बाढ़ की विभीषिका सिर्फ फिर सब पानी-पानी: जुलाई में अपेक्षाकृत कम बारिश के बाद अगस्त के महीने में जमकर बारिश हुई है। कई राज्यों को बाढ़ का सामना करना पड़ा है | Photo: The News Minute

‘खुश्क जुलाई’ के बाद अगस्त में जमकर बरसा पानी

जुलाई में कम बारिश के बाद अगस्त के दूसरे हफ्ते में जमकर बरसात हुई। उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत  में 11 से 14 अगस्त के बीच हुई अच्छी बारिश के बाद अब तक इस साल कुल 103% बरसात रिकॉर्ड (दीर्घ काल औसत – LPA) की गई है। इस साल (12 अगस्त तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक) देश के 11 राज्यों में  868 लोगों की जान बाढ़ में गई। इसी अवधि  पिछले साल कुल 908 लोगों की जान बाढ़ ने ली थी। जहां कर्नाटक में अब तक 12 लोगों की जान गई और 3,500 करोड़ का नुकसान हुआ वहीं केरल में लगातार तीसरे साल बाढ़ का प्रकोप रहा। इडुक्की ज़िले के पेट्टीमुडी में पिछले 6 अगस्त को भूस्खलन में 70 लोगों की जान चली गई। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने महाराष्ट्र, चंडीगढ़, उड़ीसा और तेलंगाना के इलाकों में अलर्ट जारी किया है। 

कोरोना:  संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट साइंस रिपोर्ट में देरी 

कोरोना महामारी के कारण आईपीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त के वैज्ञानिकों का पैनल) की क्लाइमेट साइंस रिपोर्ट में देरी हो रही है। इसका पहला हिस्सा अगले साल नवंबर में होने वाले ग्लासगो सम्मेलन से पहले जारी कर दिया जायेगा लेकिन रिपोर्ट के दो अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों का प्रकाशन तब तक नहीं हो पायेगा। रिपोर्ट के यह सेक्शन क्लाइमेट चेंज के असर और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन रोकने के बारे में हैं।   

चीन में तापमान वृद्धि दर 0.5 डिग्री/दशक से अधिक 

एक नये शोध में पता चला है कि चीन के कई हिस्सों में प्रति दशक तापमान वृद्धि 0.5 डिग्री से अधिक है। देश के अलग अलग हिस्सों में लगाये गये 2479 वेदर स्टेशनों से लिये गये डाटा के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। इन वेदर स्टेशनों से 1958 और 2017 के बीच दर्ज डाटा का विश्लेषण किया गया। इस शोध में यह भी पाया गया कि पिछले 60 साल में सर्दियों में वॉर्मिंग सबसे अधिक है। तापमान बढ़ने के मामले में इसके बाद वसंत, पतझड़ और फिर गर्मियां रहीं। 

ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण गर्म इलाकों की मिट्टी छोड़ेगी कार्बन 

कार्बन उत्सर्जन से ग्लोबल वॉर्मिंग की बात तो सभी जानते हैं लेकिन अब एक रिसर्च बताती है कि इसका उलट भी सच हो रहा है। इस शोध के मुताबिक धरती के बढ़ते तापमान के कारण गर्म इलाकों के जंगलों की मिट्टी अधिक कार्बन छोड़ रही है। यह उत्सर्जन ऊंचे पहाड़ों के जंगलों के मुकाबले अधिक है जबकि पहले यह माना जाता रहा है कि गर्म क्षेत्रों में जंगलों की मिट्टी पर ऊंचाई पर बसे जंगलों के मुकाबले वॉर्मिंग का कम प्रभाव पड़ता है।  शोध में अलग-अलग क्षेत्रों की मिट्टी को दो साल तक गर्म (4 डिग्री तापमान) वातावरण में रखा गया और पता चला कि सामान्य तापमान के मुकाबले 55% अधिक CO2 उत्सर्जन हुआ। 

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