बायोमास के लिए काटे जा रहे हैं इंडोनेशिया के जंगल

बायोमास की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए इंडोनेशिया के जंगलों को खतरनाक दर से काटा जा रहा है। ज्यादातर बायोमास का उत्पादन लिए लकड़ी के छर्रों के रूप में किया जाता है, जो मुख्य रूप से दक्षिण कोरिया और जापान को निर्यात किए जाते हैं। दोनों देश इंडोनेशिया के बायोमास उद्योग में लाखों का निवेश कर रहे हैं। इंडोनेशिया की सरकारी इकाईयों ने भी बिजली उत्पादन के लिए बायोमास का उपयोग को बढ़ाने की योजना बनाई है।

2021 से अब तक 9,740 हेक्टेयर से अधिक जंगल साफ़ कर दिए गए हैं। अतिरिक्त 1.4 मिलियन हेक्टेयर से अधिक साफ़ करने के लिए परमिट जारी किए गए हैं। इनमें से कई जंगल सुमात्रा गैंडों, हाथियों और बाघों सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों के आवास हैं।

पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि बायोमास की बढ़ती मांग और इंडोनेशिया में कमजोर विनियमन के कारण वनों की कटाई में तेजी आ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि लकड़ी आधारित बायोमास जलाने से कोयले की तुलना में अधिक कार्बन उत्सर्जन हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी सहित विशेषज्ञों का तर्क है कि बायोमास अपशिष्ट और अवशेषों से आना चाहिए, न कि वन भूमि से।

सोलर पीवी सेल्स के लिए भी एएलएमएम सूची जारी कर सकती है सरकार

भारत सरकार विशेष रूप से सोलर पीवी सेल्स के लिए मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची (एएलएमएम) लॉन्च करने की योजना बना रही है। यह सूची 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होगी। इसे सूची II कहा जाएगा और यह एएलएमएम सूची I के समान ही कार्य करेगी। सूची I को सोलर मॉड्यूल के लिए 2019 में लॉन्च किया गया था और इसके तहत आवश्यक है कि अनुमोदित घरेलू निर्माताओं से ही पीवी मॉड्यूल लिए जाएं। सूची II घरेलू उत्पादन को और अधिक समर्थन देने के लिए सोलर पीवी सेल्स के अनुमोदित मॉडल और निर्माताओं पर ध्यान केंद्रित करेगी।

नए दिशानिर्देशों के तहत, एएलएमएम  सूची I में सूचीबद्ध सोलर मॉड्यूल, जिनकी समाप्ति तिथि 31 मार्च, 2026 के बाद  है, उनमें सूची II में दिए गए सेल्स का उपयोग करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें सूची I से हटाया जा सकता है।

भंडारण और ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए भारत ने मांगे 7 करोड़ डॉलर

ऊर्जा भंडारण और ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए भारत ने क्लाइमेट इन्वेस्टमेंट फंड (सीआईएफ) से 7 करोड़ डॉलर की मांग की है।

यह पहल भारत की नवीकरणीय ऊर्जा एकीकृत निवेश योजना का हिस्सा है, जो 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापना के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक होगी। इस निवेश से नवीकरणीय क्षमता में 1,500 मेगावाट की वृद्धि अपेक्षित है। साथ ही ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर में  वृद्धि और कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी होने की भी उम्मीद है। फंडिंग से ग्रिड की मजबूती बढ़ने और हरित नौकरियां पैदा होने की भी संभावना है।

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