीद को दो-तिहाई तक बढ़ाकर 25 बिलियन डॉलर पहुँचाने की है।
इकॉनॉमिक टाइम्स ने ऊर्जा कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा से प्राप्त आंकड़ों के हवाले से बताया कि फरवरी के शुरुआती 20 दिनों के दौरान, रूसी बंदरगाहों पर भारत जानेवाले टैंकरों में प्रतिदिन औसतन 1.07 मिलियन बैरल (एमबीडी) तेल लोड किया गया, जबकि जनवरी में यह आंकड़ा 1.4 एमबीडी था। वहीं अमेरिकी बंदरगाहों पर भारत जानेवाले जहाजों में औसत लोडिंग 0.2 एमबीडी थी, जो जनवरी में 0.11 एमबीडी से अधिक थी।
450 बिलियन यूनिट तक बढ़ेगी बिजली की मांग, कोयला, गैस के भंडार तैयार
देश में अप्रैल-जून 2025 के दौरान बिजली की खपत 450 बिलियन यूनिट और पीक डिमांड स्केल 270 गीगावाट तक पहुंचने की संभावना है। हिंदू बिज़नेसलाइन ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि इस मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा, कोयला और रेल मंत्रालयों ने व्यापक तैयारियां की हैं।
ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल ने कहा है कि 1,800 मेगावाट क्षमता के लिए गैस खरीदने हेतु एक निविदा जारी की गई है। कोयला भंडार पर उन्होंने कहा कि मंत्रालय कई सालों में अपनी सबसे अच्छी स्थिति में है। देश के पास लगभग 21 दिनों का स्टॉक है जो अच्छी तरह वितरित है। अक्टूबर 2024 के बाद से, कोयला मंत्रालय ने उत्पादन में लगातार वृद्धि की है। अप्रैल-जून 2024 के दौरान भारत ने सबसे लंबी हीटवेव का सामना किया, जिस दौरान ऊर्जा की मांग 250 गीगावाट तक पहुंच गई और खपत 452 बिलियन यूनिट के ऊपर थी। कोयले की मांग पिछले साल के मुकाबले 7.3% बढ़ी, फिर भी मंत्रालय ने बिजली की कमी को 0.2-0.4% के बीच सीमित रखा।
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