भारत में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा तय किये गये मानदंडों से 8 गुना अधिक खराब है और इस कारण देशवासियों की उम्र औसतन साढ़े तीन साल घट रही है जबकि दिल्ली में प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण उम्र में 8.2 वर्षों की कमी हो रही है। यह बात अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी संस्थान की रिपोर्ट में कही गई है।
इसके मुताबिक सभी 140 करोड़ भारतीय ऐसी हवा में सांस लेते हैं जिसमें पार्टिकुलेट मैटर का सालाना स्तर डब्लूएचओ के मानकों को पूरा नहीं करता। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सबसे साफ हवा में सांस लेने वालों की हवा अगर डब्लूएचओ के मानकों को पूरा कर ले तो वहां रहने वालों की उम्र में नौ महीने से अधिक का इजाफ़ा हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2021 वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश के अनुसार, पीएम2.5 की वार्षिक औसत सीमा 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि पीएम10 की 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। ये सीमाएं भारत के अपने मानकों से कहीं अधिक सख्त हैं, जो वर्तमान में पीएम2.5 के लिए 40 माइक्रोग्राम और पीएम10 के लिए 60 माइक्रोग्राम की अनुमति देते हैं।
पेड़ों की कटाई के मामले में ज़िम्मेदार जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश
भारत की हरित अदालत, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने जम्मू-कश्मीर सरकार को उन अधिकारियों को दंडित करने का आदेश दिया है, जिन्होंने कुपवाड़ा में बिना उचित मंज़ूरी के 1,000 से ज़्यादा पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी। डाउन टु अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकरण ने मुख्य सचिव से एक विस्तृत हलफनामा माँगा है, जिसमें उल्लंघनों का विवरण हो और वन विभाग को मुआवज़ा मिलना सुनिश्चित हो।
फ्लाई ऐश का 98% से अधिक बुनियादी ढाँचा और औद्योगिक क्षेत्र में उपयोग किया गया
ईटी एनर्जीवर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लाई ऐश उपयोग और परिवहन पर राष्ट्रीय सम्मेलन में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 340.11 मिलियन टन फ्लाई ऐश उत्पन्न की, जिसमें से 332.63 मिलियन टन यानी 98% का उपयोग औद्योगिक और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में किया गया।
अधिकारियों के अनुसार, रेलवे आकर्षक माल ढुलाई रियायतों के माध्यम से फ्लाई ऐश की ढुलाई का एक किफायती और टिकाऊ तरीका प्रदान कर रहा है। सरकारी नीति ने बुनियादी ढांचे और निर्माण सामग्री में फ्लाई ऐश के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है क्योंकि इन उपायों का उद्देश्य तापीय उप-उत्पादों का सुरक्षित निपटान और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
देश में चिन्हित 103 दूषित स्थलों में 7 पर सुधार का काम
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी दी कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा देश भर में चिन्हित 103 दूषित स्थलों में से 7 पर सुधार कार्य शुरू हो गए हैं।
यह प्रगति पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह की उस घोषणा के बाद हुई है जिसमें उन्होंने कहा था कि पर्यावरण संरक्षण (दूषित स्थलों का प्रबंधन) नियम, 2025, दूषित स्थलों की पहचान और सुधार की प्रक्रिया को रेखांकित करता है। सरकार ने 24 जुलाई को इन नियमों को अधिसूचित किया था।
यह नियम राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह अधिकार देता है कि यदि स्थल मूल्यांकन पूरा होने के बाद प्रदूषण एक निश्चित सीमा से ऊपर हो, तो वह किसी स्थल को दूषित घोषित कर सकता है।
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