इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी, इकनोमिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिसिस (ईफा) की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने सिंचाई के लिये 2022 तक 20 लाख सोलर पम्प देने का जो लक्ष्य रखा है वह पूरा नहीं हो पायेगा। रिपोर्ट कहती है कि किसान न तो सोलर पम्प का खर्चा वहन कर सकते हैं और न उन्हें बैंक से कर्ज़ मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना जुलाई 2019 में शुरू की गई और केंद्र सरकार का लक्ष्य मार्च 2022 तक 30.8 गीगावॉट के सोलर पम्प लगाना है लेकिन वित्तवर्ष 2019-20 में केवल 2.46 लाख पम्प ही लग पाये।
वितरण कंपनियां कर रही हैं रिन्यूएबिल पावर बहुत बढ़ाने का विरोध
आंध्र प्रदेश की वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन बहुत अधिक बढ़ाने का विरोध कर रही हैं। उन्हें डर है कि पावर सप्लाई के तीव्र उतार-चढ़ाव से ग्रिड पर फेल हो सकता है। डिस्कॉम कह रही हैं कि उनके लिये योजना बनाना असंभव हो गया है और बड़े स्तर पर वेरिएबिल रिन्यूएबिल एनर्जी (वीआरई) इंटीग्रेशन से सिस्टम ऑपरेटर के आगे कई अनिश्चिततायें रहती हैं। आंध्र प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दायर अर्ज़ी में वितरण कंपनियों ने कहा है कि वीआरई की अनिश्चिततायें सप्लाई के लिये मुश्किल पैदा कर रही हैं। राज्य में अभी साफ ऊर्जा क्षमता 7,500 मेगावॉट है और खेती की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये सरकार का इरादा अगले 3 साल में 10,000 मेगावॉट क्षमता जोड़ने का है।
छत्तीसगढ़: साफ ऊर्जा न खरीद पाने पर कंपनी पर जुर्माना
छत्तीसगढ़ में कैप्टिव पावर उत्पादक कंपनी इंडिसिल एनर्जी एंड इलेक्ट्रोकैमिकल पर 1 लाख रुपये का रुपये का जुर्माना किया गया है क्योंकि कंपनी रिन्यूएबल परचेज़ ऑब्लिगेशन (आरपीओ) का पालन नहीं कर पाई। राज्य के विद्युत नियामक आयोग ने कहा कि कंपनी ने साल 2016-17 और 2017-18 में आरपीओ लक्ष्य पूरा नहीं किया जिस वजह से ये पेनल्टी लगाई गई है। कंपनी आयोग के सामने पेश भी नहीं हुई जिसके बाद ये जुर्माना लगाया गया।
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