मुंबई में पेट्रोल-डीज़ल वाहनों पर लग सकता है प्रतिबंध, पैनल गठित

महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के मद्देनज़र मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (एमएमआर) में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की संभावना का अध्ययन करने के लिए एक सात-सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति तीन महीनों में अपने सुझाव प्रदान करेगी। मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में 1.20 करोड़ वाहन पंजीकृत हैं, जो वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने ट्रैफिक और उत्सर्जन से होने वाले प्रदूषण पर चिंता जताते हुए इस पैनल के गठन का आदेश दिया था।

पिछली रिपोर्टों से पता चलता है कि सड़क की धूल के बाद वाहन प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत हैं।  विशेषज्ञ हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए केवल सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों की अनुमति देने की व्यवहार्यता का आकलन करेंगे।

राजनैतिक बहस के बीच क्या है यमुना में प्रदूषण की सच्चाई

दिल्ली में विधानसभा चुनावों के कारण यमुना के प्रदूषण पर तीखी राजनैतिक बहस छिड़ी हुई है। यमुना में अमोनिया के खतरनाक स्तर के लिए दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। जवाब में भाजपा ने केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि वह यमुना की सफाई में विफल रहने के कारण जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। 

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के लिए दोनों ही राज्य जिम्मेदार हैं और उन्हें साथ मिलकर यमुना की सफाई के प्रयास करने चाहिए। राज्यों के निकायों द्वारा दिए गए आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि हरियाणा में अमोनिया-युक्त पानी यमुना में छोड़ा जाता है। लेकिन ऐसा मुख्यतः जल-निकासी से जुड़ी समस्याओं के कारण होता है। वहीं यमुना के कुल प्रदूषण में दिल्ली का योगदान 76 प्रतिशत है। जानकार बताते हैं कि साल में 15 से 22 बार यमुना के जल में अमोनिया की मात्रा 1 पीपीएम से ऊपर की वृद्धि होती है। यह उछाल मुख्य रूप से दिसंबर से मार्च के बीच में होता है जब मानसून खत्म होने के बाद नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है।

पहली बार ब्रेन टिश्यू में मिला माइक्रोप्लास्टिक

हाल के अध्ययनों में पहली बार मानव मस्तिष्क के ऊतकों में माइक्रोप्लास्टिक्स मिला है, विशेष रूप से घ्राण बल्ब में जो गंध की भावना को संसाधित करता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि घ्राण नसों के माध्यम से माइक्रोप्लास्टिक्स मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं। स्वास्थ्य पर इसके क्या प्रभाव होते हैं, इसपर अभी अध्ययन चल रहे हैं, लेकिन आशंका है कि इससे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों की संभावना बढ़ जाती है। मानव शरीर के विभिन्न अंगों पर माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभावों पर पहले भी कई अध्ययन किए जा चुके हैं। मौजूदा अध्ययन दर्शाता है कि प्लास्टिक प्रदूषण कितना व्यापक है और मानव स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

पालार नदी में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिया मुआवजे का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में चमड़े की फैक्ट्रियों द्वारा पालार नदी में  किए जा रहे प्रदूषण को कम करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने बिना उपचार के पालार नदी में छोड़े जा रहे अपशिष्ट को ‘इकोसाइड’ बताते हुए प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने का निर्देश दिया। यह मुआवजा प्रदूषणकारी उद्योगों से वसूला जाएगा। साथ ही, इकोलॉजी को हो रहे नुकसान का आकलन और ऑडिट करके सुधार के उपायों सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल का गठन करने का भी आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्योगों के लिए आवश्यक है कि वह पर्यावरणीय नियमों का पालन करें और सस्टेनेबल तरीके अपनाएं।

Website |  + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.